1996 लाजपत नगर ब्लास्ट: बरी आरोपियों को सुप्रीम कोर्ट ने सुनाई सजा

  • सुप्रीम कोर्ट ने लाजपत नगर धमाके के 4 आरोपियों को सुनाई उम्रकैद की सजा

  • निचली अदालत ने सुनाई थी फांसी की सजा, हाई कोर्ट ने बदल दिया था फैसला

नई दिल्ली: 37 साल पुराने लाजपत नगर बम ब्लास्ट मामले में सुप्रीम कोर्ट ने चार आरोपियों को दोषी करार देते हुए उम्रकैद की सजा सुनाई है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि चारों दोषियों को ताउम्र जेल काटनी होंगी, यानी उन्हें सजा में छूट नहीं मिलेगी क्योंकि उन्होंने गंभीर अपराध किया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि मामले की सुनवाई में काफी वक्त लगा। स्पीडी ट्रायल समय की मांग है। जब मामला नैशनल सिक्योरिटी और आम आदमी से जुड़ा हो तो स्पीडी ट्रायल की दरकार है। सुप्रीम कोर्ट ने मोहम्मद नौशाद, मिर्जा निसार हुसैन, मोहम्मद अली बट और जावेद अहमद खान को उम्रकैद की सजा सुनाते हुए कहा कहा कि मामला बेहद गंभीर है। बम ब्लास्ट में निर्दोष लोगों की जान गई थी और इसमें आरोपियों का रोल था। ऐसे में उन्हें उम्रकैद की सजा दी जाती है और निर्देश दिया जाता है कि उन्हें सजा में छूट नहीं मिलेगी। सुप्रीम कोर्ट ने दो आरोपियों की उम्रकैद की सजा को बरकरार रखा है, वहीं दो अन्य आरोपियों को भी उम्रकैद की सजा दी है, जिन्हें हाई कोर्ट ने बरी कर दिया था। जबकि इन दोनों को निचली अदालत ने फांसी की सजा दी थी।

सुप्रीम कोर्ट ने सुनाई उम्रकैद की सजा

1996 के लाजपत नगर बम ब्लास्ट मामले में अपील पर सुनवाई के बाद दिए फैसले में जस्टिस बी. आर. गवई की अगुवाई वाली बेंच ने मोहम्मद नौशाद और जावेद अहमद की उम्रकैद की सजा को बहाल रखा। इन दोनों को हाई कोर्ट ने भी उम्रकैद की सजा दी थी जिसके खिलाफ इन दोनों ने अपील दाखिल की थी। सुप्रीम कोर्ट ने दो अन्य आरोपियों- मिर्जा निसार और मोहम्मद अली बट को भी उम्रकैद की सजा देते हुए कहा कि वे सजा काटने के लिए सरेंडर करें।

निचली अदालत ने तीन को सुनाई थी फांसी की सजा

लाजपत नगर सेंट्रल मार्केट में बम ब्लास्ट से दिल्ली में सनसनी फैल गई थी। 13 लोगों की मौत हुई थी, जबकि 38 लोग घायल हुए थे। घटना के बाद जेकेआईएफ (जम्मू-कश्मीर इस्लामिक फ्रंट) ने हमले की जिम्मेदारी ली थी। पुलिस ने यूएपीए समेत अन्य धाराओं के तहत केस दर्ज किया। अप्रैल-2010 में दिल्ली की निचली अदालत ने छह में से तीन आरोपियों को फांसी की सजा दी। मोहम्मद नौशाद, मोहम्मद अली बट और मिर्जा निसार हुसैन को फांसी की सजा देने हुए निचली अदालत ने कहा था कि इनकी संलिप्तता और अपराध की गंभीरता के मद्देनजर फांसी की सजा दी जाती है। जावेद अहमद खान को उम्रकैद दी थी। साथ ही, दो अन्य आरोपियों फारुक अहमद खान और फरीदा डार को अन्य धाराओं में दोषी करार देते हुए जेल में बिताए गए समय को सजा माना।

दिल्ली हाई कोर्ट में अपील की गई जिसने दिल्ली पुलिस की छानबीन पर सवाल उठाते हुए इसमें कई खामियां बताई थीं। हाई कोर्ट ने फांसी की सजा पाए मिर्जा निसार हुसैन और मोहम्मद अली बट की फांसी की सजा को खारिज करते हुए बरी कर दिया था, जबकि मोहम्मद नौशाद की फांसी को उम्रकैद में बदल दिया था। चौथे आरोपी जावेद अहमद खान की उम्रकैद को बरकरार रखा था। सजा पाने वालों ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की, जबकि अभियोजन पक्ष ने फांसी की सजा के बदले बरी किए जाने के हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी।

जिस शाम दहल उठा था लाजपत नगर सेंट्रल मार्केट

तारीख : 21 मई 1996, समय : शाम करीब 6:45 बजे, स्थान : सेंट्रल मार्केट, लाजपत नगर। लोग खरीदारी में व्यस्त थे। चारों तरफ रौनक ही रौनक थी। तभी एक जबर्दस्त बम धमाका हुआ। पल भर में वहां मातम छा गया। इस हादसे में 13 लोगों की जान गई और 38 लोग घायल हुए। पुलिस के मुताबिक, धमाके के पीछे जम्मू-कश्मीर इस्लामिक फ्रंट की साजिश थी। पुलिस ने यह भी दावा किया था कि इस ब्लास्ट के पीछे दाऊद इब्राहिम और टाइगर मेमन का भी हाथ था।

लाजपत नगर मार्केट के आसपास की 14 दुकानें तबाह हो गईं। वहां खड़ी आठ कारें भी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो गईं। पुलिस को मौके पर मौजूद चश्मदीद ने इत्तला की थी। ब्लास्ट इतना जोरदार था कि वहां आसपास की इमारतों में आग लग गई और फायर ब्रिगेड को उस पर काबू पाने में करीब दो घंटों तक मशक्कत करनी पड़ी। मौके से पुलिस के साथ-साथ सेंट्रल फरेंसिक साइंस लेबोरेट्री के अधिकारियों ने सैंपल उठाए और आईबी की टीम ने भी मौके का मुआयना किया।

मीडिया को फोन कर धमाके की जिम्मेदारी ली थी

जेकेआईएफ की तरफ से विभिन्न मीडिया हाउसों को जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग के एक नंबर से फोन कर ब्लास्ट की जिम्मेदारी ली गई थी। पुलिस ने उस नंबर को ट्रेस कर लिया। पुलिस ने फारूक अहमद को गिरफ्तार किया। फारूक की मददगार फरीदा डार को भी गिरफ्तार कर लिया गया। फारूक के पास से पुलिस ने एक एके-56, दो मैगजीन, 1.7 किलो आरडीएक्स और कुछ न्यूज पेपरों के नंबर बरामद किए। फारूक और फरीदा के अलावा मोहम्मद नौशाद, मिर्जा इफ्तिखार, मोहम्मद अली बट, लतीफ अहमद, मिर्जा निसार हुसैन, सैयद मकबूल शाह, जावेद अहमद खान और अब्दुल गनी को भी गिरफ्तार किया गया। नौशाद दिल्ली के तुर्कमान गेट इलाके का रहने वाला है। बाकी आरोपी जम्मू-कश्मीर के रहने वाले हैं।

इससे पहले भी किया गया था बम प्लांट

इन 10 आरोपियों के खिलाफ 19 अगस्त 1996 को चार्जशीट दाखिल की गई। जबकि इसी मामले में टाइगर मेमन, दाऊद इब्राहिम व जेकेआईएफ चीफ बिलाल अहमद सहित अन्य आरोपियों को फरार बताया गया। ये आरोपी अभी तक पुलिस की गिरफ्त में नहीं आए हैं। पुलिस ने कुल 201 गवाहों की लिस्ट कोर्ट में पेश की।

सरकारी वकील एस. के. दास ने बताया था कि आरोपियों ने पहले भी लाजपत नगर के सेंट्रल मार्केट में ब्लास्ट कराने के इरादे से बम प्लांट किए थे, लेकिन उन मौकों पर तकनीकी कारणों से विस्फोट नहीं हो पाया। इसके बाद आरोपियों ने नेपाल से एक शख्स को बुलाया, जो ब्लास्ट करने में माहिर था। इस धमाके में केमिकल गैस का इस्तेमाल किया गया। दास के मुताबिक, फरीदा डार उर्फ ‘बहनजी’ जेकेआईएफ के चीफ बिलाल अहमद की बहन है।

दरअसल, इस ब्लास्ट की साजिश बिलाल ने ही रची थी। इसके लिए बिलाल ने पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई से संपर्क किया और उसने जम्मू-कश्मीर में अपने साथियों को ब्लास्ट को अंजाम देने की जिम्मेदारी दी। बिलाल के बारे में पुलिस ने बताया कि वह पाक अधिकृत कश्मीर में रहता है और वहीं से अपनी गतिविधियों को ऑपरेट करता है। बिलाल के लिए फारूक और फरीदा चीफ कोऑर्डिनेटर के रूप में काम करते थे।

टाइगर मेमन और दाऊद भी थे सूत्रधार

चार्ज पर बहस के बाद अडिशनल सेशन जज एन. के. कौशिक की अदालत ने 20 नवंबर 2000 को सभी आरोपियों के खिलाफ हत्या, हत्या का प्रयास, देशद्रोह व विस्फोटक पदार्थ निरोधक कानून के तहत आरोप तय किए। आरोपियों ने खुद को बेगुनाह बताया और ट्रायल फेस करने की बात कही। आरोप तय किए जाने के बाद मामले की सुनवाई चली। सरकारी पक्ष की ओर से कुल गवाहों में से 105 गवाहों के बयान कराए गए। अंडरवर्ल्ड डॉन दाऊद इब्राहिम और उसके सहयोगी टाइगर मेमन का नाम भी लाजपत नगर ब्लास्ट से जुड़ा। पुलिस का दावा था कि 1993 के मुंबई सीरियल ब्लास्ट के मास्टरमाइंड दाऊद व टाइगर मेमन का लाजपत नगर ब्लास्ट में भी हाथ है और इस केस का भी अंडरवर्ल्ड से कनेक्शन है।

पुलिस के मुताबिक, लाजपत नगर ब्लास्ट की जिम्मेदारी वैसे तो जेकेआईएफ ने ले रखी है, लेकिन दाऊद और टाइगर भी इस धमाके के सूत्रधार हैं। यही कारण है कि पुलिस ने टाइगर मेमन, दाऊद व बिलाल समेत छह आरोपियों को फरार बताया। जब इनकी गिरफ्तारी नहीं हो पाई, तब अदालत ने इन आरोपियों को भगोड़ा घोषित कर दिया था।

स्रोत: नवभारत टाइम्स

Leave a Comment

Notice : The source URLs cited in the news/article might be only valid on the date the news/article was published. Most of them may become invalid from a day to a few months later. When a URL fails to work, you may go to the top level of the sources website and search for the news/article.

Disclaimer : The news/article published are collected from various sources and responsibility of news/article lies solely on the source itself. Hindu Janajagruti Samiti (HJS) or its website is not in anyway connected nor it is responsible for the news/article content presented here. ​Opinions expressed in this article are the authors personal opinions. Information, facts or opinions shared by the Author do not reflect the views of HJS and HJS is not responsible or liable for the same. The Author is responsible for accuracy, completeness, suitability and validity of any information in this article. ​