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उदयपुर के ऐतिहासिक और सबसे बडे मंदिर में वस्त्र संहिता लागू !

(वस्त्रसंहिता का अर्थ है मंदिर में प्रवेश करते समय परिधान किए जाने वाले वस्त्रों से संबंधित नियम)

देश के प्रत्येक मंदिर द्वारा अलग अलग ऐसा करने के स्थान पर राष्ट्रीय स्तर पर सभी मंदिरों के विश्वस्तों एवं मंदिर व्यवस्थापन समितियों द्वारा ऐसा निर्णय लिया जाना चाहिए ! इसके लिए मंदिरों का एक राष्ट्रव्यापी संघ स्थापित करने की आवश्यकता है ! -संपादक 

उदयपुर (राजस्थान) – यहां के ऐतिहासिक और सबसे बडे ´जगदीश मंदिर´ में हिन्दू संस्कृति निषिद्ध वस्त्र  परिधान करने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। टी-शर्ट, जींस, बरमूडा, मिनी स्कर्ट, नाइट सूट आदि पहनकर आने वालों को मंदिर में प्रवेश की अनुमति नहीं दी जाएगी। इस संबंध में मंदिर के बाहर सूचना फलक के माध्यम से जानकारी प्रदर्शित की गई है। यह मंदिर ४०० वर्ष पुराना है।


१. मंदिर के पुजारी विनोद ने कहा कि हमने उनसे मंदिर में आते समय निषिद्ध वस्त्र न पहनने का आवाहन किया है। हमने इस संबंध में मंदिर के बाहर एक सूचना फलक लगाया है, जिसके माध्यम से भक्तों को हिन्दू संस्कृति के बारे में जागरूक किया जाए और वह इस नियम का मन से पालन करें, तथापि यदि कोई नियम विरुद्ध वस्त्र परिधान कर आता है तो उसे प्रवेश से वंचित नहीं किया जाएगा।

२. मंदिर का प्रबंधन करने वाली धर्मोत्सव समिति के अध्यक्ष और जगन्नाथ रथ यात्रा समिति के संयोजक दिनेश मकवाना ने कहा, ‘जनभावना को देखते हुए, हमने उन लोगों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय किया है, जो पारंपरिक वस्त्र परिधान कर मंदिर नहीं आते । हम इस संबंध में भक्तों से आवाहन कर रहे हैं।’ भक्तों ने आक्षेप लगाए हैं कि कुछ पर्यटक मद्यपान कर मंदिर में प्रवेश करते हैं। समिति शीघ्र ही इस पर निर्णय लेगी।

जो लोग अपारंपरिक वस्त्र परिधान कर आते हैं उनके लिए वस्त्र बदलने का विकल्प है !

यदि कोई नियम निषिद्ध वस्त्र परिधान कर आता है तो पुरुषों को कुर्ता , पायजामा एवं महिलाओं को अलग से वस्त्र दिए जाएंगे। वस्त्र बदलने के लिए अलग कक्ष की भी व्यवस्था की गई है। इसलिए जो लोग अपारंपरिक वस्त्र परिधान कर आते हैं वे अपने वस्त्र बदलकर मंदिर में प्रवेश कर सकते हैं।

स्रोत: दैनिक सनातन प्रभात

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