छोटे-छोटे बच्चों का भी किया जाता था ब्रेनवॉश
झारखंड के कोडरमा जिले में कॉन्वेंट विद्यालय में धर्मांतरण का मामला सामने आया। आरोप है कि विद्यालय में ४००-५०० लोगों को इकट्ठा कर ईसाई मजहब की प्रार्थना कराई जा रही थी। जानकारी मिलने पर स्थानीय लोगों ने हंगामा करते हुए पुलिस को सूचना दी। पुलिस ने कार्रवाई करते हुए १४ लोगों को हिरासत में लेकर मामले की जाँच शुरू कर दी है। घटना शनिवार (८ जुलाई २०२३) की है।
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, मामला कोडरमा जिले के तिलैया थाना क्षेत्र के जेम्स इंग्लिश विद्यालय का है। जहाँ कोडरमा और आसपास के इलाकों के अलावा बिहार के गया और नवादा से भी बड़ी संख्या में लोग विद्यालय में जुटे थे। इस कारण विद्यालय के बाहर वाहनों की लंबी कतार लगी हुई थी। इससे स्थानीय ग्रामीणों को विद्यालय में धर्मांतरण कार्यक्रम होने का संदेह हुआ।
इसके बाद लोगों ने विद्यालय के बाहर हँगामा करते हुए मामले की जानकारी पुलिस को दी। इस पर पुलिस ने विद्यालय से ११ पुरुषों और ३ महिलाओं समेत कुल १४ लोगों को हिरासत में लेकर पूछताछ की। स्थानीय ग्रामीणों का कहना है कि इससे पहले भी विद्यालय में इस तरह की प्रार्थना सभाएँ होती थीं। पुलिस प्रशासन ने विद्यालय प्रबंधन को इस प्रकार की किसी भी गतिविधि में शामिल न होने के लिए कहा था। हालाँकि, इसके बाद भी यह कार्यक्रम आयोजित किया गया।
इसके अलावा ग्रामीणों ने विद्यालय प्रबंधन पर धर्मांतरण के लिए छोटे बच्चों का ब्रेनवॉश करने का आरोप लगाया। इस प्रार्थना सभा में शामिल होने आई एक नाबालिग लड़की का कहना है कि वह बीते ४-५ महीने से प्रार्थना सभा में आ रही है। यहाँ आने से उसे बहुत फायदा मिल रहा है। उसने दावा किया कि विद्यालय में धर्म परिवर्तन नहीं जीवन परिवर्तन होता है।
वहीं इस पूरे मामले में कोडरमा एसपी प्रवीण पुष्कर का कहना है कि जेम्स विद्यालय में धर्मांतरण की सूचना मिली थी। पुलिस ने मौके पर पहुँचकर १४ लोगों को हिरासत में लिया है। सभी से पूछताछ की जा रही है। लोग प्रार्थना सभा में शामिल होने के लिए आए थे। हालाँकि, अब तक धर्मांतरण की पुष्टि नहीं हो पाई है। पूछताछ के आधार पर आगे की कार्रवाई होगा। तिलैया थाना प्रभारी भी शुरुआती जाँच के आधार पर धर्मांतरण न होने की बात कर रहे हैं। विद्यालय के प्रिंसिपल मानवील ने कहा है कि विद्यालय के ५० साल पूरे होने पर प्रार्थना सभा आयोजित की गई थी। धर्मांतरण नहीं हो रहा था। बल्कि लोग अपनी इच्छा से यहाँ आए थे।