Menu Close

महाराष्ट्र : जलगांव की मस्जिद में कलेक्टर ने नमाज अदा करने पर लगाई रोक, उच्च न्यायालय पहुंचा मुस्लिम पक्ष

महाराष्ट्र के जलगांव में स्थित स्थान और उस पर बनी एक बेहद पुरानी मस्जिद को लेकर विवाद बढ़ गया है। कलेक्टर ने एक अंतरिम आदेश में इस मस्जिद में नमाज पढने पर रोक लगा दी है। कलेक्टर के आदेश के खिलाफ मस्जिद प्रशासन ने बॉम्बे हाईकोर्ट का रूख किया है।

जलगांव के जिला कलेक्टर अमन मित्तल द्वारा 11 जुलाई 2023 को जारी किए गए आदेश के खिलाफ बॉम्बे हाईकोर्ट की औरंगाबाद बेंच के सामने याचिका दायर की गई है। इस याचिका में कलेक्टर के आदेश को निरस्त करने की मांग की गई है। इस मामले में अगली सुनवाई 18 जुलाई 2023 को होगी।

आम लोगों को नमाज पढने पर रोक लगाने वाले अपने अंतरिम आदेश में कलेक्टर ने ट्रस्टियों से मस्जिद की चाबियां जिला अधिकारियों को सौंपने के लिए कहा। हालांकि, आदेश में दो व्यक्तियों को रोज नमाज पढने की अनुमति दी, ताकि आदेश पारित होने तक मस्जिद की पवित्रता बनी रहे।

इस आदेश के बाद मस्जिद की चाबी मस्जिद कमिटी द्वारा तहसीलदार को सौंप दी गई है। नमाज पढ़ने वाले दो व्यक्ति वहां मौजूद अधिकृत कर्मियों से चाबी ले सकेंगे। इसके बाद नमाज पढ़कर फिर उन्हीं व्यक्तियों को वह चाबी सौंप देनी होगी। यहां दो से अधिक लोग नमाज ना पढ़ सकें, इसके लिए आपराधिक प्रक्रिया संहिता के तहत धारा 144 भी लागू की गई है।

मस्जिद कमिटी की ओर से पेश वकील एसएस काजी ने कहा कि याचिका 13 जुलाई 2023 को दायर की गई थी। वकील एसएस काज़ी ने बताया कि अदालत ने उसी दिन पहली सुनवाई की और अगले दिन दूसरी सुनवाई की। इस दौरान अदालत ने निर्देश दिया कि याचिका की एक प्रति उत्तरदाताओं को दी जाए और अगली सुनवाई 18 जुलाई को तय की गई।

दरअसल, जिस प्राचीन इमारत के खंडहर को मुस्लिम मस्जिद का हिस्सा बता रहे हैं, उसे हिंदूवादी संगठन महाभारतकालीन स्थल बता रहे हैं। हिंदू संगठन पांडववाड़ा संघर्ष समिति का कहना है कि मुंबई से 350 किलोमीटर दूर एरंडोल में एक मंदिर जैसी है। स्थानीय मुस्लिमों ने इस पर अतिक्रमण कर रखा है और नमाज पढ़ रहे हैं।

जानकार लोगों का कहना है कि यह पूरा मामला जुम्मा मस्जिद कमिटी द्वारा मौजूदा ढांचे में बदलाव करते हुए इसका विस्तार करना शुरू किया। विस्तार के दौरान कुछ टिन शेड डाले गए। इसी दौरान लोगों का इस पर ध्यान गया और मामले ने तूल पकड़ लिया। अब हिंदू संगठन ने मुस्लिम समाज के इस अतिक्रमण को हटाने की मांग की है।

जलगांव के कलेक्टर अमन मित्तल को हिंदू संगठन पांडववाड़ा संघर्ष समिति ने एक आवेदन भेजा था। इसमें कहा किया गया था कि मस्जिद एक अतिक्रमण है। यह स्थान एक प्राचीन हिंदू स्थान है, यहां मौजूद प्राचीन ढांचा एक मंदिर का है। समिति ने कहा कि यहां महाभारत काल की कलाकृतियां अभी भी पाई जा सकती हैं।

कलेक्टर का कहना है कि, हिंदूवादी समूह 1980 के दशक से इस ढांचे पर दावा कर रहे हैं। हिंदू समूहों का कहना है कि यह ढांचा महाभारत के पांडवों से जुड़ा है, क्योंकि उन्होंने इस क्षेत्र में कुछ साल बिताए थे। मौजूदा विवाद पांडववाड़ा संघर्ष समिति द्वारा 18 मई को जिला कलेक्टर को सौंपे गए एक आवेदन से सामने आई है।

वहीं, मस्जिद की कथित देखभाल करने वाली जुम्मा मस्जिद ट्रस्ट समिति का दावा है कि यह ढांचा उसके पास 1861 ईस्वी से है। मस्जिद समिति ने उस पर अपना मालिकाना हक जताया है और कहा है कि इसे साबित करने के लिए उसके पास रिकॉर्ड मौजूद हैं।

मस्जिद का कहना है कि उसके पास सबसे पहला उपलब्ध रिकॉर्ड 31 अक्टूबर 1861 का है। इसमें ‘जुम्मा मस्जिद’ नाम से एरंडोल तालुका के विस्थापित गांवों और भूमि के रजिस्ट्रार में दर्ज है। महाराष्ट्र वक्फ बोर्ड ने भी कलेक्टर के आदेश पर आपत्ति जताई है। बोर्ड ने कहा है कि मस्जिद 2009 से राज्य वक्फ बोर्ड के तहत पंजीकृत संपत्ति है।

वक्फ बोर्ड के सीईओ मोइन तहसीलदार ने जिला प्रशासन को पत्र लिखा और इस मामले में सुनवाई करने के कलेक्टर के अधिकार को चुनौती दी। उन्होंने कहा, “यह वक्फ द्वारा पंजीकृत संपत्ति है, इसलिए रोक लगाने का निर्णय जिला कलेक्टर के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता है।”

इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार, मोइन तहसीलदार ने आगे कहा, “कलेक्टर के पास कानून और व्यवस्था के मामलों को संभालने का अधिकार है, लेकिन वक्फ अधिनियम के प्रावधानों के अनुसार, इस विषय पर सुनवाई करने का अधिकार उन्हें नहीं है।”

स्रोत : ऑप इंडिया

Related News

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *