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इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने एएसआई सर्वेक्षण पर गुरुवार तक रोक लगाई

Update

वाराणसीः  इलाहाबाद हाई कोर्ट ने ज्ञानवापी परिसर में ASI सर्वे पर रोक को कल तक के लिए बढ़ा दिया है। अब कल यानी 27 जुलाई को साढे़ तीन बजे फिर सुनवाई होगी। इलाहाबाद हाई कोर्ट में चल रहे ज्ञानवापी केस में शाम 4:30 बजे फिर से सुनवाई शुरू हुई थी। एएसआई के एडिशनल डिप्टी डायरेक्टर आलोक त्रिपाठी कोर्ट में पहुंचे हैं। उन्‍होंने एफिडेविट दाखिल करके कहा कि सर्वे से ज्ञानवापी परिसर में कोई नुकसान नहीं होगा। उन्‍होंने बताया कि अभी तक सर्वे का 5 प्रतिशत काम हुआ है। मुस्लिम पक्ष ने कहा था कि उन्‍हें एएसआई का हलफनामा पढ़ने और अपनी दलील रखने के लिए कुछ और समय दिया जाए। इसे देखते हुए कोर्ट ने ज्ञानवापी परिसर के सर्वे पर फिलहाल रोक लगा दी है।


24 जुलाई

वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर के एएसआई सर्वे पर स‍र्वोच्च न्यायालय ने लगाई 2 दिन की रोक

वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर में चल रहे पुरातत्व सर्वेक्षण पर स‍र्वोच्च न्यायालय ने अंतरिम रोक लगा दी है। यह रोक बुधवार यानी 26 जुलाई को शाम 5 बजे तक जारी रहेगी। स‍र्वोच्च न्यायालय ने कहा है कि इस बीच मस्जिद पक्ष जिला जज के आदेश के खिलाफ इलाहाबाद उच्च न्यायालय में अपील दाखिल करे और बुधवार को ही इस पर सुनवाई हो। सर्वे को लेकर आगे का आदेश उच्च न्यायालय ही देगा।

शुक्रवार को शाम 4:30 बजे वाराणसी के जिला जज अजय कुमार विश्वेश ने ज्ञानवापी परिसर के ASI सर्वे का आदेश दिया था। आज यानी सोमवार सुबह 7 बजे से ASI की टीम ने वहां पहुंचकर अपना काम शुरू कर दिया। इस बीच सुबह 10:40 पर मुस्लिम पक्ष की तरफ से स‍र्वोच्च न्यायालय के चीफ जस्टिस के सामने मामला गया। मुस्लिम पक्ष के लिए पेश वरिष्ठ वकील हुजैफा अहमदी ने सर्वे पर तत्काल रोक की मांग की। उन्होंने दावा किया कि जिला जज ने मस्जिद परिसर में खुदाई का आदेश दिया है। इससे इमारत को नुकसान पहुंच सकता है। यह स‍र्वोच्च न्यायालय के भी उस आदेश का उल्लंघन है, जिसमें कहा गया था कि मस्जिद को कोई नुकसान न पहुंचाया जाए।

हिंदू पक्ष ने दी ये दलील

हिंदू पक्ष के लिए पेश वरिष्ठ वकील श्याम दीवान ने इसका जोरदार विरोध किया। उन्होंने कहा कि मस्जिद परिसर में कोई खुदाई का काम नहीं चल रहा है। इस पर चीफ जस्टिस ने सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता से कहा कि वह आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया से यह पता करें कि वहां इस समय किस तरह की कार्रवाई हो रही है। सुबह 11:19 पर सॉलिसीटर जनरल ने बताया कि ASI वहां पर फिर पैमाइश यानी जगहों को चिन्हित करने का काम कर रही है। साथ ही, तस्वीरें ली जा रही हैं और रडार टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल किया जा रहा है। वहां पर एक ईंट भी नहीं सरकाई गई है। अगले 1 हफ्ते तक खुदाई करने की कोई योजना नहीं है।

सर्वे पर कोर्ट ने लगाई दो दिन की रोक

सॉलिसीटर जनरल ने सुझाव दिया कि ASI के बयान को रिकॉर्ड पर लेते हुए स‍र्वोच्च न्यायालय मस्जिद पक्ष को इलाहाबाद उच्च न्यायालय में अपील दाखिल करने का मौका दे। लेकिन मुस्लिम पक्ष के वकील ने कहा कि सर्वे के आदेश पर पूरी तरह रोक लगनी चाहिए। अहमदी ने कहा कि शुक्रवार को ज़िला जज का आदेश आया। इससे पहले कि वह अपील दाखिल कर पाते, सर्वे का काम शुरू कर दिया गया।आखिरकार, सुबह 11।45 बजे चीफ जस्टिस ने आदेश दिया कि अंजुमन इंतजामिया मस्ज़िद कमिटी को अपील का समय दिया जाना चाहिए। इसलिए, जिला जज के आदेश पर अंतरिम रोक ज़रूरी है। उन्होंने साफ किया कि यह रोक 26 जुलाई शाम 5 बजे तक जारी रहेगी। इस बीच उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार जनरल यह सुनिश्चित करें कि मुस्लिम पक्ष की तरफ से दायर अपील को किसी बेंच के सामने सुनवाई के लिए लगाया जा सके।

स्रोत : एबीपी


21 जुलाई

वाराणसी न्यायालय ने एएसआई को दी ज्ञानवापी मस्जिद के वैज्ञानिक सर्वे की अनुमति

वाराणसी : ज्ञानवापी मंदिर-मस्जिद केस में शुक्रवार को वाराणसी न्यायालय ने अहम फैसला सुनाया है। सकती है। वाराणसी की जिला अदालत ने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा पूरे ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के ‘वैज्ञानिक सर्वेक्षण’ के लिए निर्देश देने की मांग मंजूर कर ली है। फैसले के अनुसार, ASI विवादित हिस्से को छोड़ कर पूरे परिसर की वैज्ञानिक जांच कर सकता है। हिंदू पक्ष की ओर से याचिका दायर कर इस मामले में न्यायालय से हस्तक्षेप की मांग की गई थी। ज्ञानवापी मस्जिद मामले में हिंदू पक्ष का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील विष्णु शंकर जैन ने बताया कि न्यायालय ने पूरे परिसर का ASI द्वारा सर्वे का आदेश दे दिया है। लेकिन इसमें वजू टैंक का सील किया हुआ हिस्सा शामिल नहीं होगा। ASI इस सर्वे की रिपोर्ट 4 अगस्त को जिला जज को सौंपेगा।

सर्वे से क्या होगा ?

स‍र्वोच्च न्यायालय ने ज्ञानवापी मस्जिद परिसर के अंदर पाए गए शिवलिंग के वैज्ञानिक सर्वेक्षण और कार्बन-डेटिंग की अनुमति देने वाले इलाहाबाद उच्च न्यायालय के निदेर्शो पर रोक लगाई थी। इस मामले में दोनों पक्षों के अलग-अलग दावे हैं। एक पक्ष कहता है कि यह शिवलिंग है और दूसरा पक्ष कहता है कि इसे फव्वारा बताता है। ASI के परिसर के सर्वे से यह पता चलेगा कि ये परिसर मूल रुप में क्या था और अगर ये मंदिर या मस्जिद था, तो कितना पुराना है। इससे दोनों पक्षों के दावों की सच्चाई सामने आ सकेगी।

स्रोत : अमर उजाला

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