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धर्मांतरणकी बढती समस्या तथा उसका समाधान !

चलचित्र भाग १

चलचित्र भाग २

वक्ता : श्री. उत्तम दंडिमे, हिंदू स्वाभिमान प्रतिष्ठान, पुणे

 

सारणी


 

१. ईसापूर्व कालमें विश्वमें भारत ‘देवभूमि’ तथा भारतीय ‘देवलोकके निवासी’ कहलाना !

        ‘हिमालयसे हिंद महासागरतककी भूमिसे आए थे, इसलिए उन्हें ‘हिंदू’ कहा जाने लगा । ‘आर्यावर्त’के नामसे पहचाना जानेवाला प्रदेश अपनेआप हिंदुस्थान बन गया । हिंदू भूगोलवाचक शब्द था । इस शब्दका नाता धर्मसे बादमें जोडा गया । ईसापूर्व कालमें हमारे पूर्वज व्यापार आदिके लिए पश्चिमकी ओर उस समयके यूरोप आदि खंडोंमें जाते थे, तब वहांकी जनता उन्हें ‘देवलोकके लोग’ कहती थी । इस भूमिको ‘देवभूमि’ कहा जाता था ।

 

२. ईसापूर्व कालमें हिंदुस्थानपर आक्रमण करनेवालोंने यहांका धर्म स्वीकारा

        ईसापूर्व ३-४ शताब्दियोंके कालखंडमें भारतकी संपत्ति देखकर ग्रीक, रोमन, शक, कुशाण यहां आक्रमणकारियोंके रूपमें आए । उन्हें राज्य करना था इसलिए वे यहांकी जनसंख्यामें विलीन हो गए । उनमेंसे कुछ हिंदू, तो कुछ बौद्ध बन गए । कोई शैव, तो कोई वैष्णव बना ! तबतक धर्मांतरणकी समस्या ही नहीं थी ।

 

३. संपत्ति, राज्यके साथ धर्म संस्कृति तथा संप्रदाय, इनपर आठवें शतकसे
हो रहे धर्मांधोंके आक्रमण पराक्रमी हिंदू राजाओंद्वारा विफल करना

        ईसाके बाद इतिहासको भिन्न आयाम मिला । ईसाई समुद्रमार्गसे भारतमें प्रवेश करने लगे । उस समय वास्तविक अर्थोंमें हिंदुओंका धर्मांतरणसे परिचय हुआ । ८ वीं शताब्दीके प्रारंभमें मोहम्मद कासिमद्वारा किया आक्रमण केवल संपत्ति तथा राज्यके लिए नहीं था । उसने लूटपाटके साथ यहांके धर्म, संस्कृति तथा संप्रदायोंपर भी आक्रमण किया । तबसे हम इन धर्मांधोंके आक्रमण झेल रहे हैं । भारत तबसे इन आक्रामकोंकी दमननीतिसे लड रहा है । हमारे पराक्रमी एवं शूर राजाओंने इन आक्रमणोंको विफल किया ।

 

४. पराक्रमी हिंदू राजाओंके कारण
गत अनेक वर्षोंसे मुसलमानोंका भारतका इस्लामीकरण न कर पाना !

        इस्लामकी उत्पत्तिके पश्चात सीरिया, मिस्र (इजिप्त), अरबदेश, कुवैत इत्यादि अरबस्थानके देश १७ से २५ वर्षोंमें इस्लामी बन गए । सीरिया १७ वर्षोंमें पूरा मुस्लिम बन गया । अरबस्थान २५ वर्षोंमें पूरा मुसलमान हो गया । इजिप्त, तुर्कस्थान जैसे राष्ट्र तो अत्यंत अल्प कालमें ही मुसलमान राष्ट्रोंमें परिवर्तित हो गए; परंतु पराक्रमी हिंदू राजाओंके कारण भारतमें वे आजतक ऐसा नहीं कर पाए । पराक्रमी हिंदू धर्मके लिए लडते-लडते आजतक धर्मकी रक्षा करते आए हैं ।

 

५. अति परधर्मसहिष्णुता ही हिंदुओंकी सद्गुणविकृति !

        हमारे धर्ममें परधर्मसहिष्णुता है; परंतु गुणोंका अत्यधिक मात्रामें उपयोग होनेपर सद्गुणविकृति निर्मित होती है । इसका उदाहरण है, हमारे पराक्रमी राजा पृथ्वीराज चौहान ! इन्होंने अनेक बार मोहम्मद गोरीको हराकर, उसे छोड दिया; परंतु मोहम्मद गोरीने पृथ्वीराज चौहानको एक ही बार पकडा और जानसे मार डाला !

 

६. आततायीको दंडित करना ही धर्म है !

        दुष्टोंके साथ दुष्टतासे ही आचरण करना चाहिए । आततायीको दंडित करना, यही छत्रपति शिवाजी महाराजकी सीख है ।

 

७. धर्मांतरितोंका शुद्धिकरण

७ अ. धर्मांतरितोंको शुद्ध कर उन्हें स्वधर्ममें पुनः लेनेके लिए बतानेवाली देवलस्मृति !

        ‘धर्ममें जो चूक है, उसे हटाना ही चाहिए’, यह छत्रपति शिवाजी महाराजजीकी सीख थी । वेद, स्मृति, छः शास्त्र तथा पुराण प्राचीन हैं; परंतु एक स्मृति अर्वाचीन है, वह है ‘देवलस्मृति !’ ईस्वी ७१० में मोहम्मद बिन कासिमके आक्रमणके उपरांत ई.स. ७२१ में देवलस्वामीजीने एक स्मृति लिखी, उसे ‘देवलस्मृति’ कहा जाता है । यह धर्मांतरितोंकी शुद्धि कर उन्हें स्वधर्ममें वापस लानेके विषयमें बतानेवाली प्रथम स्मृति है । देवलस्वामीजीने कहा, ‘‘जो धर्मांतरित पुनः स्वधर्ममें आनेकी इच्छा रखते हैं, उन्हें पुनः धर्ममें प्रवेश दें, उन्हें अपनाएं, उन्हें मान-सम्मान दें’, यह धर्माज्ञा है ।’’ देवलस्मृतिका परिणाम आगे ३०० वर्षोंतक होता रहा; परंतु ई.स. ११०० के उपरांत सोरटी सोमनाथपर आक्रमण होनेके पश्चात इस परिस्थितिमें परिवर्तन आया । धर्मांतरितोंको वापस धर्ममें लेना बंद हो गया । केवल ‘तालाबमें गोमांस फेंका गया है’, इस अफवाहके कारण कई राजपूत मुसलमान बन गए । उन्हें स्वधर्ममें नहीं लिया गया । इससे हिंदुओंकी हानि हुई ।

७ आ. छत्रपति शिवाजी महाराजद्वारा नेताजी पालकरका शुद्धिकरण

        मुसलमानोंने छत्रपति शिवाजी महाराजके सेनापति नेताजी पालकरका धर्मांतरण कर उन्हें ‘मोहम्मद कुलीखान’ बनाया । इस कारण वे १० वर्ष तडपते रहे । दिलेरखानके साथ जब वे पुनः महाराष्ट्रमें आए, तब छत्रपति शिवाजी महाराजने नेताजी पालकरकी इच्छासे उनका शुद्धिकरण कर उन्हें स्वधर्ममें लिया । महाराजद्वारा किया गया यह प्रथम शुद्धिकरण था । शुद्धिकरणके पश्चात उस व्यक्तिको कौनसा स्थान दें, यह समस्या थी । शिवाजी महाराजने उसका उत्तर ऐसे दिया ।

        धर्मांतरित होनेपर वापस आनेके इच्छुकोंको हिंदू धर्ममें न लेनेसे समस्याएं निर्माण होती हैं । केरलमें व्यापारके लिए राजाका आदेश था; इसलिए वहांके मछुआरोंके प्रत्येक घरसे एक सदस्य धर्मांतरित होकर मुसलमान बना । उन्हें पुनः स्वधर्ममें नहीं लिया गया । वे ही आगे चलकर ‘मोपले’के नामसे पहचाने जाने लगे । भविष्यमें इन्हीं मोपलोंने हिंदुओंपर क्रूर अत्याचार किए । ‘धर्मांतरित अधिक कट्टर बनते हैं’, यह ध्यान रखिए !

        यदि नस-नसमें छत्रपति शिवाजी महाराज समा जाएं, तो बेटा भ्रष्ट नहीं होगा और ‘लव जिहाद’ जैसी घटनाएं नहीं होंगी ।

७ इ. हिंदू धर्मकी महानता और व्यापकता

        हिंदू धर्म अत्यंत व्यापक है । उसमें सभीको सुविधा एवं छूट है तथा विविधता भी है । धर्म माननेवाला हिंदू धर्मीय है और धर्म न माननेवाला चार्वाकोंका पंथ भी है, जो स्वयंको ‘हिंदू’ कहलाता है । मूर्तिपूजा करनेवाला हिंदू है और मूर्तिपूजा न करनेवाला तथा निराकारको माननेवाला भी हिंदू है । इसका अर्थ यह है कि हिंदूकी व्याख्या अत्यंत व्यापक है; क्योंकि हिंदू धर्म ही अनादि है । ‘उसकी स्थापना किसने की’, यह ज्ञात नहीं । विश्वमें जितने धर्म हैं, उनमेंसे यदि धर्मग्रंथ और धर्मसंस्थापक निकाल दिए जाएं, तो वे धर्म शून्य बन जाते हैं । विश्वमें एक हिंदू धर्म ही ऐसा है, जिससे श्रीराम तथा श्रीकृष्णको हटा दिया जाए, तो भी कोई परिणाम नहीं होगा । संत हिंदू धर्मको चलाएंगे ।

७ ई. शुद्धिकरणमें आनेवाली अडचनें तथा उपाय

७ ई १. धर्मांतरितोंकी मानसिकताकी विकृति ! : धर्मसे बहिर्गमन करनेवालों की संख्या अधिक होती है । उस तुलनामें स्वधर्ममें पुनः लौटनेवालोंकी संख्या अल्प होती है । कभी-कभी स्वधर्ममें लौटनेके इच्छुकोंकी संख्या अधिक होती है; परंतु वे स्वधर्ममें लौटनेपर सम्मानकी अपेक्षा रखते हैं ।

७ ई २. हिंदू लडकेके साथ विवाह, परंतु हिंदू धर्म न स्वीकारनेवाली पत्नी पतिसे विलग होनेके पश्चात उनकी छोटीसी बेटीपर हिंदू अधिकार होनेका अभियोग दाखिल करना : एक मुसलमान लडकी और हिंदू लडकेका प्रेमविवाह हुआ । मुसलमान लडकीने हिंदू धर्म स्वीकारा । दोनों लडकीके घर गए, तो पुनः दोनोंका धर्मांतरण हुआ और लडका मुसलमान बन गया । हमें पता चला, तो हमने उसे समझाया और उसका शुद्धिकरण किया । उसकी पत्नीको शुद्धिकरण स्वीकार नहीं था । वह नहीं आई । अब उनकी बेटीपर अधिकार पानेके लिए हमने अभियोग चलाया है; क्योंकि बेटीमें हिंदू रक्त है । बेटीकी मां अलग रहना चाहती है, तो रहे ।

७ ई ३. शुद्धिकरण किए गए नवविवाहित दंपतियोंका पुनर्वास सुदूर करनेका महत्त्व ! : नवविवाहित दंपतिका शुद्धिकरण किया हो, तो संबंधित मुसलमान परिवारकी ओरसे समस्या हो सकती है । इसलिए जहां समस्या खडी करनेके लिए इस प्रकारके मुसलमान नहीं पहुंच पाएंगे, ऐसे ही स्थानपर पुनर्वास करें । ४-५ वर्षके उपरांत उस दंपतिके बच्चे होनेपर कोई समस्या नहीं रहती ।

 

८. हिंदुओ, आत्यंतिक यातनाएं भोगनेवाले छत्रपति संभाजी महाराजकी शूरताका स्मरण रखें !

        नेताजी पालकरको केवल ८ घंटे यातना देनेपर वे हट्टेकट्टे होते हुए भी धर्मांतरित हो गए; परंतु शिवाजी महाराजके पुत्र छत्रपति संभाजी महाराजको महाभयंकर यातनाएं दी गईं, तब भी वे धर्मांतरित नहीं हुए । इस हिंदवी शूरताको हमें स्मरण रखना होगा ।

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