Menu Close

कलकत्ता उच्च न्यायालय ने सार्वजनिक जगह पर पूजा पांडाल बनाने पर लगी प्रशासनिक रोक को हटाया

कहा – ‘दुर्गा पूजा मेले की तरह एक धर्मनिरपेक्ष त्योहार है, धार्मिक नहीं’

कलकत्ता हाई कोर्ट ने दुर्गा पूजा पर प्रशासन की रोक को हटाया

कलकत्ता उच्च न्यायालय ने 25 अगस्त 2023 को दुर्गा पूजा के पांडाल लगाने पर लगाई गई प्रशासनिक रोक को हटा दिया। उच्च न्यायालय ने अधिकारियों को फटकार लगाते हुए कहा है कि दुर्गा पूजा पश्चिम बंगाल की राजधानी के लिए किसी धार्मिक प्रतीक की बजाय सांस्कृतिक पहचान की तरह है। इसे धर्म के नजरिए से देखने की जगह सेक्युलर नजरिए से देखा जाए। इसके साथ ही कोर्ट ने कहा कि इस दौरान होने वाली धार्मिक जुटान को आम मेले की देखा जाना चाहिए। कोर्ट ने इसे सबसे सेक्युलर त्योहार बताया।

कोलकाता प्रशासन को दिए निर्देश-लगवाए जाएं पांडाल

कलकत्ता उच्च न्यायालय 25 अगस्त को एक याचिका पर सुनवाई कर रही था। इसमें सार्वजनिक मैदान पर दुर्गा पूजा का पांडाल लगाने से प्रशासन ने रोक दिया था। केस की सुनवाई करते हुए जस्टिस सब्यसाची भट्टाचार्य ने ये टिप्पणी की। उन्होंने कोलकाता प्रशासन को निर्देश दिया कि वो दुर्गा पूजा के लिए निर्धारित जगह पर याचिकाकर्ताओं को पांडाल लगाने की अनुमति दे।

दुर्गा पूजा में शामिल होते हैं सर्व समाज के लोग

बार एंड बेंच की खबर के मुताबिक, याचिकाकर्ताओं ने उच्च न्यायालय से अपील की थी कि उन्हें कोलकाता के न्यू टाउन मेला ग्राउंड में पांडाल लगाने की अनुमति दी जाए, क्योंकि प्रशासन इसकी अनुमति नहीं दे रहा है। इस पर जस्टिस सब्यासाची भट्टाचार्य ने अपनै फैसले में कहा, “दुर्गा पूजा का उत्सव कई संस्कृतियों के मिलन की तरह है। ये नारी शक्ति का प्रतीक है। इस उत्सव में धार्मिक के साथ सामाजिक कार्यक्रम भी आयोजित होते हैं। इसे सेक्युलर नेचर का माना जाए, धार्मिक नेचर का नहीं। इसमें सभी समाज के लोग शामिल होते हैं।”

उच्च न्यायालय बोला- सही जगह लगाया जा रहा पांडाल

इस मामले में प्रशासन सार्वजनिक स्थानों पर धार्मिक गतिविधियों पर रोक लगाने के नियमों के तहत रोक लगाया था। कोलकाता प्रशासन ने कानून व्यवस्था का हवाला देते हुए ऐसा फैसला लिया था। इसे कोर्ट में संविधान के आर्टिकल 14 को दृष्टि में रखकर चुनौती दी गई थी। इसमें सभी धर्म के लोगों को अपनी धार्मिक गतिविधियों को अंजाम देने का अधिकार दिया गया है।

इस मामले में कलकत्ता उच्च न्यायालय ने पाया कि याचिकाकर्ताओं ने किसी सड़क, गली, फुटपाथ और खेल के मैदान में नहीं, बल्कि मेले के लिए निर्धारित जगह पर दुर्गा पूजा का पांडाल लगाने की अनुमति मांगी थी। उच्च न्यायालय ने अब इसकी इजाजत दे दी है।

स्रोत : ऑपइंडिया

Related News

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *