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रक्षाबंधन को कैडबरी की नहीं, अपितु स्वसुरक्षा हेतु प्रोत्साहित करने की आवश्यकता – काजल हिंदुस्थानी, प्रखर हिन्दुत्वनिष्ठ

हिन्दुओं की लडकियों को फांसकर भगा ले जाना और अपने जनानखाने में बंद करनेवालों को हिन्दू जमाता नहीं चाहिए, ऐसा नैरेटिव स्थापित किया जा रहा है । हिन्दू लडकी मुसलमान को पत्नी के रूप में स्वीकार है; परंतु मुसलमान युवती यदि हिन्दू लडके से प्रेम कर ले, तो उसके प्राण क्यों ले लिए जाते हैं ? तब तथाकथित ‘भाईचारा’ कहां जाता है ? जो धर्मांध अपनी सगी बहन के साथ विवाह करना गलत नहीं मानते, उसे अपने घर में प्रवेश देने से पहले हिन्दू बंधुओं को दस बार सोच लेना चाहिए । अब तक की घटनाओं से ‘लव जिहादियों’ की मानसिकता पहचानें और अपने परिवार को बचाएं । अब हिन्दू बहनों को कैडबरी की नहीं, अपितु स्वसुरक्षा के लिए प्रोत्साहित करने की आवश्यकता है, ऐसा संदेश प्रखर हिन्दुत्वनिष्ठ काजल हिंदुस्थानी ने रक्षाबंधन के उपलक्ष्य में दिया । हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से ‘लव जिहाद से हिन्दू बहनों की रक्षा, यही है खरा रक्षाबंधन!’ इस विषय पर आयोजित विशेष संवाद में वे बोल रहे थे । हिन्दू जनजागृति समिति के मुंबई प्रवक्ता श्री. सतीश कोचरेकर ने उनसे संवाद साधा ।

काजल हिंदुस्थानी आगे कहा कि उच्चशिक्षित तथा अच्छे घर की हिन्दू लडकी कबाडीबाले, पंक्चर ठीक करनेवाले मुसलमान युवक के साथ भाग जाती है । ऐसी घटनाओं के पीछे बॉलिवुड द्वारा दिया जा रहा ‘सॉफ्ट पॉयजन’ कारणीभूत है । ऐसी युवतियां बॉलिवुड की आंतरधर्मीय विवाह करनेवाली अभिनेत्रियों को आदर्श मानती हैं । उसके पीछे काला पक्ष समझती नहीं । ‘शाहरूख’की गौरी होने का प्रयत्न करती हैं; परंतु उन्हें यह समझ में नहीं आता कि उनका ‘शाहरूख’ पंक्चर निकालनेवाला है । आज धर्मांधों को हिन्दू युवतियों को फांसकर लाने का प्रशिक्षण दिया जाता है । उसके लिए पैसे उडेले जाते हैं । हिन्दू युवकों को मंदिर के पुजारी ऐसा कुछ भी नहीं कहते । हिन्दू युवती भ्रमित होने के पीछे बॉलिवुड, सोशल मीडिया, ओटीटी प्लैटफॉर्म एवं टीवी पर आनेवाले विज्ञापन कारणीभूत हैं ।

काजलजी ने आगे कहा, आज अपने मंदिरों से हिन्दुओं को धर्मशिक्षा देने की व्यवस्था नहीं; जबकि मदरसों में धर्म सिखाने के साथ-साथ लडने का प्रशिक्षण भी दिया जाता है । हमें अहिंसा की जन्मघुट्टी पिलाकर तेजहीन करने का षड्यंत्र चालू है । आज विविध प्रकार के जिहाद के लिए मौलानाओं को धन की दिया जा रहा है; जबकि हिन्दू धर्मियों द्वारा मंदिरों को दी गई धनराशि सरकार लूट रही है । इस कारण हिन्दू समाज दुर्बल हो गया है । हिन्दू समाज को इतनी क्षति तो मुगलों और अंग्रेजों ने भी पहुंचाई, जितनी कांग्रेसी, सेक्युलरवादी सरकारों सहित कम्युनिस्ट इतिहासकार एवं ईसाई शिक्षाप्रणाली ने की है । इस संदर्भ में हिन्दू संगठनों को घर-घर जाकर प्रबोधन करने की आवश्यकता है । हिन्दू बंधुओं को भी किसी न किसी हिन्दू संगठन से जुडना होगा । युवावस्था में हार्मोनल चेंजेस होने से वे भावनिक एवं संवेदनशील हो जाते हैं; इसलिए महिला संगठनों को प्रत्येक महिने में एक बार तो विद्यालयों में जाकर 12-13 वर्षीय लडकियों का ‘लव जिहाद’के संकट के बारे में प्रबोधन करना चाहिए, ऐसा आवाहन भी काजलजी ने किया ।

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