आस्था बनाम विज्ञान को लेकर चल रही बहस के बीच इसरो के पूर्व अध्यक्ष जी माधवन नायर की टिप्पणी सामने आई है। उन्होंने सोमवार को कहा कि अल्बर्ट आइंस्टीन जैसे महान वैज्ञानिकों का भी मानना था कि ब्रह्मांड से परे भी कुछ है और उन्होंने इसे भगवान या निर्माता के रूप में संदर्भित किया है।
चंद्रयान-3 के प्रक्षेपण के सिलसिले में इसरो के वैज्ञानिकों के मंदिरों का दौरा करने को लेकर सोशल मीडिया पर छिड़ी बहस के बीच नायर ने कहा कि इसमें कुछ भी गलत नहीं है। इसरो प्रमुख एस सोमनाथ का समर्थन करते हुए नायर ने कहा कि वह धार्मिक मान्यताओं और वैज्ञानिक सोच पर उनके रुख से पूरी तरह सहमत हैं।
Even Einstein referred to a force as God, former #ISRO chairman says, justifying temple visits by scientistshttps://t.co/VyUzsd4B7y
— The Indian Express (@IndianExpress) August 29, 2023
नायर ने कहा, ‘यह मूल रूप से मौलिक सत्य की खोज का सवाल है। कोई बाहरी दुनिया को देखता है, समझने की कोशिश करता है कि यह क्या है। दूसरा आंतरिक रूप से देख रहा है और यह समझने की कोशिश कर रहा है कि स्वयं क्या है और यह कहां विलीन हो जाता है।’
उन्होंने खुद को तनाव से मुक्त करने के लिए प्रार्थना करने और पूजा स्थलों पर जाने को एक विधि के रूप में उचित ठहराया। उन्होंने कहा, ‘प्रार्थनाएं मानसिक संतुष्टि पाने के लिए होती हैं। जब भी हम एक जटिल वैज्ञानिक मिशन का पालन कर रहे होते हैं, तो बहुत सारी बाधाएं और समस्याएं होती हैं और चीजें किसी भी समय गलत हो सकती हैं। इसलिए शांत दिमाग रखें और फिर देखें कि वास्तविक समय में क्या हो रहा है, ताकि आपके निर्णय लेने की प्रक्रिया सटीक और समय पर हो सके, प्रार्थना और पूजा और ये सभी चीजें मदद करती हैं।’
नायर ने कहा कि इस तरह की प्रार्थनाएं और मान्यताएं किसी विशेष धर्म तक सीमित नहीं हैं और कोई भी पूजा करने के अपने तरीकों का पालन कर सकता है। उन्होंने कहा कि देश में हर नागरिक को अपनी सोच का पालन करने, मन के बारे में दार्शनिक सोच और किसी विशेष दर्शन का अनुसरण करने से प्राप्त होने वाली आत्म-संतुष्टि का अपना अधिकार है।
चंद्रमा पर लैंडिंग वाले स्थान का नाम ‘शिव शक्ति’ रखने के पीछे के विवाद के बारे में नायर ने कहा कि यह विवाद पूरी तरह से गलत व्याख्या पर आधारित है। उन्होंने कहा कि ‘शक्ति’ उस शक्ति को संदर्भित करता है जो इस ब्रह्मांड के निर्माण के पीछे है।
नायर ने कहा, हमारे पंडितों और ऋषियों ने इसका नाम शिव रखा। हमारे पुराणों ने इसे एक रूप दिया, क्योंकि लोग बल की अवधारणा को समझ नहीं सकते थे, और इस तरह मानव रूप और कैलास सभी आए। यह एक अलग मामला है। अंतर्निहित सिद्धांत शक्ति है और हमें इसके लिए धार्मिक उद्देश्यों को जिम्मेदार नहीं ठहराना चाहिए।
सोमनाथ ने चंद्रयान-3 के लैंडिंग स्थल का नाम ‘शिव शक्ति’ रखने के मुद्दे को तवज्जो न देते हुए कहा कि चंद्रमा पर उन स्थानों के नाम रखना परंपरा का हिस्सा है जहां किसी देश ने कुछ प्रयोग किए हैं। रविवार को तिरुवनंतपुरम में एक मंदिर का दौरा करने के बाद सोमनाथ ने कहा कि यह पहली बार नहीं है कि भारत ने चंद्रमा पर किसी साइट का नाम रखा है।
उन्होंने कहा, ‘चंद्रमा पर पहले से ही कई स्थल हैं जिनका नाम भारत के स्थानों के नाम पर रखा गया है। इसमें गैर-भारतीय नाम भी हैं। हर देश वहां एक साइट का नाम दे सकता है। हमारे यहां ‘साराभाई क्रेटर’ है। प्रत्येक राष्ट्र चंद्रमा पर हर छोटी साइट का नाम देता है जहां उन्होंने कुछ प्रयोग किए हैं। यह एक परंपरा है।’
स्रोत : अमर उजाला