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हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. रमेश शिंदे का सकल हिन्दू समाज, रत्नागिरी की ओर से सार्वजनिक सम्मान !

श्री. रमेश शिंदे का सम्मान करते हुए उद्योगपति श्री. तुषार देवळेकर एवं अन्य हिन्दुत्वनिष्ठ

रत्नागिरी – आज विश्व में जितने भी राष्ट्र हैं, वे सभी धर्म के आधार पर हैं । केवल भारत देश ‘सेक्युलर’ है । पाकिस्तान एवं बांगलादेश स्वतंत्र होने पर उनका ‘इस्लामी रिपब्लिक’ के रूप में उदय हुआ, फिर भारत ‘हिन्दू रिपब्लिक’ क्यों नहीं हुआ ? वास्तव में देखा जाए, तो जग भर में कोई भी संविधान उस देश के बहुसंख्यकों के लिए होता है, अल्पसंख्यकों के लिए नहीं । भारत ही जगभर में एकमेव देश है जहां सभी अधिकार अल्पसंख्यकों को दिए जाते हैं, बहुसंख्यकों को कुछ नहीं । बहुसंख्यकों को कोई पूछता ही नहीं । इसी परिस्थिति का लाभ उठाते हुए हिन्दू धर्म, संस्कृति, परंपरा आदि पर प्रहार किए जा रहे हैं । ‘लव जिहाद’, ‘लैंड जिहाद’, ‘हलाल जिहाद’ आदि अनेक जिहादों के माध्यमों से हिन्दुओं पर आघात किए जा रहे हैं । इन सभी आघातों पर एकमेव उपाय है ‘हिन्दू राष्ट्र की स्थापना’, ! इसलिए हम हिन्दूहित के लिए संविधान बना सकते हैं, ऐसा विश्वास हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. रमेश शिंदे ने व्यक्त किया ।

शहर के जयेश मंगल पार्क में सकल हिन्दू समाज, रत्नागिरी की ओर से हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. रमेश शिंदे का सार्वजिनक सम्मान किया गया । उस समय श्री. शिंदे ‘हिन्दू धर्म पर सभी आघातों पर उपाय हिन्दू राष्ट्र’ इस विषय पर बोल रहे थे ।
श्री. रमेश शिंदे का सम्मान प्रमुख अतिथि उद्योगपति श्री. तुषार देवळेकर ने शाल, श्रीफल, पुष्पगुच्छ एवं ढाल-तलवार की प्रतिमा भेट देकर किया । इस समय व्यासपीठ पर श्री शिवप्रतिष्ठान हिन्दुस्थान के रत्नागिरी तालुकाध्यक्ष श्री. राकेश नलावडे, जनजागृति संघ के श्री. केशव भट एवं राष्ट्रीय सेवा समिति के जिलाध्यक्ष, इसके साथ ही सागरी सुरक्षा मंच के जिलाध्यक्ष श्री. संतोष पावरी भी उपस्थित थे।

मान्यवरों के हस्तों दीपप्रज्वलन एवं श्री. रमेश शिंदे के हस्तों छत्रपति शिवाजी महाराजी की प्रतिमा को पुष्पहार अर्पण कर, कार्यक्रम का प्रारंभ किया गया । श्री. चंद्रकांत राऊळ ने श्री. रमेश शिंदे की पहचान करवाई । कार्यक्रम का सूत्रसंचालन कु. मिथिला वाडेकर ने किया । इस कार्यक्रम में सर्वश्री अभय दळी, ओंकार रहाटे, अमर कीर, दीपक देवल, प्रभाकर खानविलकर, तेजस साळवी, शुभम जोशी, विनोद गादीकर, संजय जोशी आदि सहित २५० लोग उपस्थित थे ।

यह सम्मान सभी का है ! – रमेश शिंदे

सम्मान को उत्तर देते हुए श्री. रमेश शिंदे बोले, डॉ. जाकिर नाईक को भारत बाहर खदेडने के विषय में एवं म.फि. हुसैन विरोधी आंदोलन करने के लिए मुझे सम्मानित किया जाएगा, ऐसे मुझे कभी नहीं लगा था । यह कार्य मुझ अकेले का नहीं है । इसके पीछे अनेकों की प्रेरणा एवं सहयोग है । यह सम्मान उन सभी का है ।

श्री. रमेश शिंदे आगे बोले,

१. मैं त्रिपुरा, मेघालय, अरुणाचल प्रदेश, असम, ओडिशा, बंगाल एवं झारखंड राज्यों में घूमा । वहां हिन्दू धर्म एवं हिन्दुत्व की संकल्पना भी लोगों को पता नहीं है । मुझे इन क्षेत्रों के राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारकों को दाद देने का मन करता है; कारण वे अपने प्राण संकट में डालकर कार्य कर रहे हैं । समाज को राष्ट्रीयता की ओर ले जाने का प्रयत्न कर रहे हैं ।

२. आज अनेक प्रकार के ‘जिहाद’ शुरू हैं । इनमें से एक है ‘हलाल जिहाद’ ! हलाल, मांस से संबंधित है । हम बाजार से जो खाद्यपदार्थ लेते हैं, उस पर हरी मुहर होती है, यह समझने के लिए कि ‘वे खाद्यपदार्थ १०० प्रतिशत शाकाहारी हैं ! वह किसलिए है ?, ऐसा प्रश्न हमारे मन में नहीं उठता । केवल खाद्यपदार्थ ही नहीं, अपितु जिनका खाने से कोई भी संबंध नहीं, ऐसी अनेक वस्तुएं आज ‘हलाल’ प्रमाणिकीकरण हो गई हैं । ‘हलाल जिहाद’ इस देश की अर्थव्यवस्था पर आघात है । हमें यह समझकर देश की अर्थव्यवस्था टिकाने के लिए सतर्कता से खरीदी करनी चाहिए ।

३. आज ‘जमियत ए उलेमान’ नामक संगठन २०२८ तक सवा करोड मुसलमानों की फौज तैयार करने का ध्येय रखकर कार्यरत है । इन्हें पैसा कहां से आता है ? इतना ही नहीं, अपितु ‘इस्लामिक कॉइन’ निकाले गए हैं । ‘हलाल शेयर मार्केट’ शुरू है ।

४. इसके साथ ही ‘लव जिहाद’का भयावह संकट भी हमारे सामने है । जिस देश में छत्रपति संभाजी महाराज ने अत्यधिक यातनाएं सहन करते हुए प्राणों का त्याग किया; परंतु धर्म नहीं बदला, रानी पद्मिनी ने, १ सहस्र ६०० महिलाओं के साथ जौहर किया । उस समय ऐसे जौहर अनेक स्थानों पर हुए; परंतु उन्होंने धर्म नहीं बदला । जिन माता-बहनों ने धर्म के लिए प्राणत्याग किया, उन्हीं माता-बहनों का आज सलमान खान प्रिय सितारा कैसे हो सकता है ? अपनी मां-बहनों को सुरक्षित रखने के लिए ‘लव जिहाद’के विषय को समझकर उस विषय में जागृत रहना अत्यंत आवश्यक है ।

५. ये सभी समस्याएं ऐसे ही समाप्त नहीं होंगी । उनका सामना करना होगा । हमारे यहां लडने की परंपरा है । छत्रपति शिवाजी महाराज, छत्रपति संभाजी महाराज, वीर सावरकर, क्रांतिकारी, इन सभी ने कठोर संघर्ष ही किया |

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