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नागपुर में मंदिर विश्वस्तों का संगठित रूप से धर्मकार्य करने का निर्धार !

उपस्थितों को संबोधित करते हुए १. श्री. अतुल आर्वेनला

नागपुर – श्री सिद्धिविनायक मंदिर, नरेंद्रनगर एवं हिन्दू जनजागृति समिति, नागपुर के संयुक्त विद्यमान में नरेंद्रनगर के श्री सिद्धिविनायक मंदिर में मंदिर विश्वस्तों की चौथी बैठक संपन्न हुई । उसमें ७४ सदस्य एवं विश्वस्त उपस्थित थे । बैठक में सभी का उत्स्फूर्त सहभाग था । सभी का कहना था कि ऐसी बैठकें नियमित होनी चाहिए ।

इस अवसर पर प्रत्येक का कहना था कि अपने मंदिर में वस्त्रसंहिता लागू करना, धर्मशिक्षावर्ग आरंभ करना, मंदिर के फलक पर धर्मशिक्षा संबंधी सूत्र लिखना, मंदिर में देवी-देवता एवं धर्मशिक्षा की जानकारी देनेवाले फ्लेक्स लगाना, सामूहिक आरती, सामूहिक गुढीपूजन, विविध मंदिरों में माह में एक बार बैठक लेना, सरकारीकरण हुए मंदिर पुन: भक्तों के सुपूर्द करना, इन मुहिमों में सम्मिलित होंगे ।
‘अपने परिसर के सभी मंदिरों में जाना और आपसी निकटता निर्माण करना’  इस विषय पर भी चर्चा हुई । नागपुर जिले के सभी मंदिरों के विश्वस्तों ने जिलास्तरीय मंदिर अधिवेशन लेना सुनिश्चित किया और कहा कि इसमें यहां के सभी मंदिर विश्वस्तों को सम्मिलित करेंगे ।
श्री सिद्धिविनायक मंदिर के विश्वस्त श्री. योगेश मेडसिंघे के सहयोग से एवं नेतृत्व लेने से यह बैठक संपन्न हुई । बैठक को समिति के श्री. अतुल आर्वेनला ने संबोधित किया । उस अवसर पर सर्वश्री मेडसिंघे, पाटणे, जुर्वे, कुळकर्णी, घोष, बांधवकर, जोशी, राजकारणे, नारनवरे, यादव, नागपुरकर, दळवी एवं श्रीमती अगस्ती आदि मान्यवर उपस्थित थे ।

मंदिर विश्वस्तों द्वारा प्रस्तुत विचार !

१. ‘वक्फ बोर्ड’ बंद होना चाहिए; कारण अनेक मंदिरों की भूमि हडप ली गई हैं ।
२. मंदिर विश्वस्ताें को मन से एकत्र आना चाहिए ।
३. विदर्भ के मंदिरों की जानकारी एकत्र कर, सभी को एक-दूसरे के संपर्क में रहना चाहिए ।
४. बडे मंदिरों को छोटे मंदिरों को आर्थिक अथवा अन्य सहायता करनी चाहिए ।
५. ईश्वर के चरणों में धन अर्पण करना, यह सबसे बडी और सुरक्षित ‘सेविंग’ है । ‘वही हमारी रक्षा करेंगे’, यह भाव सभी के मन में निर्माण होना चाहिए ।
६. सभी संप्रदायों को संकुचित न रहते हुए ‘एक हिन्दू’ के रूप में एकत्र आना चाहिए ।

​ विशेष मनोगत !

१. ‘आज की बैठक समान बैठकें होनी चाहिए’, ऐसा अनेक वर्षों से इच्छा थी । – श्री. कुळकर्णी, हनुमानमंदिर, नरेंद्रनगर.
२. हिन्दुओं की शोभायात्राओं एवं मंदिरों पर आक्रमण होते हैं । तब लोकप्रतिनिधि कुछ भी नहीं करते । अपनी रक्षा हमें ही करनी होगी । उसके लिए हिन्दुओं को संगठित रहना आवश्यक है । उसके लिए निधि एकत्र करना भी उतना ही आवश्यक है । – श्री. मुकुल बांधवक

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