मुंबई – भारत का इतिहास गौरवशाली रहा है। बड़ी मात्रा में धन संपदा होने के कारण एक समय भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था।माना जाता है कि इस धनसंपदा के कारण ही विदेशियों ने देश पर आक्रमण किया था। इसी कारण पहले मुगलों और फिर अंग्रेजों ने यहां शासन किया। ब्रिटिश राज ने भारत की बहुमूल्य वस्तुओं (पेंटिंग, कलाकृतियां, मूर्तियां,स्वर्ण सिंहासन,हीरे-जवाहरात) को लूटा या जबरन हासिल किया।अंग्रेज देश के ऐतिहासिक महत्व और शान की प्रतीक इन वस्तुओं/कलाकृतियों को अपने साथ लेकर गए थे जिसे आजादी के बाद से वापस लाने के प्रयास किए जा रहे हैं। इनमें से ज्यादातर कलाकृतियों को ब्रिटेन में विभिन्न संग्रहालयों में सहेजा गया है।इस कड़ी में छत्रपति शिवाजी के वाघ नख की शीघ्र ही देश वापस लाया जाएगा।
जिस खंजर से छत्रपति शिवाजी महाराज ने अफजल खान का वध किया था, उस ‘वाघ नख’ को ब्रिटेन से वापस लाया जाएगा। ब्रिटेन के अधिकारी उस खंजर को वापस देने के लिए राज़ी हो गए हैं। महाराष्ट्र सरकार इसे वापस लाने की तैयारी कर रही है।
भारत के गौरव का प्रतीक शिवाजी महाराज ने 1659 में इस वाघ नख से ही बीजापुर सल्तनत के सेनापति अफजल खान को मौत के घाट उतारा था।यह वाघ नख भारत की अमूल्य धरोहर है और छत्रपति शिवाजी के शौर्य की याद दिलाती थी। महाराष्ट्र के सांस्कृतिक मामलों के मंत्री सुधीर मुनगंटीवार ने बताया, ‘हमें ब्रिटेन के अधिकारियों से एक पत्र मिला है जिसमें इसमें कहा गया है कि वे छत्रपति शिवाजी महाराज का वाघ नख वापस देने पर राजी हैं।’ सांस्कृतिक मंत्रालय के अनुसार,मुनगंटीवार के साथ मंत्रालय के दो प्रमुख अधिकारी लंदन जाएंगे और वाघ नख को भारत में वापस लाने के लिए आवश्यक प्रक्रिया पूरी करेंगे।
बाघ के पंजों से प्रेरणा लेकर बना ‘वाघ नख’
‘वाघ नख’ हथेली में छुपाकर पहना जाने वाले लोहे का हथियार है जिसे बाघ,सिंह और चीते जैसी जंगली जानवर के पंजों से प्रेरणा लेकर बनाया गया था। ये अंगुली के जोड़ों पर पहना जाता है। इसमें चार नुकीले कांटे होते हैं जो कि लोहे के आधार से फिक्स होते हैं। इन कांटों से दुश्मन के सीने को निशाना बनाया जाता है। वाघ नख’के कांटे इतने नुकीले होते हैं कि इसके हमले से दुश्मन की मौत होना तय है। लंबे कद और मजबूत कद काठी के अफजल खान ने छ. शिवाजी महाराज को मिलने के लिए बुलाया था। उसकी योजना छोटे कद लेकिन फौलादी इरादों वाले महाराज से गले मिलने के बहाने उन्हें बांहों में भरकर जान लेने की थी लेकिन मराठा छत्रप ने खतरे को भांप लिया। जैसे ही अफजल ने बांहों में भरकर दबाने की कोशिश की, किंतु छ. शिवाजी ने वाघ नख से उसके सीने को चीर दिया था।
छत्रपति शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक की 350वीं वर्षगांठ मनाई जाएगी
रायगढ़ जिले के खारघर में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह की उपस्थिति में आयोजित एक कार्यक्रम में मुनगंटीवार ने कहा कि छ। शिवाजी महाराज के राज्याभिषेक की 350वीं वर्षगांठ जल्द ही मनाई जाएगी। उन्होंने कहा मैंने ‘जगदंबा’ तलवार और ‘वाघनख’ (बाघ के पंजे की तरह दिखने वाला खंजर) उपलब्ध कराने पर ब्रिटिश उप उच्चायुक्त एलन जेमेल और राजनीतिक द्विपक्षीय मामलों के उप प्रमुख, इमोजेन स्टोन के साथ चर्चा की थी।
It was a pleasure meeting @alangemmell, Dy.
High Commissioner Western India and Imogen Stone, Dy. Head, Political and Bilateral Affairs. The discussion revolved around bringing Jagadamb sword and Tiger Claws back to India for #350YearsOfShivrajyabhishek pic.twitter.com/zX2qQBTxBv— Sudhir Mungantiwar (@SMungantiwar) April 15, 2023
स्रोत : जागरण