धर्म परिवर्तन के दोनों आरोपितों को जमानत देते हुए जज शमीम अहमद ने यह भी कहा कि ऐसे मामलों में केवल पीड़ित व्यक्ति या उसके परिवार का सदस्य ही एफआईआर दर्ज करवा सकता है। जबकि इस मामले में भारतीय जनता पार्टी के जिला मंत्री ने शिकायत दर्ज की थी।
उत्तर प्रदेश गैरकानूनी धर्म परिवर्तन निषेध अधिनियम २०२१ का उल्लेख करते हुए जज ने बताया:
“शिकायतकर्ता सत्ताधारी पार्टी का जिला मंत्री है। वो न तो पीड़ित व्यक्ति है, न ही उसका माता-पिता, भाई, बहन या कोई ऐसा व्यक्ति है, जो पीड़ित के साथ खून के रिश्ते में है, या विवाह अथवा गोद लिए हुए रिश्ते में है, इसलिए उत्तर प्रदेश गैरकानूनी धर्म परिवर्तन निषेध अधिनियम २०२१ की धारा ४ के तहत वो (शिकायतकर्ता) इस मामले में एफआईआर दर्ज करने के लिए भी सक्षम नहीं है।”
Distributing Bible, encouraging children to get education do not amount to allurement for religious conversion: Allahabad High Court
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— Bar & Bench (@barandbench) September 7, 2023
उत्तर प्रदेश के अंबेडकर नगर जिले में २४ जनवरी २०२३ को इस मामले में शिकायत दर्ज करवाई गई थी। पुलिस ने इसके बाद २ आरोपितों जोस पापाचेन और शीजा को गिरफ्तार किया था। दोनों पर आरोप था कि ये गाँव में जाकर अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति समुदाय के लोगों को ईसाई धर्म में परिवर्तित होने के लिए लालच देते थे।
जेल में बंद दोनों आरोपित इससे पहले भी जमानत के लिए अदालत गए थे। इस साल मार्च में इन दोनों को अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम, १९८९ के तहत विशेष न्यायाधीश ने जमानत देने से इनकार कर दिया था। इसके बाद ये लोग इलाहाबाद हाई कोर्ट गए, जहाँ जज शमीम अहमद ने दोनों पक्षों के वकीलों की बात सुन जमानत दी।
इलाहाबाद हाई कोर्ट में आरोपितों के वकील ने तर्क दिया कि ये दोनों केवल अच्छी शिक्षा के लिए प्रेरणा दे रहे थे, लोगों में बाइबल बाँट रहे थे, गाँव के लोगों को जमा कर सभा आयोजित कर रहे थे और ‘भंडारा’ करा रहे थे। वकील के अनुसार इन सारे कामों को धर्म परिवर्तन के लिए लालच नहीं कहा जा सकता है।
इस मामले में सरकारी पक्ष के वकील ने जमानत का विरोध करते हुए तर्क दिया कि आरोपित उत्तर प्रदेश में ईसाई राज्य स्थापित करना चाहते थे। ये अन्य धर्मों के लोगों को ईसाई धर्म में परिवर्तित करने के लिए अनुचित प्रभाव से लोगों को लुभा रहे थे, गाँव वालों पर मनोवैज्ञानिक दबाव बना रहे थे।
शिक्षा के नाम पर ईसाई बनाने का खेल नया नहीं
२-३ महीने पहले की ही घटना है। झारखंड के पश्चिमी सिंहभूम जिले में शिक्षा की आड़ में ईसाई धर्मांतरण हो रहा था। धर्म-परिवर्तन की साजिश वहाँ भी बच्चों को फ्री शिक्षा के बहाने की जा रही थी। फ्री में किताबें और पेंसिल के साथ-साथ ईसाई मत की किताबें भी बाँटी गई थी।
स्कूलों में ईसाई धर्मांतरण का खेल कैसे खेला जाता है, इस जाल में कैसे बच्चे और उनके परिवार वाले फँसते हैं, कैसे छात्र-छात्राओं को यौन शोषण के दलदल में फँसाया जाता है, ऐसे १५ मामलों की लिस्ट हमने पिछले साल बनाई थी। इस लिस्ट में भी सिर्फ वही मामले हैं, जो मीडिया में आ पाए। सच्चाई यह है कि न जाने कितने बच्चे-परिवार ऐसे हैं, जो लालच में आकर ईसाई बन भी गए और खो भी गए।
स्त्रोत : ऑप इंडिया