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विनयभंगके झूठे परिवादके कारण जनपद सांगलीके प.पू. ईश्वरबुवा रामदासीको रात्रिमें बंदी एवं मुक्ति

ज्येष्ठ कृष्ण १२ , कलियुग वर्ष ५११५

यह संदेह है कि राष्ट्रवादी कांग्रेससे संबंधित किसीने पुलिसकी सहायता लेकर प.पू. ईश्वरबुवा रामदासीको उसमें फंसाया है !

  • इस स्थितिमें परिवर्तन लाने हेतु हिंदू राष्ट्रकी स्थापना करें !

  • इस प्रकारके पुलिसकर्मियोंके नाम सनातन प्रभातको सूचित करें । हिंदू राष्ट्रमें इस प्रकारके पुलिसकर्मियोंपर अधिनियमके अनुसार कडी कार्रवाई की जाएगी !

  • हिंदू संतोंके ऊपर किए गए झूठे परिवादके कारण त्वरित कृत्य करनेवाले हिंदुद्रोही पुलिस हिंदूनिष्ठोंके सच्चे परिवादोंकी ओर अनदेखा करते हैं !

  • हिंदुओ यह ध्यानमें रखें कि वैचारिक दृष्टिसे मुसलमान बने कांग्रेसके राज्यमें इस प्रकारकी कार्रवाई कभी मुल्ला-मौलवी अथवा पादरियोंपर नहीं की जाती !

विटा (जनपद सांगली) – यहांकी एक विवाहित महिलाद्वारा २ जूनको किए गए झूठे परिवादके कारण चिंचणी-वांगी पुलिसद्वारा भालवनीके अमरनाथ मठके प्रमुख प.पू. ईश्वरबुवा रामदासी उपाख्य प.पू. दादा महाराज, उनके पिता महादेव पाटोळे तथा उनके सहकारी पू. मौनी महाराजको ३ जूनकी रात्रि १ बजे मठमें जाकर बंदी बनाया गया । ( पिछले अनेक वर्षोंसे प.पू. ईश्वरबुवा रामदासी भालवनीमें ही निवास कर रह हैं, ऐसे होते हुए भी उन्हें इतनी मध्य रात्रिमें बंदी बनानेका क्या कारण ? इसी प्रकार हिंदुओंके शंकराचार्य स्वामी जयेंद्र सरस्वतीको भी दिवालीकी प्रातः हत्याके झूठे अपराधके आरोपमें बंदी बनाया गया था । हिंदू असंगठित होनेके कारण ही इस प्रकार उनके संतोंके साथ अमानवीय व्यवहार किया जाता है । – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात ) तत्पशात ४ जूनको प.पू. ईश्वरबुवा रामदासी महाराज तथा अन्य दोनोंको कडेगांव न्यायालयद्वारा जमानत स्वीकार कर तीनोंको मुक्त करवाया गया । न्यायालयमें अधिवक्ता प्रशांत यशवंत यादवद्वारा प.पू. ईश्वरबुवा रामदासी महाराजका पक्ष प्रस्तुत किया गया ।

१. परिवादी महिलाद्वारा बताया गया है कि २ जूनको दोपहर ३ बजे वह गट क्रमांक २५३ में जानवरोंके लिए घास काट रही थी । उस समय वहांकी मेंडसे प.पू. ईश्वरबुवा रामदासी उपाख्य प.पू. दादा महाराज, उनके पिता महादेव पाटोळे तथा उनके सहकारी पू. मौनी महाराज जा रहे थे । उन्हें पथसे जानेके लिए मना करनेपर उपर्युक्त तीनोंने झडपा-झडपी कर लज्जास्पद आचरण किया । अन्य दोनोंने अपशब्द बोलकर डांट-डपट किया ।
२. इस परिवादके कारण प.पू. ईश्वरबुवा रामदासीपर धारा ३५४, ३२३, ५०४, ५०६, ३४ के अनुसार अपराध प्रविष्ट कर बंदी बनाया गया है । ( आजतक पुलिसने हिंदू संत तथा विभिन्न हिंदूनिष्ठ संगठनोंद्वारा अनेक बार निवेदन प्रस्तुत किया जानेपर भी हिंदू देवताओंकी खिल्ली उडानेवाले डॉ. जाकिर नाईकको बंदी नहीं बनाया । हिंदूद्वेषी मकबूल फिदा हुसेनके विरोधमें १ सहस्र २५० से अधिक परिवाद प्रविष्ट होनेपर भी पुलिसद्वारा उनपर कार्यवाही नहीं की गई; किंतु एक महिलाका परिवाद प्रविष्ट होते ही उसकी निश्चिती करनेसे पहले ही पुलिस हिंदू संतोंको बंदी बनाती है । इस बातसे पुलिसका हिंदूद्वेष ही स्पष्ट हो रहा है ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
३. यह सारा प्रकरण मठके परिसरमें होनेवाली भूमि विवादके कारण उत्पन्न हुआ है । आश्रमके परिसरमें पथ निर्माण करनेके लिए प.पू. ईश्वरबुवा रामदासी तथा वहांके ग्रामवासी दो वर्षोंसे प्रयास कर रहे हैं ।
इस संदर्भमें २४ मई २०१३ को जनपद प्रशासन तथा पुलिस अधीक्षकको निवेदन प्रस्तुत किया गया था । उसमें यह उल्लेखित किया गया था कि शासकीय आदेश होते हुए भी सुहास शिंदे एवं वैभव शिंदेके साथ कुछ लोग ग्रामवासियोंको मारनेकी धमकी दे रहे हैं, साथ ही पथ निर्माण न हो, इसलिए प्रयास कर रहे हैं । यदि पथका कार्य आरंभ नहीं हुआ, तो ४ जूनको मातंग सेवा संघ तथा भालवनीके ग्रामवासी आत्मदाह करेंगे । ( इस बातपर प्रशासनकी ओरसे क्या कार्यवाही की गई ? क्या उन्होंने निवेदनको कूडेदान दिखाया ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात ) इस संदर्भके सर्व निर्णय ग्रामवासियोंके पक्षमें होनेके प्रमाण भी पुलिस तथा प्रशासनको प्रस्तुत किए गए थे । सांगलीमें निवेदन प्रदान करने हेतु प.पू. ईश्वरबुवा रामदासी उपस्थित थे । ( एक संत एवं ग्रामवासियोंद्वारा मांग किए गए पथका कार्य निरंतर दो वर्ष पीछा करनेपर भी नहीं होता; किंतु केवल एक महिलाके परिवादके कारण हिंदू संतोंको त्वरित बंदी बनाया जाता है, यह कांग्रेसकी मुगलाई ही है ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
४. दो वर्ष पहले भी इसी प्रकार एक व्यक्तिके झूठे परिवादके आधारपर इसी पुलिस थानेमें पुलिसद्वारा प.पू. ईश्वरबुवा रामदासीको कष्ट देनेका प्रयास किया गया था । उस समय संबंधित महिलाद्वारा बताया गया था कि उनके विरोधमें मेरा कोई भी परिवाद नहीं है । प.पू. ईश्वरबुवा रामदासी निर्दोष हैं ।
५. प. पू. ईश्वरबुवा रामदासी तथा ग्रामवासियोंकी दो दिन पहले ही सांगली पुलिस मुख्यालयके किसी पुलिस अधिकारीसे भेंट हुई थी । उस समय उस पुलिस अधिकारीने सर्व कागजात देखकर प.पू. ईश्वरबुवा रामदासीका पक्ष योग्य है, इस बातको स्वीकार भी किया था । साथ ही प्रस्ताव स्वीकार करने हेतु अनुकूलता भी प्रदर्शित की थी ।
६. इस प्रकारकी सूचना प्राप्त हुई है कि स्थानीय प्रशासनद्वारा मंगलवार, ४ जूनको पथका निर्माणकार्य आरंभ करनेको स्वीकार किया गया था । अतः वहांके ग्रामवासियोंने पुलिस सुरक्षाके लिए ३ जूनको धन भी इकट्ठा किया था तथा ४ जूनको प्रातः पथका कार्य आरंभ होनेवाला था । ऐसा होते हुए भी वहांके राष्ट्रवादी कांग्रेससे संबंधित किसी अपराधी प्रवृत्तिके व्यक्तिद्वारा अपने संबंधी महिलाको विनयभंगका परिवाद प्रस्तुत करनेके लिए विवश किया गया । ( यह है राष्ट्रवादी कांग्रेसका वास्तविक रूप ! आज राज्यमें सर्वाधिक गुंडेके रूपमें राष्ट्रवादी कांग्रेसका ही नाम लगातार सामने आ रहा है । यदि इस प्रकारकी गुंडा प्रवृत्तिके कार्यकर्ता  दलके पास गृहमंत्रीपद है, तो क्या हिंदुओंको कभी न्याय प्राप्त हो सकता है ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )

मातंग सेवा संघद्वारा शिंदे परिवारपर कडी कार्रवाई करनेकी मांग !

मातंग सेवा संघकी ओरसे यह प्रसिद्धिपत्रक निकाला गया कि ‘कडेगांव तहसीलके रामापुरमें शिंदे परिवारद्वारा प.पू. ईश्वरबुवा रामदासी महाराजपर विनयभंगका परिवाद कर झूठा अपराध प्रविष्ट किया गया । इस कृत्य सांगली जनपद मातंग सेवा संघ तीव्र विरोध कर रहा है ।  जनपद अधिकारी तथा जनपद पुलिस प्रमुखद्वारा इस झूठे परिवादकी जांच की जाए, साथ ही अपराधी प्रवृत्तिके शिंदे परिवारपर कडी कार्यवाई की जाए । यदि ऐसा न किया गया, तो मातंग सेवा संघद्वारा पूरे महाराष्ट्रमें आंदोलन किया जाएगा ।’ इस प्रसिद्धिपत्रकपर मातंग सेवा संघके युवक अघाडीके राज्य अध्यक्ष श्री. संदीप पाटोळे, उपाध्यक्ष श्री. संदीप चौहान, श्री. विनायक सदामते, सांगली जनपद अध्यक्ष श्री. निशांत आवळेकर, सर्वश्री आकाश पाटोळे, गणेश घाडगे, रोहित कांबळेके हस्ताक्षर हैं ।

पुलिसका झूठ स्पष्ट करनेवाले प.पू. ईश्वरबुवा रामदासीके भक्तोंद्वारा उपस्थित किए गए प्रश्न !

इस संदर्भमें प.पू. ईश्वरबुवा रामदासीके भक्तोंद्वारा यह पूछा गया कि इस पथके निर्माण कार्य हेतु पिछले १५ दिनोंसे हम प.पू. ईश्वरबुवा रामदासी महाराजके साथ हैं । २ जूनको प.पू. ईश्वरबुवा रामदासी हमारे साथ ही थे । ऐसा होते हुए भी पुलिसद्वारा इस महिलाके परिवादके विषयमें वास्तविकता क्या है, इस विषयकी साधारण जांच भी नहीं की गई । इस संदर्भमें बंदी बनाए गए पू. मौनीबाबाका पिछले १५ वर्षोंसे मौन धारण किए हुए हैं । अतः जिनका मौन है, वे अपशब्द से बोल सकते हैं ? यदि दो दिनोंसे हम संबंधित पुलिस थानेके संपर्कमें हैं, तो पुलिसने प.पू. ईश्वरबुवा रामदासीके विरोधमें प्रविष्ट किए गए परिवादकी सूचना हमें क्यों नहीं दी ? प.पू. ईश्वरबुवा रामदासीको उनका पक्ष प्रस्तुत करनेकी संधि न देकर सीधा बंदी क्यों बनाया गया ? इन प्रश्नोंके कारण पुलिसके अन्वषेणपर बडा प्रश्नचिन्ह उत्पन्न हुआ है !

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात

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