मध्यप्रदेश के धार स्थित भोजशाला में मां वाग्देवी सरस्वती की प्रतिमा प्रकट होने की बात सामने आई है। इसके बाद ताबड़तोड़ पुलिस प्रशासन अमला मौके पर पहुंचा और सुबह करीब चार बजे भोजशाला गर्भगृह से उक्त प्रतिमा को हटाकर गोपनीय स्थान ले जाया गया। इधर भोज उत्सव समिति का कहना है कि मूर्ति वापस नहीं लगाई जाती तो आगे आंदोलन किया जाएगा। दिनभर के घटनाक्रम के बाद दोपहर में प्रशासन ने भोजशाला बंद कर दी है। एएसपी ने मामले की जांच की बात कही है।
मामला धार शहर में स्थित भोजशाला का है। पूरे घटना के विषय में सोशल मीडिया पर उक्त प्रतिमा को लेकर एक वीडियो भी तेजी से वायरल हो रहा है, जिसे भोजशाला में प्रकट हुई मां वाग्देवी की प्रतिमा बताया जा रहा है। इस पूरे घटनाक्रम को लेकर पुलिस प्रशासन सतर्क हुआ और देर सवेरे पुरातत्व विभाग भी मौके पर पहुंचा। वहीं पुलिस अधिकारी जांच-पड़ताल में जुट गए।
अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक इंद्रजीत बाकलवार ने इसे साजिश बताया है तथा भोजशाला की सुरक्षा में लगी तार फेंसिंग को काटकर आधी रात में कुछ लोगों द्वारा उक्त घटना की गई है। इस पर पुलिस सीसीटीवी आधार पर जांच-पड़ताल में जुटी है, साथ ही उन्होंने सोशल मीडिया पर किसी भी प्रकार की आपत्तिजनक टिप्पणी या भ्रामक जानकारी फैलाने वाले पर कार्रवाई की बात कही है। इधर भोजशाला में स्थापित की गई मूर्ति बाहरी लोगों द्वारा स्थापित करना बताया जा रहा है। जिनके द्वारा एक प्रेस नोट भी जारी किया गया।
आंदोलन की चेतावनी
वहीं मामले में हिंदू संगठनों का कहना है कि अयोध्या के राम मंदिर में प्रकट हुए रामलाल की तर्ज पर मां की मूर्ति प्रकट हुई है। फिलहाल इस घटनाक्रम को लेकर भोज उत्सव समिति के संयोजक अशोक जैन ने कहा कि प्रशासन ने जो मूर्ति हटाई है उसे वहां पर वापस लाकर स्थापित करें। मा वाग्देवी प्रतिमा प्रकट होना हमारे लिए उत्साह का विषय है और हम यहां विधिवत पूजन करेंगे। प्रशासन ने मूर्ति को गुप्त स्थान पर स्थांनातरित कर दिया है। वापस मूर्ति नहीं लगाई जाती तो आगे आंदोलन किया जाएगा। इसकी जिम्मेदारी प्रशासन की रहेगी।
हिंदू संगठन भोजशाला को राजा भोज कालीन इमारत बताते हुए इसे सरस्वती का मंदिर मानते हैं। यहां राजवंश काल में यहां कुछ समय के लिए मुस्लिमों को नमाज पढ़ने की अनुमति दी गई थी। दूसरी ओर, मुस्लिम समाज का कहना है कि वो सालों से यहां नमाज पढ़ते आ रहे हैं। मुस्लिम इसे भोजशाला-कमाल मौलाना मस्जिद कहते हैं। वसंत पंचमी पर यहां सरस्वती का पूजन होता है। शुक्रवार को नमाज होती है। जब वसंत पंचमी और शुक्रवार एक साथ पड़ता है तब प्रशासन चिंता में पड़ जाता है।
स्रोत : अमर उजाला