कोल्हापुर (महाराष्ट्र) – आज सर्वत्र ही गणेशोत्सव एवं गौरी आगमन का उत्साह दिखाई दे रहा है । गणेशोत्सव, महाराष्ट्र के श्रद्धालुओं के लिए अत्यंत महत्त्वपूर्ण और संवेदनशील विषय है । श्री गणेश की मूर्ति हो अथवा गौरी की मूर्ति, उनके प्रति श्रद्धालुओं की आस्था-श्रद्धा होती है और उन्हें लगता है कि वह धर्मशास्त्रानुसार होनी चाहिए । ऐसा होते हुए भी शहर की कुछ दुकानों में बिक्री के लिए जो गौरी की मूर्ति हैं, वह पूर्ण वस्त्रों में नहीं है अथवा उनके शरीर पर पूर्ण वस्त्रों के रंग भी नहीं हैं । हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से व्यावसायिकों और दुकानदारों से मिलकर उनका प्रबोधन किया गया । उन्हें बताया कि गौरी की मूर्ति की ओर श्रद्धालु देवत्व की दृष्टि से ही देखते हैं, इसलिए ऐसी मूर्तियों के कारण श्रद्धालुओं की भावनाओं का अनादर हो रहा है । इसलिए गौरी की मूर्तियां पूर्ण वस्त्रों से ढकी हुई हों अथवा उन मूर्तिंयों पर साडी परिधान किए रंग भरे जाएं जिससे उनका अनादर न हो । इस प्रबोधन का दुकानदारों ने सकारात्मक प्रतिसाद देते हुए योग्य दक्षता लेने का आश्वासन दिया और कुछ ने तत्काल बताए अनुसार कृति भी की ।
समिति ने इन दुकानदारों का प्रबोधन करते हुए कहा, ‘‘किसी भी देवता की मूर्ति बनाते समय अथवा उसे बिक्री के लिए उपलब्ध करवाते समय जाने-अनजाने में कहीं उसका हमसे अनादर तो नहीं हो रहा है न, इसकी सावधानी लेना अत्यावश्यक है । आप भी हिन्दू हैं इसलिए हमें आशा है कि आप श्रद्धालुओं की भावनाओं को समझकर उस पर उचित कृति तत्काल करेंगे ।’’ इस अवसर पर हिन्दू जनजागृति समिति के कोल्हापुर जिला समन्वयक श्री. किरण दुसे, श्री. शिवानंद स्वामी एवं श्री. रवि पाटील उपस्थित थे ।