चैत्र शु. ८ , कलियुग वर्ष ५११४
हिंदुद्वेषी कांग्रेसद्वारा किए गए मंदिर सरकारीकरणका दुष्परिणाम !
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दलालोंके माध्यमसे कर्मचारी करते हैं अधिक पैसोंकी मांग !
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दर्शनकी प्रतीक्षामें भक्त खडे रहते हैं २१-२१ घंटे कतारमें !
तिरुपति (आंध्रप्रदेश ) – आंध्रप्रदेश राज्यमें स्थित श्री बालाजीका तिरुपति तिरुमला देवस्थान विश्वके गिने-चुने ऐश्वर्यसंपन्न मंदिरोंमेंसे एक है । प्रतिवर्ष लाखों भक्तगण देश-विदेशसे इस मंदिरके दर्शन हेतु आते हैं । इस मंदिरकी आर्थिक व्यवहार प्रतिवर्ष २ सहस्र करोड है । मंदिरमें ९८ विभिन्न विभाग हैं, जिसमें लगभग १० सहस्र कर्मचारी कार्यरत हैं ।
यह देवस्थान आर्थिक दृष्टिसे किसी राज्यके समान ही समझा जाता है; परंतु भगवानके दर्शनहेतु आनेवाले भक्तोंको श्रद्धाके नामपर आर्थिक दृष्टिसे लूटनेका मानो यहांके दलालोंका अलिखित नियम ही बन गया है । देवस्थानमें भ्रष्टाचार चरमसीमापर पहुंच गया है । देवस्थानके एक ज्येष्ठ अधिकारी एवं भक्तने बताया कि मंदिरमें दर्शन, प्रसाद, रहनेका प्रबंध तथा केशकर्तन समान प्रत्येक कृत्यके लिए भक्तोंसे दुगुने दाम लिए जाते हैं । (हिंदुद्वेषी कांग्रेसी शासकोंने इस मंदिरका सरकारीकरण किया है । यह इसी का एक उदाहरण है कि मंदिर भ्रष्ट शासकोंके नियंत्रणमें जानेके पश्चात, दुष्प्रवृत्तियां वहां भी कैसे प्रवेश करती हैं ! यह स्थिति परिवर्तित करनेके लिए हिंदु राष्ट्र स्थापित करना अनिवार्य है ! हिंदुओ, आपके मंदिर भक्तोंके नियंत्रणमें देने हेतु आप संगठितरूपसे आंदोलन छेडें ! – संपादक)
धार्मिक साहित्य प्रकाशन विभागद्वारा १५० करोड रुपयोंका भ्रष्टाचार !
अधिवक्ता श्रीनिवासद्वारा आरोप लगाया गया है कि देवस्थानकी ओरसे प्रकाशित होनेवाले धार्मिक साहित्यके विक्रय (बिक्री) केंद्र पहाडीपर हैं; परंतु इन केंद्रोंको सदैव ताले ही लगे रहते हैं । इसलिए भक्तोंको धार्मिक साहित्य क्रय करने हेतु मंदिरसे ५ किलोमीटर दूर जाना होता है । देवस्थानके प्रकाशनालयमें सहस्रों धार्मिक पुस्तकें हैं । अतः केवल इस क्षेत्रका ही भ्रष्टाचार १५० करोड रुपयोंका है ।
नाईयों (केश काटनेका व्यवसाय करनेवालो) द्वारा होनेवाली भक्तोंकी लूट !
भक्तोंसे भगवानके दर्शनहेतु टिकटोंपर दुगुना दाम लगाया जाता है । यहांपर श्रद्धालु अपनी इच्छापूर्ति होनेके उपरांत केशदान करते हैं । यहांपर केशकर्तन (केश काटने)की सुविधा भक्तोंके लिए नि:शुल्क उपलब्ध है । तब भी नाई भक्तसे अधिकसे अधिक १० रुपए ले सकता है, परंतु प्रत्यक्षमें वह उनसे ५० से १०० रुपए लेता है । यहां ५०० नाई केशकर्तनकी सेवा करते हैं । नाई संगठनके अध्यक्षद्वारा दिनभरकी आय वहांके अधीक्षकके हाथोंमें देते समय ‘सीसीटीवी’ने चित्रण किया था । तदुपरांत उस अधिकारीको निलंबित भी किया था ।
नए वातानुकुलित यंत्रोंकी (फ्रीजकी) निरंतर मांग
वहांके एक अधिकारीने उसका नाम गुप्त रखनेकी अनुबंधपर (शर्तपर) बताया कि देवस्थानके परिक्षेत्रमें निवास प्रबंधोंके वातानुकुलित यंत्रोंका (फ्रिज) सुधारकार्य निरंतर होता ही रहता है । वहां कार्यक्षम वातानुकुलित यंत्र कितने हैं, इसकी कहीं कोई प्रविष्टी नहीं है । वहांके कर्मचारी सदैव नए वातानुकुलित यंत्रोंकी ही मांग करते रहते हैं ।
एक भक्तको आया कटु अनुभव
दर्शनके लिए तिरुपति गए माधव रेड्डी नामक प्याजके व्यापारीने अपना कटु अनुभव बताते हुए कहा कि वातानुकुलित कक्षका मूल किराया १ सहस्र ५०० रुपये था, तब भी दलालोंने उनसे अपने कमिशनके रूपमें १ सहस्र ५०० रुपये अधिक लिए । यही नहीं प्रसाद एवं दर्शनके लिए उसे २ सहस्र रुपए देने पडे; अर्थात् कुल मिलाकर उन्होंने ५ सहस्र रुपए उस दलालको दिए । उन्होंने यह भी बताया कि किसी वरिष्ठ अधिकारी अथवा विधायकसे सिफारिशपत्र लानेकी प्रक्रियाके लिए अत्यधिक समय लगता है, इसलिए दूरसे आनेवाले भक्त यह सब नहीं कर पाते । अतः अन्य कोई पर्याय न होनेसे दलाल जितनी रकम मांगते हैं, उतनी उनकी हाथोंमें थमाकर श्रद्धालु भगवानके दर्शन करते हैं ।
देवस्थानमें चल रहा विविध स्तरोंपर भ्रष्टाचार !
वर्ष २००९ में आंध्रप्रदेश शासनके गुप्तचर विभागने करोडों रुपयोंका ‘श्रीवारी अर्जिथा सेवा टिकट घोटाला’ उजागर किया था । इसमें ऐसा आरोप लगाया गया था कि तिरुपति तिरुमला देवस्थानके प्रबंधक मंडलके ट्रै्रवल दलाल (एजंट) एवं होटलवाले’ से मिलीभगत है । तिरुपति तिरुमला देवस्थानके लिए ईंधनका संग्रह अलगसे है । उसमें भी देवस्थानके अधिकारी भारी मात्रामें भ्रष्टाचार करते हैं । देवस्थानके कानून विषयक अधिवक्ता पर्वता रावने कहा कि धनवान एवं कीर्तिवान भक्तोंके लिए तिरुपति तिरुमला देवस्थान सदैव तैयार रहते हैं; परंतु तिरुमला देवस्थानको इसका भान होना चाहिए कि यह कोई पर्यटन स्थल नहीं, अपितु भक्तोंका श्रद्धास्थान है ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात