कहा – ‘राजनीति के लिए नहीं हो सकता मंदिरों का उपयोग’
केरल उच्च न्यायालय ने हाल ही में उस याचिका को खारिज कर दिया जिसमें मुथुपिलक्कडु श्री पार्थसारथी मंदिर के परिसर में भगवा झंडे लगाने की अनुमति मांगी गई थी। केरल हाई न्यायालय के जज राजा विजयराघवन वी ने कहा कि राजनीतिक वर्चस्व के लिए पवित्र मंदिर का उपयोग करना गलत है। न्यायालय ने अपनी टिप्पणी में कहा कि इस मामले में कुछ राजनीतिक दलों से जुड़े झंडों का उपयोग करने की अनुमति नहीं दी जा सकती है।
Kerala High Court rejects plea to erect saffron flags at temple, says temples cannot be used for politics
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— Bar & Bench (@barandbench) September 14, 2023
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के अनुसार, न्यायालय ने अपने फैसले में कहा कि मंदिर आध्यात्मिक शांति के प्रतीक हैं, उनकी पवित्रता और श्रद्धा सर्वोपरि है। ऐसे में पवित्र आध्यात्मिक आधारों को राजनीतिक चालबाज़ी या एकाधिकार के प्रयासों से कम नहीं किया जाना चाहिए। याचिकाकर्ताओं के कार्य और इरादे मंदिर में बनाए रखे जाने वाले शांत और पवित्र वातावरण के विपरीत है।
लाइव लॉ की रिपोर्ट के अनुसार, याचिका मुथुपिलक्कडु श्री पार्थसारथी मंदिर के भक्तों की तरफ से दो व्यक्तियों द्वारा दायर की गई थी। उन्होंने मंदिर और उसके भक्तों के कल्याण के लिए 2022 में पार्थसारथी बक्थजन समिति नामक एक संगठन का गठन किया था। न्यायालय में याचिकाकर्ताओं की ओर से वकील पीटी शीशिश, ए अब्दुल रहमान, अपर्णा वी देवासिया और हेमंत एच ने पक्ष रखा।
भक्तों का कहना है कि जब भी उन्होंने त्योहारों के दौरान मंदिर परिसर में भगवा झंडे लगाने का प्रयास किया तो विरोधियों ने उन्हें लगाने से मना कर दिया। हर बार उन्हें रोक दिया गया। इसलिए भक्तों ने अदालत से पुलिस को उन्हें सुरक्षा देने के लिए माँग की थी ताकि उन्हें परम्परानुसार झंडे लगाने से न रोका जाए।
वहीं भक्तों की याचिका का विरोध करते हुए केरल की कम्युनिस्ट सरकार के वकील अप्पू पीएस ने तर्क दिया कि याचिकाकर्ताओं को एक निश्चित राजनीतिक दल से जुड़े झंडों से मंदिर को सजाने की अनुमति देना मंदिर को राजनीतिक वर्चस्व की लड़ाई के लिए खुला छोड़ देना है। इस प्रकार की आज्ञा देना मंदिरों को युद्ध के मैदान के रूप में इस्तेमाल करने की अनुमति देने के समान होगा।
यहाँ दरअसल, भगवा झंडे को राज्य में बीजेपी के झंडे से जोड़कर देखा जा रहा है। इसी सन्दर्भ में सरकारी वकील ने दलील दी कि याचिकाकर्ताओं की वजह से मंदिर परिसर में कई झड़पें हुई हैं, जिनमें से एक कई मामलों में FIR भी दर्ज है। इसके अलावा, मंदिर की प्रशासनिक समिति ने एक प्रस्ताव पारित कर कनिक्कावांची के 100 मीटर के दायरे में किसी भी राजनीतिक दल या संगठन के झंडे, बैनर आदि लगाने पर रोक लगा दी है।
केरल हाई न्यायालय में सरकारी वकील ने उच्च न्यायालय का 2020 का एक फैसला भी दिखाया जिसमें पुलिस को मंदिर परिसर से ऐसे सभी चिन्हों हटाने का आदेश दिया गया था। बता दें कि इस मामले में न्यायालय ने सरकारी वकील की दलीलों के आधार पपर भक्तों की याचिका को ख़ारिज करते हुए उन्हें मंदिरों में भगवा झंडा लगाने से मना कर दिया।
गौरतलब है कि केरल के अधिकांश मंदिरों पर केरल सरकार का अधिपत्य है। केरल सरकार ही मंदिरों की व्यवस्था संभालती है।
स्रोत : ऑपइंडिया