गणेश मंडल भी मनाएंगे हलाल मुक्त गणेशोत्सव!
भले ही भारत में एफएसएसएआई (FSSAI) और एफडीए (FDA) जैसी खाद्य प्रमाणन संस्थाएं हैं, फिर भी हलाल की एक समानांतर इस्लामी अर्थव्यवस्था भारत में बनाई जा रही है। इस अर्थव्यवस्था के धन का उपयोग आतंकवादियों को कानूनी सहायता प्रदान करने के लिए किया जा रहा है। भारत की सुरक्षा और अखंडता को देखते हुए केंद्र सरकार को निजी इस्लामिक संस्थानों को अनुमति नहीं देनी चाहिए और इस वर्ष सभी गणेश भक्तों और सार्वजनिक गणेश मंडलों को ‘हलाल मुक्त गणेशोत्सव’ मनाकर देश की सुरक्षा को प्राथमिकता देनी चाहिए, ऐसा आवाहन हिन्दू जनजागृति समिति के महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ राज्य संगठक श्री. सुनील घनवट द्वारा किया गया। वह सोलापुर में ‘श्रमिक पत्रकार संघ’ में हिंदू जनजागृति समिति की ओर से आयोजित पत्रकार वार्ता में बोल रहे थे। इस समय सोलापुर से समिति के श्री. राजन बुणगे, पंतुलू श्री. निरंजन कुडक्याल, ‘श्री हिंगुलांबिका देवी मंदिर’ के पुजारी श्री. संजय हंचाटे, ‘पूर्वभाग सार्वजनिक गणेशोत्सव मंडल’ के अध्यक्ष श्री. संजय साळुंखे एवं श्री. विठ्ठलप्रसाद पांढरे उपस्थित थे ।
इस समय श्री. सुनील घनवट ने आगे कहा कि अभी चातुर्मास चल रहा है और गणेश चतुर्थी भी है । हर हिंदू को इस बात का ध्यान रखना चाहिए कि ऐसे समय में हलाल प्रमाणित उत्पाद स्वयं के घर में न आएं । हम पूरे देश में ‘हलाल मुक्त गणेशोत्सव’ का अभियान चला रहे हैं।’ हम गणेश मंडलों में जाकर जागृती कर रहे हैं।’ इस गणेशोत्सव में हलाल के विरुद्ध विभिन्न अभियान चला रहे हैं ।
इस अवसर पर ‘पूर्वभाग सार्वजनिक गणेशोत्सव मंडल’ के अध्यक्ष श्री. संजय सालुंखे ने कहा कि हम सभी गणेश मंडलों को इस बारे में शिक्षित करने जा रहे हैं कि ‘हलाल जिहाद’ के माध्यम से समानांतर अर्थव्यवस्था देश के लिए कैसे खतरनाक है, और हर गणेश मंडल को हलाल मुक्त गणेशोत्सव मनाना चाहिए। हलाल के विरुद्ध और भी उपक्रम चलाएगें । पन्तुलु श्री. निरंजन कुडक्याल ने कहा, ‘हम हलाल के धोखे को समझ गए हैं । इसके लिए हम सभी जगहों पर ‘हलाल मुक्त गणेशोत्सव मनाने का प्रचार करनेवाले हैं।’
हलाल के बारे में अधिक जानकारी देते हुए श्री. सुनील घनवट ने आगे कहा कि आज देश में 15 प्रतिशत मुसलमानों के लिए ‘हलाल’ व्यवस्था को शेष 85 प्रतिशत गैर-मुसलमानों पर थोपना उनके संवैधानिक धार्मिक अधिकारों के विरुद्ध है। जमीयत, हलाल इंडिया जैसे निजी इस्लामी संगठनों को हलाल सर्टिफिकेट देने की अनुमति देने के बजाय, वह अधिकार केंद्र सरकार की सरकारी संस्था ‘एफएसएसएआई’ (FSSAI) को देना चाहिए; क्योंकि इससे इकट्ठा होने वाले करोड़ों रुपये के धन का उपयोग आतंकवादियों को साहायता एवं देश विरोधी गतिविधियों के लिए नहीं किया जाएगा । आज हलाल प्रमाणीकरण के लिए 47 हजार रुपये का शुल्क तथा हर साल नवीनीकरण के लिए 16 से 20 हजार रुपये व्यापारियों को देना पड रहे है । हर कंपनी में 2 मुसलमानों को ‘हलाल इंस्पेक्टर’ के रूप में वेतन देकर नियुक्त करना अनिवार्य है। इससे बड़ी मात्रा में धनराशि निजी संगठनों के पास जा रही है जिससे केंद्र सरकार को भारी वित्तीय हानि हो रही है।