पुणे में हिन्दू जनजागृति समिति के प्रबोधन के कारण ‘आदर्श गणेशोत्सव विसर्जन अभियान’ सफल !
त्योहार एवं उत्सव, उनसे संबंधित देवी-देवताओं की कृपा संपादन करने के लिए होते हैं । ऐसा होते हुए भी प्रशासन ही शास्त्र के विरुद्ध कृति जनता से करवाता हो, तो इससे अधिक दुर्भाग्यपूर्ण और संतापजनक अन्य कुछ नहीं !
हिन्दू जनजागृति समिति जनता का प्रबोधन कर उन्हें शास्त्र के अनुसार कृति करने के लिए कह सकती है, तो सरकार के पास सभी तंत्र-सुविधाएं होते हुए भी समस्याओं पर योग्य उपाययोजना बनाकर जनता से शास्त्रानुसार कृति क्यों नहीं करवाती ? -संपादक
पुणे: गत अनेक वर्षों से हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से यहां पर श्री गणेशमूर्ति विसर्जन अभियान चलाया जा रहा है । इसके साथ ही उस विषय में प्रशासन को निवेदन भी दिया जाता है । हर वर्ष की भांति इस वर्ष भी समिति द्वारा श्रद्धालुओं को शास्त्रानुसार श्री गणेशमूर्ति का बहते पानी में विसर्जन करें, इस उद्देश्य से २८ सितंबर को पुणे शहर में ओंकारेश्वर घाट, एस्.एम्. जोशी पुल एवं वृद्धेश्वर सिद्धेश्वर घाट पर श्री गणेशमूर्ति की विसर्जन मुहिम की गई । इस मुहिम के अंतर्गत समिति के कार्यकर्ता नदी के घाट पर हाथ में प्रबोधन करनेवाले फलक लेकर खडे थे । ये फलक ‘मूर्ति विसर्जन के कारण प्रदूषण यह अपप्रचार’, ‘अशास्त्रीय ‘मूर्तिदान’ न करें’, तथाकथित पर्यावरणवादियों के ढोंग पर प्रहार करनेवाले थे जो श्रद्धालुओं का ध्यान आकर्षित कर रहे थे । महापालिका के कृत्रिम हौद, इसके साथ ही मूर्ति संकलन केंद्रों के धर्मद्रोही पर्याय अस्वीकार कर श्रद्धालुओं का बहते पानी में विसर्जन करने की ओर रुझान दिखाई दिया ।
इस अवसर पर समिति के श्री. नागेश जोशी ने ओंकारेश्वर घाट के श्रद्धालुओं से आवाहन किया कि वे शास्त्रानुसार बहते पानी में विसर्जन करें । अनेक श्रद्धालुओं ने समिति के कार्यकर्ताओं को बताया कि ‘समिति का कार्य प्रशंसनीय है । श्री गणेशमूर्ति का विसर्जन बहते पानी में ही होना चाहिए । बहते पानी में श्री गणेशमूर्ति विसर्जन करने से आनंद मिलता है ।’
आरंभ में पर्याप्त पानी न होने से श्री गणेशमूर्ति विसर्जन करने में श्रद्धालुओं को अडचन आई । दोपहर को भारी वर्षा होने से ५ बजे के उपरांत एकाएक पानी का स्तर बढ गया । इसलिए श्रद्धालुओं की इच्छा होते हुए भी वहां कोेई भी सुविधा न होने से श्रद्धालुओं को बहते पानी में विसर्जन करने में अडचन हुई ।
मंचर के निकट मुळेवाडी (जिला पुणे) में बहते पानी में मूर्ति विसर्जन !
मंचर के निकट मुळेवाडी में गणेशमूर्ति का विसर्जन करने के लिए नगरपालिका ने कृत्रिम हौद बनाया था; परंतु ग्रामवासियों ने एकत्र आकर श्री गणेशमूर्तियां नदी में विसर्जित की । किसी ने भी उन हौदों में श्री गणेशमूर्ति का विसर्जन नहीं किया ।
महापालिका के ढीले-ढाले नियोजन के कारण गणेशभक्तों को हुई असुविधा !
आरंभ में पर्याप्त पानी न होने से श्री गणेशमूर्ति विसर्जन करनेे में श्रद्धालुओं को अडचन आई । वे घाट पर मूर्ति विसर्जन हेतु नदी में न उतर पाएंं, इसलिए बांसों को आडे बांध कर रास्ता बंद कर दिया गया था । साथ ही पालिका द्वारा अनेक स्थानों पर फलकों द्वारा आवाहन भी किया गया था कि ‘नदी अथवा प्राकृतिक जलस्रोतों में मूर्ति विसर्जन न करें ।’ दोपहर ४ बजे एकाएक वर्षा आई और घंटे भर में ही नदी में पानी का स्तर बढ गया । कोई भी पूर्वसूचना दिए बिना ही एकाएक पानी छोडने से ओंकारेश्वर घाट पर बने बांध पर से पानी बहने लगा । इससे श्रद्धालुओं की बहते पानी में गणेशमूर्ति के विसर्जन की इच्छा होते हुए भी उन्हें असुविधा हुई । अत: दूसरा कोई विकल्प न होने से उन्हें कृत्रिम हौद में ही विसर्जन करना पड रहा था । महापालिका का कहना था कि उन्होंने विसर्जन के लिए उत्तम तैयारी की थी; परंतु वास्तव में ‘आपत्तिजनक स्थिति’के लिए कोई भी नियोजन नहीं किया था ।
एस्.एम्. जोशी पुल के घाट की दयनीय स्थिति
१. एस्.एम्. जोशी पुल के घाट पर नदी में न उतर पाएंं; इसलिए बांस आडे बांधकर रास्ता बंद कर दिया था । इससे श्रद्धालुओं को बडी मूर्तियां बहते पानी में विसर्जन करने में बहुत कसरत करनी पड रही थी; तब भी श्रद्धालु बहते पानी में ही विसर्जन करने को प्रधानता दे रहे थे ।
२. श्रद्धालु बहते पानी में विर्सजन करने के इच्छुक थे; परंतु घाट के दोनों ओर सुरक्षापुलिया ही नहीं थी; परंतु विसर्जन हौद के आसपास लकडी का घेरा बनाया था ।
३. मूर्ति नदी के पानी में विसर्जन करने के लिए यहां महापालिका के कर्मचारी उपलब्ध नहीं थे, इसके साथ ही दोपहर ५ बजे तक नदी के पानी का स्तर भी कम था ।
४. निर्माल्य डालने के लिए रखी ट्रॉली अस्वच्छ थी, कूडे-कचरे की गंदगी ट्रॉली में वैसे ही थी, उसी में निर्माल्य डाला जा रहा था । (धर्मशिक्षा के अभाव के कारण निर्माल्य पवित्र है और उसे कूडा-कचरा समझकर अस्वच्छ ट्रॉली में नहीं रखना चाहिए, यह ध्यान में नहीं आता । यह बडे दुर्भाग्य की बात है ! – संपादक)
५. विसर्जन हौद से निकालकर रखी गई श्री गणेशमूर्ति एक ओर ऐसे ही पडी थीं ।
६. हौद के पास खडे लडके श्रद्धालुओं से पैसे ले रहे थे ।
ओंकारेश्वर घाट पर की स्थिति !
१. नदी पर बने पुल के दोनों ओर इस वर्ष भी सुरक्षा पुलिया न बनी होने से श्रद्धालुओं को विसर्जन करते समय कोई भी सुरक्षा नहीं थी ।
२. ओंकारेश्वर घाट पर नदी की ओर जानेवाला रास्ता पटल रखकर बंद करने से श्रद्धालुओं को असुविधा हो रही थी । समिति के कार्यकर्ताओं द्वारा प्रबोधन किए जाने पर ओंकारेश्वर घाट से नदी की ओर जानेवाला रास्ता पटल हटाकर पूर्ववत् शुरू हुआ ।
३. श्री गणेशमूर्ति रखने के लिए पटल न रखने से श्रद्धालुओं को भूमिपर रखकर ही श्रीगणेश की आरती करनी पड रही थी । गणेशभक्तों को नदी में श्री गणेशमूर्ति विसर्जन करने से पूर्व पूूजा एवं आरती के लिए महापालिका ने जो व्यवस्था की थी, वह बहुत ही अल्प थी । उस स्थान पर भीड होने से श्रद्धालुओं को असुविधा हो रही थी ।
४. वहां के नाविकों ने बताया कि सवेरे से पानी न छोडने से श्रद्धालुओं का प्रतिसाद अल्प था ।