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भारतसे गोमांसका हो रहा निर्यात रोकें !

वैशाख कृष्ण द्वादशी , कलियुग वर्ष ५११५

वक्ता : श्री. मिलिंद एकबोटे, अध्यक्ष, समस्त हिंदू आघाडी, पुणे.

 

१. किसी भी अन्न-धान्यके परिवहनका नहीं, परंतु गोमांस

अंतरराष्ट्रीय बाजारमें भेजनेके लिए लगनेवाला परिवहनका संपूर्ण व्यय केंद्रशासन करता है !

        ‘गोमांसके व्यापारमें धर्मांधोंको बहुत पैसा मिलता है । इसका कारण है भारत सरकारकी सर्वाधिक कुटिल नीति ! भारतके कृषिमंत्री शरद पवारने यह नीति बनाई थी । इसके अंतर्गत गायोंकी हत्या होनेपर गोमांसके ‘पार्सल’ सडक परिवहन अथवा हवाईमार्गद्वारा अंतरराष्ट्रीय बाजारमें भेजे जाते हैं । गोमांसके अंतरराष्ट्रीय बाजारमें पहुंचनेतकका सर्व व्यय केंद्र सरकार करती है । भारतकी अन्य किसी भी वस्तुको बाजारमें भेजनेके लिए ऐसी सुविधा नहीं है । किसानोंके अन्य किसी भी उत्पादोंके लिए, उदा. प्याज अथवा शक्कर इत्यादिके लिए ऐसी नीतियां नहीं हैं । यह सुनकर हमें तुरंत गोरक्षाका प्रण लेना चाहिए ।

 

२. गोमांस निर्यातमें हिंदुस्थान प्रथम स्थानपर !

        एक और दु:खद बात यह है कि आजतक गोमांस निर्यातमें ऑस्ट्रेलिया प्रथम स्थानपर था; परंतु अब हिंदुस्थानका स्थान प्रथम है ।’ 

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