हिन्दूविरोधी शक्तियों का सामना करने के लिए हिन्दुआें को दबावतंत्र निर्माण करना चाहिए ! – सुनील घनवट, महाराष्ट्र एवं छत्तीसगढ राज्य संगठक, हिन्दू जनजागृति समिति
जलगांव: आज हिन्दू जागृत होकर उस पर होनेवाले अन्याय के विरोध में आवाज उठा रहा है; परंतु हिन्दुआें द्वारा धर्मरक्षा के लिए दी गई पुकार को ‘हेट स्पीच’ कहते हुए हिन्दुत्वनिष्ठों को लक्ष्य बनाया जा रहा है । हिन्दुत्वनिष्ठों द्वारा किए गए वक्तव्यों के कारण कानून एवं सुव्यवस्था बिगड गई हो, ऐसी कोई भी घटना नहीं हुई है । तब भी प्रशासन पर दबाव डालकर देशभर में हिन्दुआें के विरोध में अपराध प्रविष्ट किए जा रहे हैं । इसके विपरीत कुछ पंथियों द्वारा ‘सर तन से जुदा’ का आवाहन करते हुए अनेक हिन्दुुत्वनिष्ठों की हत्या की जाती है; परंतु उसके विरोध में तथाकथित ‘आधुनिकतावादी’, ‘सेक्युलर’ अथवा ‘पीस’वाले द्वारा कभी कोई याचिका प्रविष्ट की गई दिखाई नहीं देती । ऐसी हिन्दूविरोधी शक्तियों का सामना करने के लिए राज्य, जिला, तालुका स्तर पर ‘हिन्दू राष्ट्र समन्वय समिति’ स्थापन कर हिन्दुआें का दबावगतंत्र निर्माण करना चाहिए, ऐसा प्रतिपादन हिन्दू जनजागृति समिति के महाराष्ट्र एवं छत्तीसगढ राज्य संगठक श्री. सुनील घनवट नेे किया । वे हिन्दू जनजागृति समिति की ओर से आयोजित एक दिवसीय प्रांतीय हिन्दू राष्ट्र अधिवेशन में बोल रहे थे । यह अधिवेशन १ अक्टूबर को पाळधी के साईबाबा मंदिर में संपन्न हुआ ।
अधिवेशन का उद़्घाटन सनातन के धर्मप्रचारक सद़्गुरु नंदकुमार जाधव, भागवताचार्य राजीवकृष्णजी झा महाराज, अधिवक्ता भरत देशमुख, हिन्दू जनजागृति समिति के महाराष्ट्र एवं छत्तीसगढ राज्य संगठक श्री. सुनील घनवट के शुभहस्तों दीपप्रज्वलन से हुआ । समिति के जलगांव जिला समन्वयक श्री. प्रशांत जुवेकर ने अधिवेशन का उद्देश्य प्रस्तुत किया । सद़्गुरु नंदकुमार जाधव ने ‘हिन्दू राष्ट्र स्थापना के लिए साधना का महत्त्व’ विषय पर मार्गदर्शन किया । भागवताचार्य राजीवजी झा महाराज ने ‘हिन्दू राष्ट्र स्थापना के लिए हिन्दुआें को संगठित होने की आवश्यकता’ एवं श्री. घनवट ने ‘हिन्दू राष्ट्र समन्वय समिति की आवश्यकता’ पर उद़्बोधन किया ।
इस अधिवेशन के दूसरे सत्र में ‘ब्रह्मपुर में हिन्दूविरोधी षड्यंत्र’ विषय पर श्री. देवेंद्र मराठे ने, ‘सनातनविरोधी षड्यंत्र’ विषय पर सनातन संस्था की श्रीमती क्षिप्रा जुवेकर ने एवं ‘लव जिहाद’की दाहकता’ विषय पर कु. सायली पाटील ने उपस्थितों को संबोधित किया ।
‘हिन्दू राष्ट्र स्थापना की आवश्यकता’ विषय पर परिसंवाद आयोजित किया गया था । इस परिसंवाद में श्री. कमलेश कटारिया, गीतांजली ठाकरे, सुनील घनवट सम्मिलित हुए थे । अधिवक्ता भरत देशमुख, पंकज पाटील, धर्मेंद्र सोनार ने उपस्थितों का कानून संबंधी मार्गदर्शन किया । समापन सत्र मेें ‘आपातकाल एवं साधना’ विषय पर सद़्गुरु नंदकुमार जाधव ने मार्गदर्शन किया ।
अधिवेशन में जलगांव, धुळे, नंदूरबार, नासिक, छत्रपति संभाजीनगर से २० से भी अधिक संगठनों के १०० से भी अधिक हिन्दुुत्वनिष्ठ उपस्थित थे । अधिवेशन का समापन संपूर्ण ‘वंदे मातरम्’ से हुआ । सूत्रसंचालन श्री. प्रदीप देशमुख, श्री. लोकेश महाजन ने किया । श्री. विनोद शिंदे ने आभार व्यक्त किया । अंत में उपस्थितों ने अपना-अपना मनोगत बताया ।
नामजप कलियुग की सर्वश्रेष्ठ साधना है ! – सद़्गुरु नंदकुमार जाधव, धर्मप्रसारक, सनातन संस्था
हिन्दू राष्ट्र स्थापना के लिए प्रत्येकजन अपने स्तर पर कुछ न कुछ प्रयत्न करता है । मनुष्यजन्म की सार्थकता ईश्वरप्राप्ति में है । ईश्वरप्राप्ति के लिए प्रतिदिन किए जानेवाले प्रयत्न को साधना कहते हैं ! साधना कर धर्माचरण करने से अनेक लाभ होते हैं । इससे आत्मबल जागृत होता है । प्रतिकूल परिस्थिति में भी आनंदी रह पाते हैं । ईश्वर की कृपा होती है । कर्मयोग साध्य होकर आध्यात्मिक उन्नति होती है । इससे धर्म का श्रेष्ठत्व ध्यान में आता है । साधना के बिना धर्मक्रांति में सफलता नहीं मिलती । शारीरिक एवं मानसिक बल के साथ आध्यात्मिक बल भी आवश्यक है । इस बल के आधार पर ही छत्रपति शिवाजी महाराजजी ने हिन्दवी स्वराज्य की स्थापना की । हम भी कुलदेवता का नामजप कर अपना आध्यात्मिक बल बढा सकते हैं । इसलिए नामजप कलियुग की सर्वश्रेष्ठ साधना है ।
मंदिर धर्मशिक्षा के केंद्र बनने चाहिए ! – देवेंद्र मराठे, ब्रह्मपुर (मध्यप्रदेश)
आज ब्रह्मपुर में ३६५ मस्जिदें हैं । अनेक मंदिरों का रूपांतर मदरसों और मस्जिदों में हो गया है । यहां के प्राचीन श्री प्रेमचंद हनुमान मंदिर का जीर्णोद्धार अहिल्यादेवी होळकर ने किया था । ऐसे मंदिर पर हरा अतिक्रमण शुरू है । इस विषय में कानूनी लढाई चल रही है । अब तक गोरक्षकों ने गोतस्करी करनेवाले ५२ ट्रक पकडकर पुलिस के सुपूर्द किए हैं । हिन्दुआें की जागरूकता के कारण आज इसमें घटौती दिखाई दे रही है । हिन्दुआें में जागरूकता निर्माण करनी हो, तो मंदिरों में गोशाला और संस्कार केंद्र स्थापन कर मंदिरों को धर्मशिक्षा का केंद्र बनाना चाहिए ।