कहा था ‘कश्मीर कभी नहीं रहा भारत का अभिन्न अंग’
दिल्ली के उप-राज्यपाल विजय कुमार सक्सेना ने लेखिका अरुंधति रॉय के खिलाफ अभियोग चलाने को मंज़ूरी दे दी है। ये मामला 2010 में दिए गए भड़काऊ भाषण का है। राज निवास के अधिकारियों ने मंगलवार (10 अक्टूबर, 2023) को इसकी जानकारी दी। अरुंधति रॉय के साथ-साथ जम्मू कश्मीर के एक प्रोफेसर शेख शौकत हुसैन के खिलाफ भी अभियोग चलाए जाने को मंज़ूरी दे दी गई है। नई दिल्ली स्थित मेट्रोपॉलिटन मजिस्ट्रेट की अदालत के आदेश के बाद इन दोनों के विरुद्ध FIR दर्ज की गई थी।
शेख शौकत हुसैन ‘सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी ऑफ कश्मीर’ में इंटरनेशनल लॉ का प्रोफेसर रहा है। उप-राज्यपाल ने पाया कि दोनों के खिलाफ मामला चलाए जाने के लिए पर्याप्त आधार हैं। दोनों के खिलाफ IPC (भारतीय दंड संहिता) की धारा-153A (धर्म, नस्ल, स्थान या भाषा के आधार पर 2 समुदायों में नफरत पैदा करना, शांति भंग करना), 153B (राष्ट्रीय अखंडता के विरुद्ध बातें करना) और 505 (भड़काऊ बयान देना) के तहत मामला दर्ज किया जा चुका है।
दिल्ली में ही एक भाषण के दौरान इन दोनों ने इस तरह की बयानबाजी मंच से की थी। दोनों के खिलाफ IPC की धारा-124A (राजद्रोह) के तहत भी मुकदमा चलाया जाना था, लेकिन ये संभव नहीं हो सका क्योंकि इस धारा को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया है कि उसकी संवैधानिक पीठ की सुनवाई पूरी होने तक सारे मामले रोक दिए जाएँ। इस मामले में 2 अन्य अभियुक्त अलगाववादी सैयस अली शाह गिलानी और दिल्ली यूनिवर्सिटी के लेक्चरर रहे अब्दुल रहमान गिलानी की मौत हो चुकी है।
Delhi LG V K Saxena has sanctioned for prosecution of Arundhati roy for an FIR registered in 2010.
Arundhati Roy had said, “Kashmir is not an integral part of India, and it never was.”
Finally after 13 yrs. @khanumarfa pic.twitter.com/hIR5Mkx0Pj
— BALA (@erbmjha) October 10, 2023
28 अक्टूबर, 2010 को कश्मीरी कार्यकर्ता सुशील पंडित ने इस संबंध में शिकायत दर्ज कराई थी। ‘आज़ादी – द ओनली वे’ के बैनर तले इस कार्यक्रम को आयोजित किया गया था और इसमें ‘सभी राजनीतिक बंदियों को मुक्त करने के लिए कमिटी (CRPP)’ ने इसे आयोजित किया था। इसमें कश्मीर को शेष भारत से अलग करने की बात की गई थी। अरुंधति रॉय ने कहा था कि कश्मीर कभी भारत का अभिन्न हिस्सा नहीं रहा है। साथ ही उन्होंने झूठा दावा किया था कि भारतीय अधिकारियों ने संयुक्त राष्ट्र में इसे स्वीकार किया है।
भारत विरोधी अरुंधति रॉय ऐसे ही झूठ फैलाने के लिए जानी जाती हैं। उन्होंने कोरोना महामारी के दौरान भी न केवल पीएम केयर्स फंड के बारे में झूठ बोला, बल्कि भारत के टीकाकरण अभियान और SII और भारत बायोटेक द्वारा विकसित COVID-19 टीकों के बारे में भी गलत सूचनाएँ फैलाई थीं। उन्होंने कहा था कि मोदी सरकार मुस्लिमों का नरसंहार करने के लिए कोरोनावायरस के प्रकोप का उपयोग कर रही है।कश्मीर में आतंकवाद निरोधी अभियानों को उन्होंने लगातार ‘सरकार प्रायोजित’ आतंकवाद के रूप में संदर्भित किया था।
स्रोत: ऑप इंडिया