ज्येष्ठ कृष्ण १३, कलियुग वर्ष ५११५
बाइं ओरसे श्रीमती अश्विनी प्रभु, श्री. हर्षवर्धन शेट्टी, श्री. मोहन गौडा एवं सूत्रसंचालक श्री. श्रीकांत (छायाचित्रमें)
उडुपी – रामनाथी, गोवामें ६ जून से १० जूनकी कालावधिमें होनेवाले द्वितीय अखिल भारतीय हिंदू अधिवेशनके संदर्भमें उडुपीके `स्पंदन टीवी’ प्रणालपर प्रश्नोत्तरका कार्यक्रम आयोजित किया गया । इस कार्यक्रमका सीधा प्रक्षेपण किया गया था । इस कार्यक्रममें हिंदू जनजागृति समितिके कर्नाटक राज्यके प्रवक्ता श्री. मोहन गौडा, समितिके श्री. हर्षवर्धन शेट्टी एवं सनातन संस्थाकी श्रीमती अश्विनी प्रभुने सहभाग लिया । उन्होंने इस विषयमें प्रेक्षकोंद्वारा पूछे गए प्रश्नोंके उत्तर दिए ।
हिंदू धर्मांधोंके हाथों मरनेयोग्य ही हैं !
१. दीपक नामक प्रेक्षकने दूरभाषपर संपर्क कर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, `हमारा राष्ट्र निरपेक्ष है । अधिवेशनद्वारा कुछ नागरिक `हिंदू राष्ट्र’ की स्थापना कर रहे हैं ।’ ( ऐसे निरपेक्ष राष्ट्रके कारण हुई देशकी दुरावस्था परिवर्तित करनेके लिए `हिंदू राष्ट्र’ चाहिए ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात ) ऐसे लाखों अधिवेशन हुए, तब भी अपना निरपेक्ष राष्ट्र परिवर्तित नहीं होगा । ( ऐसा कहनेवाले हिंदू ही हिंदू धर्म एवं देशके सच्चे शत्रु हैं ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात ) सनातन प्रभातमें एक वर्ष पूर्व `क्या गांधी वास्तवमें अपने राष्ट्रपिता हैं ?’ ऐसे आशयका लेख प्रकाशित किया गया था । ( सनातन प्रभातने एक वर्ष पूर्व जो छापा था, वही केंद्र सरकारने सूचनाके अधिकारसे जानकारी देते हुए स्पष्ट किया है कि सरकारद्वारा गांधीको `राष्ट्रपिता’ कहनेका कोई आदेश नहीं निकाला गया था । क्या दीपकजीको यह बात ज्ञात है ? – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात ) गांधीपर आलोचना करनेवाले इस देशमें नहीं रह सकते । ( सनातन प्रभात गांधीपर आलोचना नहीं करती, अपितु उनकेद्वारा हुई चूकें एवं चूकोंके कारण हुई देशकी हानि प्रकाशित करती है ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात ) ऐसे नागरिक हिंदुओंको एकत्रित कर रहे हैं । ( जो देश एवं धर्मपर प्रेम करतें हैं तथा उसके लिए तडपसे कार्य करते हैं, वे ही हिंदुओंको एकत्रित कर सकते हैं ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात)
२. इस कार्यक्रममें प्रवीण नामक प्रेक्षकने दूरभाषसे प्रतिक्रिया देते हुए कहा, `हिंदू अधिवेशनके विषयमें कुछ बोलना नहीं चाहता । ( कोई भी मुसलमान एवं ईसाई कभी अपने धर्मके कार्यक्रमके विषयमें ऐसा नहीं कहेंगे; परंतु हिंदू ऐसा कहते हैं, यह दुर्भाग्य है ! – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात ) हम सब भारतीय हैं । हम सब एक ही हैं । यदि हम सभीने भारतीय संस्कृतिका अनुकरण किया, तो सभी नागरिक एकत्रित रह सकते हैं ।’ ( ऐसा केवल हिंदू ही बोलते हैं एवं धर्मांध मुसलमानोंद्वारा एक तो मारे जाते हैं अथवा ईसाईद्वारा धर्मपरिवर्तित किए जाते हैं । – संपादक, दैनिक सनातन प्रभात )
हिंदू एवं हिंदू धर्मका विचार करनेवाले ऐसे धर्माभिमानी हिंदू सर्वत्र हों !
श्री. रवि कुमारने प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि हमारा देश `हिंदू राष्ट्र’ ही है । पोपद्वारा बताए मार्गपर ईसाई चलते हैं तथा मौलवीद्वारा बताए गए मार्गपर मुसलमान आचरण करते हैं; परंतु हिंदुओंमें एक धर्माचार्य नहीं है । हिंदुओंको उचित मार्गदर्शन एवं धर्मशिक्षा देने हेतु सप्ताहमें एक दिन एकत्रित कर धर्मशिक्षा देनी चाहिए । यदि ऐसा किया गया, तो हिंदुओंमें धर्मप्रेम जागृत होगा एवं कोई भी हिंदुओंके विरोधर्में बोलनेका साहस नहीं दिखाएगा ।
स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात