चिपळूण (महाराष्ट्र) – इस देश में छत्रपति शिवाजी महाराज ने हिंदवी स्वराज्य स्थापना की प्रतिज्ञा ली, वैसी हिन्दू राष्ट्र स्थापना की शपथ लेना, इसे यदि ‘हेट स्पीच’ (द्वेषयुक्त भाषण) कहा जाता होगा, तो फिर हिन्दू धर्म नष्ट करने का आवाहन करनेवाले जितेंद्र आव्हाड एवं निखिल वागळे पर ‘हेट स्पीच’का अपराध प्रविष्ट करने की कार्रवाई क्यों नहीं होती ? ऐसा स्पष्ट वक्तव्य हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री. रमेश शिंदे ने किया । ‘सनातन धर्म नष्ट करने का अर्बन नक्सलवादियों का षड्यंत्र’ इस विषय पर यहां के माधव सभागृह में श्री. शिंदे ने हिन्दुत्वनिष्ठ एवं धर्मप्रेमी हिन्दू से संवाद साधा । उस अवसर पर वे बोल रहे थे । इस अवसर पर ‘वागळे एवं आव्हाड के विरोध में चिपळूण में परिवाद प्रविष्ट करेंगे’, ऐसा निर्णय एकमत से हिन्दुत्वनिष्ठों ने लिया । इस कार्यक्रम में सावर्डे, चिपळूण, गुहागर, लोटे एवं लवेल परिसर के हिन्दुत्वनिष्ठ एवं धर्मप्रेमी उपस्थित थे । इस कार्यक्रम का सूत्रसंचालन समिति के श्री. सुरेश शिंदे ने किया ।
श्री. रमेश शिंदे आगे बोले,
१. रूस में जिस जोसेफ स्टालीन को नरराक्षस संबोधित किया जाता था उसका नाम धारण करनेवाले तमिळनाडु के मुख्यमंत्री के पुत्र उदयनिधि स्टालिन ने वहां की मंदिर परिषद में ही सनातन धर्म को मलेरिया और डेंग्यू समान रोग कहते हुए उसे नष्ट करने का आवाहन किया । सबसे बडे दुर्भाग्य की बात तो यह है कि इस परिषद में उपस्थित सनातन धर्म का पालन करनेवाले हिन्दू इसका विरोध नहीं करते हैं ।
२. उदयनिधि स्टालीन के ही समर्थन में महाराष्ट्र में राष्ट्र्रवादी कांग्रेस के जितेंद्र आव्हाड एवं आधुनिकतावादी पत्रकार निखिल वागळे कहते हैं, ‘सनातन धर्म, देश को लगी दीमक है । इसलिए उसे नष्ट करना चाहिए !’ सबसे बडा आश्चर्य तो यह है कि महाराष्ट्र में हिन्दुत्वनिष्ठों पर अपराध प्रविष्ट करनेवाली पुलिस चिपळूण में धर्मनिष्ठ पराग ओक द्वारा उदयनिधि स्टालीन, ए. राजा, प्रियांक खरगे के विरोध में परिवाद प्रविष्ट करने पर भी अबतक उसकी प्रविष्टि नहीं हुई है । फिर यह सर्वोच्च न्यायालय द्वारा दिए गए आदेश का पालन न करने का अनादर नहीं है ? इसके विरोध में आनेवाले समय में न्यायालय में प्रश्न उपस्थित किया जाएगा । इसके अंतर्गत जितेंद्र आव्हाड एवं निखिल वागळे के विरोध में ‘हेट स्पीच’के अंतर्गत अपराध प्रविष्ट करने की मांग की जाएगी ।
३. सनातन धर्म नष्ट करने का आवाहन करनेवाले ये किसी जंगल में रहनेवाले अथवा बंदूक लेकर निरपराध लोगों की हत्या करनेवाले नक्सलवादी नहीं हैं, अपितु शहरी भागों के उच्चशिक्षित, समाजसेवा, पत्रकारिता, शैक्षणिक क्षेत्र के लोग हैं और आधुनिकतावादी का बुरखा पहननेवाले ‘अर्बन नक्सलवादी’ हैं । अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के नक्सलवादियों के साथ उनके संबंध हैं, ऐसा ब्योरा गुप्तचर तंत्र ने दिया है । इससे अर्बन नक्सलवादी कौन है ? यह हमारे ध्यान में आएगा ।
इस अवसर पर शल्य चिकत्सक डॉ. अमित थढानी लिखित ‘दाभोलकर – पानसरे : तपासातील रहस्ये’ पुस्तक के कुछ प्रकरणों की जानकारी उपस्थितों को दी गई ।