उत्तराखंड में अब मस्जिद, दरगाह, मदरसों को भी अपनी आय और संपत्तियों की जानकारी देनी पड़ेगी। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व वाली बीजेपी शासित राज्य में वक्फ बोर्ड भी अब सूचना के अधिकार कानून (RTI) के दायरे में आ गया है। यह फैसला वक्फ बोर्ड के स्वामित्व वाली संपत्तियों और उनसे संबंधित फंडिंग के बारे में कम जानकारी होने की वजह से किया गया है।
BREAKING NEWS – Uttarakhand BJP Govt has decided to bring all Waqf properties in state under the ambit of Right to Information (RTI) Act.
About 2200 Waqf properties are registered with the Uttarakhand Waqf Board. Now, All the information will be made public including the process… pic.twitter.com/cSKEVvWc0M
— Times Algebra (@TimesAlgebraIND) October 26, 2023
दरअसल जुलाई 2022 में वकील दानिश सिद्दीकी ने उत्तराखंड वक्फ बोर्ड से आरटीआई के तहत कलियर दरगाह के बारे में सूचना माँगी थी। उन्हें यह कहकर सूचना देने से मना कर दिया गया कि पिरान कलियर में कोई लोक सूचना प्राधिकारी नहीं है। जब उन्हें प्रथम विभागीय अपीलीय अधिकारी से भी सूचना नहीं मिली तो वे राज्य सूचना आयोग पहुँच गए। सिद्दीकी की अपील पर राज्य सूचना आयुक्त योगेश भट्ट ने वक्फ बोर्ड के अधिकारियों से पूछताछ की। उनसे वक्फ अधिनियम और वक्फ संपत्तियों पर नियंत्रण को लेकर साफ और सही जानकारी देने को कहा गया।
इसके बाद यह बात सामने आई कि उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के अधीन होने के बावजूद कलियर शरीफ दरगाह सहित अन्य वक्फ संपत्तियों को सूचना के अधिकार से बाहर रखा गया था। केवल बोर्ड के मुख्य कार्यपालक अधिकारी ही वक्फ संपत्ति के दस्तावेजों आदि की जाँच-परख कर या करवा सकते हैं। इसके बाद सूचना आयुक्त ने इस मामले में पूर्व और मौजूदा मुख्य कार्यपालक अधिकारी से भी जवाब-तलब किया। इसके तहत पिरान कलियर दरगाह के प्रबंधन को आरटीआई एक्ट के दायरे में लाने के आदेश दिए गए। साथ ही यहाँ लोक सूचना अधिकारी को भी तैनात करने को कहा गया।
इस केस का निपटारा करते हुए राज्य सूचना आयुक्त योगेश भट्ट ने अन्य सभी वक्फ बोर्ड और वक्फ संपत्तियों को भी आरटीआई एक्ट के दायरे में लाने का आदेश दिया। छह महीने के अंदर आरटीआई एक्ट की धारा-4 के तहत मैनुअल बनाने का निर्देश दिया। आयोग के कड़े रवैये के बाद उत्तराखंड वक्फ बोर्ड ने वक्फ संपत्तियों को आरटीआइ एक्ट में दायरे में लाने के आदेश दिया है। राज्य में लगभग 2200 वक्फ संपत्तियां वक्फ बोर्ड में रजिस्टर्ड हैं।
इस फैसले को लेकर जमीयत उलेमा ए हिंद के मौलाना काब रशीदी का कहना है कि धर्म के आधार पर कानून में किसी के साथ भेदभाव नहीं होना चाहिए। अगर मस्जिद, दरगाह और मदरसों को इसके तहत लाया गया है तो फिर गुरुकुल और मंदिरों समेत सभी धर्म के धार्मिक स्थलों को भी इस कानून के तहत लाना चाहिए। केवल किसी एक धर्म के लिए कानून लाया जाना गलत है और यह संविधान के खिलाफ है।
स्रोत : ऑप इंडिया