चंडीगढ : विवेक को बनाया ‘उमर’, मदरसे में साढे सात साल तक बंधक बनाकर रखा

मुजफ्फरनगर के एक मदरसे में धर्म परिवर्तन का सनसनीखेज मामला सामने आया है। यहां हरदोई के विवेक को साढ़े सात साल तक बंद रखा गया और उसका जबरन धर्म परिवर्तन कराकर मोहम्मद उमर बना दिया गया। हकीकत पता चलने पर मुजफ्फरनगर बाल कल्याण समिति ने किशोर को मदरसे से मुक्त कराया और उसके माता-पिता के सुपुर्द कर दिया।

साढ़े सात साल बाद बेटे को पाकर माता-पिता की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। पूरे मामले में मदरसा संचालक समेत चार लोगों के खिलाफ विधि विरुद्ध धर्म परिवर्तन की रिपोर्ट भी मुजफ्फरनगर में दर्ज की गई है। हरदोई के बघौली थानाक्षेत्र के गोसवा निवासी वीरेंद्र चंडीगढ में परिवार सहित रहकर मजदूरी करता था। 17 मार्च 2016 को उसका पुत्र विवेक जो कक्षा चार का छात्र था।

विद्यालय जाने के लिए निकला, लेकिन फिर वापस घर नहीं पहुंचा। वीरेंद्र ने चंडीगढ के थाना मौलीजागरा में गुमशुदगी की रिपोर्ट 17 मार्च 2016 को दर्ज कराई लेकिन किशोर का कोई सुराग नहीं लगा। बीती चार अक्तूबर को मुजफ्फरनगर के चरथावल थाना क्षेत्र के नगला राई गांव निवासी मतलूब एक आधार कार्ड सेंटर पर पहुंचा। यहां उसने मोहम्मद उमर नाम के किशोर को अपना पुत्र बताते हुए आधार कार्ड में नाम पता संशोधित कराने के लिए दिया।

जबरन धर्म परिवर्तन करने का मामला सामने आया

आधार कार्ड में मोहम्मद उमर का नाम विवेक पुत्र वीरेंद्र निवासी 47 रायपुर कला चंडीगढ़ दर्ज होने के कारण सेंटर संचालक ने नाम पता बदलने से इन्कार कर दिया। इसकी जानकारी किसी तरह मुजफ्फरनगर के लोहारी खुर्द के प्रधान जैकी राज सैनी को हुई, तो उन्होंने पुलिस को जानकारी दी। इसके बाद विवेक के परिजनों से संपर्क कर उन्हें मुजफ्फरनगर बुलाया गया। जांच में विवेक का जबरन धर्म परिवर्तन करने और उसे मदरसे में बंद रखने का मामला सामने आया।

प्रधान, मौलवी समेत इनके खिलाफ रिपोर्ट दर्ज

मदरसे से विवेक को मुक्त कराकर बाल कल्याण समिति की मौजूदगी में उसे पिता वीरेंद्र और मां सरोज को सौंप दिया गया। इसके बाद पूरा परिवार विवेक को लेकर पैतृक गांव बघौली थाना क्षेत्र के गोसवा आ गया। वीरेंद्र कुमार की तहरीर पर मुजफ्फरनगर के चरथावल थाने में नगला राई के प्रधान अफसरून, जामिया उस्मानिया इस्लामिया के मौलवी, मतलूब और मौलाना मुकर्रम जमाल के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की गई है।

वेल्डिंग का मिस्त्री बनाकर अरब भेजने की थी तैयारी

मदरसे में साढ़े सात साल से बंधक विवेक को वेल्डिंग का काम सिखा कर सऊदी अरब भेजने की तैयारी थी। इसी के लिए जब आधार कार्ड में नाम, पता संशोधन की बारी आई तो पूरा सच सामने आ गया। फिलहाल विवेक के घर वापस आने से न सिर्फ परिजनों में बल्कि पूरे गांव में खुशी का माहौल है। संवाद न्यूज एजेंसी से बातचीत में विवेक ने बताया कि मदरसे में उसका नाम बदलकर मोहम्मद उमर रख दिया गया।

आधार कार्ड में नाम संशोधन कराने के चक्कर में खुल गई पोल

मदरसे में ही हर समय उसे रखा जाता था। कुछ दिनों के लिए उसे वेल्डिंग का काम सिखाने के लिए फरीदाबाद ले जाया जाता, लेकिन वहां भी मतलूब के करीबी हर वक्त उसके साथ रहते थे। विवेक के मुताबिक, उसे मोहम्मद उमर बनाकर सऊदी अरब भेजने की तैयारी की जा रही थी। इसीलिए आधार कार्ड में नाम संशोधन कराने के दौरान सच सामने आ गया।

दिल कहता था वापस आएगा कलेजे का टुकड़ा

विवेक की मां सरोज से जब बात की गई तो वह खुशी के चलते रो पड़ीं। सरोज ने बताया कि उनके तीन बच्चों में सबसे बड़ी पुत्री सविता, फिर विवेक और अभिषेक हैं। विवेक जब लापता हुआ तो कई माह तक वह चैन से सो भी नहीं पाए, लेकिन उनका दिल कहता था कि कलेजे का टुकड़ा वापस आएगा। सरोज कहती हैं कि साढ़े सात साल बाद सही मायने में वह दिवाली मनाएंगी।

जब विवेक ने पूछा यह कौन…जवाब मिला बहन है

विवेक जब लापता हुआ था, या यूं कहें कि उसका अपहरण हुआ था, तो उससे बड़ी बहन सविता और छोटा भाई अभिषेक ही परिवार में थे। गांव वापस आने पर उसे घर के आंगन में एक बच्ची खेलती मिली, तो विवेक ने पूछा कि यह कौन है। इस पर पिता वीरेंद्र और मां सरोज ने जवाब दिया कि छोटी बहन है। दरअसल विवेक के जाने के बाद मिष्ठी का जन्म हुआ था।

स्रोत : अमर उजाला

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