कर्नाटक के दावणगिरे स्थित ईसाई मिशनरियों द्वारा संचालित डॉन बॉस्को स्कूल में कई अनियमितताएं हैं, जिनकी जांच ‘राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR)’ कर रहा है। इस दौरान बच्चों के आश्रय गृह ओपन सेंटर में भी NCPCR की टीम पहुँची। संस्था के अध्यक्ष प्रियंक कानूनगो ने इस दौरान मिले एक पर्चे की तस्वीर शेयर की है। इस पर्चे में आइटम के नाम, तारीख़ और उनकी कीमत लिखी हुई हैं। इसमें जिन चीजों के नाम लिखे हैं, उनमें बीफ भी है।
प्रियंक कानूनगो ने इसे हाइलाइट करते हुए अपने ट्वीट में जानकारी दी कि किचन में निरीक्षण के दौरान ये संदिग्ध मांस मिला है। टीम की सदस्य एवं स्त्रीरोग विशेषज्ञ डॉक्टर दिव्या गुप्ता ने कचरे में से गोमांस का ये बिल ढूँढ कर निकाला। होम में बड़ी संख्या हिंदू बच्चों की है, इसके बावजूद सभी बच्चों से ईसाई मजहब की प्रैक्टिस कराई जा रही है तथा गोमांस पकाया जा रहा है। आवश्यक कार्यवाही हेतु संस्था द्वारा नोटिस जारी कर दिया गया है।
कर्नाटक के दावणगिरे में डॉनबॉस्को मिशनरी संस्था द्वारा संचालित बच्चों के आश्रय गृह ओपन शेल्टर में @NCPCR_ की टीम को निरीक्षण के दौरान किचन में संदिग्ध मांस मिला आयोग की सदस्य @DrDivyagupta28 ने कचरे में से बीफ (गौमांस) का यह बिल भी ढूँढ निकाला है।
होम में बड़ी संख्या हिंदू बच्चों… pic.twitter.com/0r22praqFp— प्रियंक कानूनगो Priyank Kanoongo (@KanoongoPriyank) November 21, 2023
कर्नाटक में एनसीपीसीआर की टीम सक्रिय है। बता दें कि इससे पहले निरीक्षण के बाद NCPCR के चेयरमैन प्रियांक कानूनगो ने सोशल मीडिया पर एक वीडियो साझा करते हुए लिखा था, “कर्नाटक में डॉन बॉस्को मिशनरी के एक चिल्ड्रेन होम के निरीक्षण में राजस्थान के जोधपुर का एक बालक मिला जो कि घर से भटक कर यहाँ आ गया था और यहाँ कई महीनों से रह रहा था, इसको वापस जोधपुर भेजने का निर्देश दिया है।”
NCPCR अध्यक्ष ने बताया कि नियमों के मुताबिक बच्चे को घर भेजा जाना चाहिए था लेकिन बाल गृह ने इसका पालन नहीं किया। साथ ही वीडियो में वह वहाँ काम करने वाली दो महिलाओं से पूछताछ करते नजर आ रहे हैं। वह महिलाओं से आश्रय गृह में मजहबी शिक्षा को लेकर सवाल कर रहे हैं। मिशनरीज द्वारा बच्चों को उनकी इच्छा के विरुद्ध आश्रय गृहों में रखने की बार-बार आने वाली समस्या पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने कहा, “धन के लालच में, कुछ बाल आश्रय गृह बच्चों को उनकी इच्छा के विरुद्ध रखते हैं और उन्हें उनके परिवारों से दूर रखते हैं। यह सब स्थानीय अधिकारियों की मिलीभगत से किया जाता है।”
स्रोत : Opindia