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राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग के नए लोगो में भगवान धन्वंतरि का चित्र और भारत शब्द का उल्लेख

राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग (एनएमसी) ने अपना लोगो बदल दिया है। लोगो से राष्ट्रीय प्रतीक को हटाकर भगवान धन्वंतरि का चित्र लगाया है। धन्वंतरि देवता को भगवान विष्णु का एक अवतार माना जाता है। उन्हें पुराणों में आयुर्वेद के देवता बताया गया है। नैशनल मेडिकल कमिशन (एनएमसी) ने कहा कि, धन्वंतरि का लोगो लगभग एक साल से उपयोग में है। एक अधिकारी ने कहा, ‘पहले, यह काले और सफेद रंग में था, इसलिए प्रिंटआउट में दिखाई नहीं देता था। हमने केवल लोगो के केंद्र में एक रंगीन फोटो का उपयोग किया है।’ वहीं, लोगो में बदलाव का यह कहकर विरोध हो रहा है कि इससे एनएमसी की धर्मनिपेक्ष प्रकृत्ति की हानि होगी।

डब्ल्यूएचओ के लोगो में भी धार्मिक प्रतीक!

एक अन्य अधिकारी, जो अपना नाम नहीं बताना चाहते थे, ने कहा कि यहां तक कि विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यूएचओ) के प्रतीक में भी संयुक्त राष्ट्र (UN) के प्रतीक को शामिल किया गया था, जिस पर एक सांप लिपटा हुआ था। सांप लंबे समय से दवा और चिकित्सा पेशे का प्रतीक रहा है। डब्ल्यूएचओ का कहना है कि यह एस्क्लेपियस की कहानी से पैदा हुआ है, जिसे प्राचीन यूनानी चिकित्सा के देवता के रूप में पूजा करते थे और जिसके पंथ में सांपों का उपयोग शामिल था। एनएमसी के लोगो में ‘भारत’ का कोई उल्लेख नहीं है, लेकिन उसने ‘भारत’ शब्द का इस्तेमाल किया है। हालांकि, लोगो में बदलाव को लेकर कोई आधिकारिक घोषणा नहीं हुई थी।

आईएमए की केरल शाखा ने जताई आपत्ति

भारतीय चिकित्सा संघ (IMA) की केरल शाखा ने लोगो में बदलाव की आलोचना की। उसने कहा, ‘एनएमसी के लोगो में हालिया बदलाव आधुनिक चिकित्सा बिरादरी को स्वीकार्य नहीं है। नया लोगो गलत संदेश देता है और आयोग के वैज्ञानिक और धर्मनिरपेक्ष स्वभाव को ठेस पहुंचाएगा।’ उसने कहा कि इस फैसले को रद्द कर दिया जाना चाहिए।

कौन हैं भगवान धन्‍वंतरि ?

भगवान धन्वंतरि भगवान विष्णु के 24 अवतारों में से 12वें अवतार माने गए हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान धन्वंतरि की उत्पत्ति कार्तिक माह के कृष्‍ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन हुई थी। इसी तिथि को भगवान धन्‍वंतरि समुद्र मंथन में से हाथ में अमृत कलश लेकर प्रकट हुए थे। समुद्र मंथन में से चौदह प्रमुख रत्न निकले थे जिनमें चौदहवें रत्न के रूप में स्वयं भगवान धन्वन्तरि प्रकट हुए थे। चार भुजाधारी भगवान धन्वंतरि के एक हाथ में आयुर्वेद ग्रंथ, दूसरे में औषधि कलश, तीसरे में जड़ी बूटी और चौथे में शंख विद्यमान है। इसी के चलते धन त्रयोदशी तिथि भगवान धन्‍वंतरि को समर्पित है और इस दिन उनकी पूजा की जाती है।

…इसलिए कहे जाते हैं आरोग्‍य के देवता

शास्‍त्रों के अनुसार भगवान धन्वंतरी ने ही संसार के कल्याण के लिए अमृतमय औषधियों की खोज की थी। भगवान धन्‍वंतरि ने ही दुनिया की तमाम औषधियों के प्रभावों के बारे में धन्‍वंतरि संहिता में लिखा है, जो कि आयुर्वेद का मूल ग्रंथ है। माना जाता है कि महर्षि विश्वामित्र के पुत्र सुश्रुत ने इन्हीं से आयुर्वेदिक चिकित्सा की शिक्षा प्राप्त की और आयुर्वेद के ‘सुश्रुत संहिता’ की रचना की।

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