मंदिर सरकारीकरण, मंदिरों पर आघात, मंदिर में वस्त्रसंहिता लागू करने के साथ ही विविध विषयों पर होगी चर्चा !
पुणे – मंदिर, हिन्दू धर्म की आधारशिला हैं । उनसे मिलनेवाले ईश्वरीय चैतन्य के कारण ही आधुनिक काल में भी समाज मंदिरों की ओर आकर्षित होता है । इसलिए मंदिरों की पवित्रता की रक्षा करना, हिन्दू समाज का दायित्व है । मंदिर में देवतातत्त्व टिकाने के लिए मंदिरों में विधिवत् पूजा-अचर्ना करना, प्राचीन मंदिर-संस्कृति का संवर्धन करना, मंदिरों की समस्याओं का निवारण करना, मंदिर में आनेवाले श्रद्धालुओं के लिए सुविधा उपलब्ध करवाना, दर्शनार्थियों की कतारों का सुनियोजन करना, इसके साथ ही मंदिर परंपराओं की रक्षा करने के लिए मंदिरों के विश्वस्त, पुजारी, भक्त आदि का संगठन आवश्यक है । उसके लिए श्री विघ्नहर गणपति मंदिर देवस्थान, लेण्याद्री गणपति मंदिर देवस्थान, श्री क्षेत्र भीमाशंकर देवस्थान, हिन्दू जनजागृति समिति एवं महाराष्ट्र मंदिर महासंघ के संयुक्त विद्यमान में और ३ दिसंबर २०२३ को श्री विघ्नहर सभागृह, ओझर, जिला पुणे में द्वितीय ‘महाराष्ट्र मंदिर न्यास परिषद’का आयोजन किया गया है । इस परिषद में संपूर्ण महाराष्ट्र से ५५० से भी अधिक निमंत्रित मंदिरों के विश्वस्त, प्रतिनिधि, पुरोहित, मंदिरों की रक्षा के लिए प्रयत्नशील अधिवक्ता, अभ्यासक आदि सम्मिलित होंगे, ऐसी जानकारी ‘महाराष्ट्र मंदिर महासंघ’के समन्वयक श्री. सुनील घनवट ने २८ नवंबर को पुणे श्रमिक पत्रकार भवन में हुई पत्रकार परिषद में दी ।
इस पत्रकार परिषद में ग्रामदेवता दैवत कसबा गणपति की विश्वस्त श्रीमती संगीताताई ठकार, ‘वीर सावरकर स्मृति प्रतिष्ठान’के महामंत्री श्री. विद्याधर नारगोलकर, श्री पुणे जिला जैन महासंघ के सचिव श्री. रमेश ओसवाल, करमाळा के श्री दत्त मंदिर के विश्वस्त एवं अधिवक्ता दत्तात्रय देवळे, भीमाशंकर देवस्थान के विश्वस्त श्री. मधुकर रामकृष्ण गवांदे, हिन्दू जनजागृति समिति के श्री. पराग गोखले भी उपस्थित थे ।
पुणे जिले के २०० से भी अधिक विश्वस्त उपस्थित रहेंगे !
इस अवसर पर श्री. सुनील घनवट आगे बोले, ‘‘जलगांव में देखा जाए तो ‘महाराष्ट्र मंदिर न्यास परिषद’में ‘महाराष्ट्र मंदिर महासंघ’की स्थापना की गई थी । तदुपरांत महासंघ का कार्य उत्तरोत्तर बढता ही जा रहा है और केवल ४ माह में वह संपूर्ण राज्यभर में पहुंच गया है । महाराष्ट्र मंदिर महासंघ के माध्यम से महाराष्ट्र राज्य में केवल ६ माह में २६२ मंदिरों में वस्त्रसंहिता लागू कर दी गई है और दिनोंदिन उसमें वृद्धि हो रही है । पुणे जिले में इस परिषद के लिए मंदिर विश्वस्तों से संपर्क जारी है और २०० से भी अधिक विश्वस्त पुणे जिले से उपस्थित रहनेवाले हैं ।