ज्येष्ठ कृष्ण १३, कलियुग वर्ष ५११५
रामनाथी, गोवा : अधिवेशनके पहले दिनसे ही गुप्तचर विभागके दो पुलिसवाले अधिवेशनस्थलपर आए । स्वागतकक्षपर बिना अपनी पहचान दिखाते हुए वे बोले, हमें अधिवेशनमें भाग लेना है । इस अवसरपर उन्हें हिंदू जनजागृति समितिके कार्यकर्ताओंने कहा, यह कार्यक्रम केवल उन्हींके लिए है जिन्हें इसमें आमंत्रित किया गया है । इसलिए आप सभागृहमें नहीं जा पाएंगे । तब उन्होंने सीधे अपने वरिष्ठ पुलिस अधिकारियोंसे संपर्क किया । तब वरिष्ठ पुलिस अधिकारीने समितिके कार्यकर्तासे कहा, पुलिसको किसी भी निमंत्रण अथवा पहचानपत्रकी आवश्यकता नहीं होती । इसलिए इन पुलिसवालोंको प्रवेश दें । परंतु समितिके कार्यकर्ताओंने उन पुलिसवालोंको प्रवेश देनेसे स्पष्ट मनाही कर दी । इसलिए वे पुलिसवाले सभागृहमें नहीं जा सके; परंतु श्री रामनाथ देवस्थानके परिसरमें चक्कर काट रहे थे । (इस प्रकार अन्य धर्मियोंके कार्यक्रममें जानेका दुस्साहस क्या पुलिसने कभी किया होता ? राष्ट्र एवं धर्मकी रक्षाके लिए आयोजित हिंदू अधिवेशनपर निगरानी रखनेकी अपेक्षा पुलिसने राष्ट्र एवं धर्मको नष्ट करनेपर तुले जिहादी आंतकवादियोंको ढूंढनेमें अपनी शक्ति लगाई होती, तो देश अबतक आतंकवादमुक्त हो गया होता ! – संपादक)