बनाते थे काफिरों (गैर-मुस्लिमों) की हत्या का प्लान
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने महाराष्ट्र और कर्नाटक में ४४ ठिकानों पर छापेमारी की है। यह छापेमारी इस्लामी आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट ऑफ़ इराक एंड सीरिया (ISIS) के आतंकियों की जांच के सम्बन्ध में चल रही है। यह मामला ISIS के पुणे मॉड्यूल से जुड़ा हुआ है।
NIA ने यह छापेमारी ठाणे ग्रामीण में ३१ स्थानों पर, ठाणे शहर में ९ जगह पर और पुणे में २ जगह तथा मुंबई और कर्नाटक में १-१ जगह पर की है। अभी तक सामने आई जानकारी के अनुसार, इस छापेमारी में NIA ने ISIS से संबंधित १३ लोगों को गिरफ्तार किया है। यह १३ लोग पुणे से गिरफ्तार किए गए हैं।
Of the total 44 locations being raided by the NIA since this morning, the agency sleuths have searched 1 place in Karnataka, 2 in Pune, 31 in Thane Rural, 9 in Thane city and 1 in Bhayandar. https://t.co/vKl7119DcV
— ANI (@ANI) December 9, 2023
गौरतलब है कि बीते दिनों NIA ने ISIS के पुणे मॉड्यूल का खुलासा किया था। NIA द्वारा इस मामले में लगाई गई चार्जशीट में कई अहम खुलासे किए गए थे। इस पुणे मॉड्यूल में सात सदस्यों के होने की जानकारी दी गई थी। यह सभी सदस्य दिन में नामी कम्पनियों में काम करते थे और रात में देश-विरोधी साजिश रचते थे।
आतंक के इस पुणे मॉड्यूल के खिलाफ राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) ने ४ नवंबर २०२३ को कोर्ट में चार्जशीट दायर कर दी थी। इस चार्जशीट से पता चला था कि आतंकियों ने काफिरों (गैर-मुस्लिमों) की हत्या का प्लान बनाया था और वे भारतीय संविधान को ‘हराम’ (गैर-इस्लामी) मानते थे।
चार्जशीट के हवाले से बताया गया था कि आरोपित विस्फोटक बनाने के लिए कोडवर्ड का इस्तेमाल करते थे। हमलों के लिए महाराष्ट्र के कुछ स्थानों की रेकी भी की गई थी। रिपोर्ट्स के मुताबिक नामी कंपनियों में काम करने वाले ये सभी आतंकी IED बनाने और उसका परीक्षण करने के काम पर जुटे थे।
IED बनाने के लिए ये सभी कोडवर्ड में बात किया करते थे। सल्फ्यूरिक एसिड के लिए सिरका, हाइड्रोजन परॉक्साइड के लिए शर्बत और एसीटोन के लिए गुलाब जल जैसे कोडवर्ड का इस्तेमाल किया जा रहा था। बताते चलें कि IED बनाने के लिए सल्फ्यूरिक एसिड, एसीटोन और हाइड्रोजन परॉक्साइड जरूरी घटक हैं।
चार्जशीट में बताया गया था कि आतंकी IED बनाने के लिए आसानी से मिलने वाली चीजों का इस्तेमाल करते थे। इसमें वाशिंग मशीन टाइमर, थर्मामीटर, स्पीकर वायर, १२ वॉट का बल्ब, ९ वॉट की बैटरी, फिल्टर पेपर, माचिस की तीलियाँ और बेकिंग सोडा शामिल हैं।
विस्फोटक बनाने के बाद आरोपितों ने इसे ब्लास्ट करने के लिए महाराष्ट्र, गोवा, केरल और कर्नाटक के कुछ हिस्सों में रेकी भी की थी। रेकी में फोटो और वीडियो बनाने के लिए ड्रोन का इस्तेमाल किया गया था। इस मॉड्यूल का दिल्ली दंगों और शरजील इमाम से भी सम्बन्ध सामने आया था।
इस मामले में पकड़ा गया एक आरोपित जुल्फिकार मल्टीनेशनल आईटी कंपनी में सीनियर प्रोजेक्ट मैनेजर के पद पर ३१ लाख के सालाना पैकेज पर काम कर रहा था। दूसरा आरोपित शाहनवाज माइनिंग इंजिनियर था। उसे विस्फोटकों की अच्छी जानकारी थी। तीसरा आरोपित कादिर पठान ग्राफिक्स डिजाइनर था।
जुल्फिकार अली बड़ौदावाला और पुणे निवासी जुबैर शेख ने साल २०१५ में युवाओं को कट्टरपंथी बनाना शुरू कर दिया था। इसके लिए व्हाट्सऐप पर ग्रुप बनाकर आईएसआईएस के समर्थन में पोस्ट किए जाते थे।
एनआईए ने एक गवाह के हवाले से विस्तार में इसकी जानकारी दी थी कि कैसे वह २०११-२०१२ में जुबैर शेख के संपर्क में आया था, जिसे एनआईए ने एक अन्य मामले में गिरफ्तार किया है। एक गवाह ने कहा था कि साल २०१४ में शेख ने उसे ‘यूनिटी इन मुस्लिम उम्मा’ और ‘उम्मा न्यूज’ नाम के व्हाट्सऐप ग्रुपों में जोड़ा था।
इसी मामले में उत्तर प्रदेश से UP ATS ने इस पुणे मॉड्यूल और दिल्ली मॉड्यूल के स्वघोषित खलीफा वजीहुद्दीन को गिरफ्तार किया था। वजीहुद्दीन इन दोनों मॉड्यूल का सरगना था। उसके गुर्गों ने उसके आदेश पर गाजियाबाद के यति नरसिम्हा सरस्वती जैसे ‘निशानों’ की पहचान की थी।
इतना ही नहीं, आईएसआईएस के पुणे मॉड्यूल के सदस्य शहनवाज के साथ मिलकर वो धमाकों की ट्रेनिंग भी शुरू कर चुका था। वजीहुद्दीन उत्तर प्रदेश के रामपुर, संभल, अलीगढ़ से लेकर प्रयागराज तक अलग-अलग गुर्गों के माध्यम से भारत के खिलाफ ‘जेहाद’ के लिए ‘इस्लामिक फौज’ तैयार कर रहा था।
इससे पहले इस मामले पर ऑपइंडिया ने अपनी रिपोर्ट में यह बताया था कि कैसे वजीहुद्दीन सामू (SAMU) से लेकर एएमयू (AMU) तक, दिल्ली से लेकर प्रयागराज तक आईएसआईएस से जुड़े लोगों के लिए ‘अमीर’ की तरह था। उसके गुर्गे सोशल मीडिया पर भी उसका गुणगान करते थे और उसे ‘अमीर’ कहकर संबोधित करते थे। मुस्लिम देशों में ‘अमीर’ का मतलब शासक होता है।
वजीहुद्दीन ने शुरुआत में आईएसआईएस के ओजीडब्ल्यू (ओवर ग्राउंड वर्कर) के तौर पर काम शुरू किया और फिर सामू (SAMU- Students of AMU) जैसे संगठनों में खुद को ‘अमीर’ के तौर पर स्थापित कर लिया। वो ‘हया’ कार्यक्रम के जरिए बाकायदा मजलिसों का आयोजन करता था और इस्लामिक भाषण देता था।
वजीहुद्दीन मूल रूप से छत्तीसगढ़ के दुर्ग का रहने वाला है। वो एएमयू में पीएचडी करने के साथ ही जूनियर छात्रों को सामाजिक विज्ञान विषय (इतिहास, भूगोल और नागरिक शास्त्र) पढ़ाता था। उसके छात्रों में हिंदू छात्र भी शामिल हैं।
स्त्रोत : ऑप इंडिया