वकील ने कहा – इन्होंने देश की एकता-अखंडता को पहुंचाया नुकसान
वामपंथी कार्यकर्ता अरुंधति रॉय और अभिनेता प्रकाश राज के खिलाफ कलकत्ता उच्च न्यायालय में PIL दाखिल की गई है, जिसमें उन पर भारत सरकार को फासीवादी कहने का आरोप है। पश्चिम बंगाल की एक वकील मीता बनर्जी ने कलकत्ता उच्च न्यायालय में ये जनहित याचिका दायर की है, जिसमें अभिनेता प्रकाश राज और लेखिका अरुंधति रॉय के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है।
याचिका में आरोप लगाया गया है कि, रॉय और राज ने अपने बयानों में भारत को ‘हिंदू फ़ासीवादी उपक्रम’ कहा है। याचिका में कहा गया है कि, रॉय और राज के बयान देश की एकता और अखंडता को नुकसान पहुंचाते हैं। याचिका में मांग की गई है कि न्यायालय रॉय और राज के बयानों को सोशल मीडिया से हटाने का निर्देश दे।
‘बार एंड बेंच’ की रिपोर्ट के मुताबिक, याचिका पर सुनवाई कलकत्ता उच्च न्यायालय में मुख्य न्यायाधीश TS शिवगणम और न्यायमूर्ति हिरण्मय भट्टाचार्य की खंडपीठ ने की, जिसके समक्ष वकील मीता बनर्जी ने रॉय द्वारा जून २०२३ में एक अंतरराष्ट्रीय समाचार चैनल को दिए गए साक्षात्कार पर प्रकाश डाला।
वकील बनर्जी ने अपनी दलील में कहा, “लेखक रॉय ने इस साल जून में ‘अल जज़ीरा’ को एक साक्षात्कार दिया और कहा कि भारत एक हिंदू फासीवादी गया है। वह ऐसी बातें कैसे कह सकती हैं, वह भी ‘अल जज़ीरा’ जैसे चैनल पर, जो आतंकवादी संगठन अलकायदा के मुखपत्र की तरह है, जिसे (अलकायदा को) ओसामा बिन लादेन चलाया करता था।”
याचिकाकर्ता ने न्यायालय से कहा कि, अभिनेता प्रकाश राज ने भी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर (अब ‘X’) पर इसी तरह के बयान दिए थे। उन्होंने कहा, “ये हमारे देश के जिम्मेदार नागरिक हैं, फिर भी उन्होंने ऐसी टिप्पणियाँ कीं। इन बयानों से हमारी भावनाएँ आहत हुई हैं। हम हिंदू फासीवादी नहीं हैं। हमें बचपन से सिखाया जाता है कि अगर हम अपने धर्म की रक्षा करेंगे, तो हमारा धर्म भी रक्षा करेगा, जैसे राम, कृष्ण आदि। इस प्रकार हम ट्विटर सहित सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स से उनके बयानों को हटाने के लिए एक निर्देश चाहते हैं।”
वकील मीता बनर्जी ने कहा कि रॉय और प्रकाश दोनों ही भारत सरकार को हिंदू फासीवादी उपक्रम नहीं कह सकते क्योंकि उसे बहुसंख्यक आबादी का जनादेश प्राप्त है। उनकी दलीलों पर सुनवाई करते हुए पीठ ने कहा कि वो कुछ बदलावों के साथ नई याचिका दायर करें। खंडपीठ ने याचिकाकर्ता को कुछ बदलाव करने को कहा है और निर्देश दिया है कि वो अपनी याचिका में ट्विटर को एक्स के तौर पर संबोधित करें। उच्चन्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई २० जनवरी, २०२४ को तय की है।
स्त्रोत : ऑप इंडिया