क्या हिंदू नेताओं की टारगेट किलिंग की साजिश रचना आतंकवादी घटना में आ सकता है या नहीं…? ये सवाल उठाया है मद्रास हाईकोर्ट ने। कोर्ट ने आसिफ मुस्तहीन नाम के शख्स की जमानत को मंजूर करते हुए यह प्रश्न किया। कोर्ट ने इसे बहस का मुद्दा बताया कि हिंदू नेताओं की हत्या की साजिश आतंकी कृत्य में होगा या नहीं।
जस्टिस एसएस सुंदर और सुंदर मोहन की खंडपीठ ने इस दौरान यह तो माना कि आसिफ हिंदू नेताओं पर हमला करने की साजिश रच रहा था। लेकिन इस बात से राजी नहीं हुए इस साजिश को आतंकी कृत्य की श्रेणी में रखा जा सकता है।
पूरा मामला है १३ दिसंबर का, जब मद्रास हाईकोर्ट में आसिफ को जमानत देने के लिए सुनवाई हुई। इसी दौरान हाईकोर्ट ने हिंदू धार्मिक नेताओं की टारगेट किलिंग को आतंकी घटना मानने से फिलहाल के लिए इनकार किया और पूरे मुद्दे को एक बहस का विषय बताया। इस टिप्पणी के साथ उन्होंने आईएस में शामिल होने की इच्छा रखने वाले आसिफ को जमानत दे दी।
"Targeted killing of Hindu neta not a terrorist act" – Madras HC Justices SS Sundar & Sunder Mohan
They granted bail to Asif Mustaheen who was arrested for hatching plans to kill RSS/BJP leadershttps://t.co/ZYDLbm7MqP
— iMac_too (@iMac_too) December 14, 2023
बता दें कि आसिफ पर आरोप था कि उसने भारतीय जनता पार्टी और आरएसएस से जुड़े हिंदू धार्मिक नेताओं को मारने की साजिश रची। उसका सपना था कि वो आतंकी संगठन आईएस में शामिल हो। लेकिन इन सबके बावजूद कोर्ट ने कहा कि अधिकारियों द्वारा पेश किए गए सबूतों से ये तो पता चल गया कि आसिफ हिंदू नेताओं को मारना चाहता था, मगर अधिकारी ये नहीं बता पाए कि इसे टेररिस्ट एक्ट कैसे माना जाए जैसा कि यूएपीए की धारा १५ के तहत परिभाषित किया गया है।
अभियोजन पक्ष से असहमत होने के कारण हाईकोर्ट ने आसिफ को सशर्त जमानत दे दी। कोर्ट ने आसिफ से कहा उसे अगली सूचना तक इरोड में रहना होगा और रोजाना सुबह १०:३० बजे ट्रायल कोर्ट में हाजिरी लगानी होगी। उसे साथ ही यह भी कहा कि आसिफ के खिलाफ मिले सबूत भारत की एकता, अखंडता, सुरक्षा, आर्थिक सुरक्षा या संप्रभुता को खतरे में डालने या लोगों में आतंक पैदा करने के इरादे को स्थापित नहीं करते हैं।
Is conspiring to kill Hindu religious leader a terrorist act under UAPA? Madras High Court asks
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— Bar & Bench (@barandbench) December 14, 2023
उल्लेखनीय है कि आरोपित आसिफ को राष्ट्रीय जाँच एजेंसी ने २६ जुलाई २०२२ को यूएपीए के तहत गिरफ्तार किया था। उसकी जमानत याचिकाओं को ट्रायल कोर्ट, हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया था। पिछले १७ महीने जेल में काटने के बाद मद्रास हाईकोर्ट से उसे बेल मिली। कोर्ट ने कहा कि जो सबूत दिए गए हैं वो ये साबित नहीं कर पा रहे हैं कि आरोपित इस्लामिक स्टेट का सदस्य था या उसका साथी उस संगठन से जुड़ा था।
स्त्रोत : आॅप इंडिया