मिरज के हिन्दू संगठन सम्मेलन में १५० से अधिक धर्मप्रेमियों की उपस्थिति !
मिरज – मार्गदर्शन करते हुए हिन्दू जनजागृति समिति के राष्ट्रीय मार्गदर्शक सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी ने कहा, कि कहा जाता है कि लोकतंत्र में जिसका बहुमत उसकी सत्ता । परंतु संविधान की धारा ३० के अंतर्गत अल्पसंख्यकों को प्रदान किए हुए विशेष अधिकार बहुसंख्यक हिन्दुओं को नहीं दिए जाते हैं । भारत को स्वतंत्र हुए ७६ वर्ष हो गए, तो भी हिन्दुओं की समस्याओं की सूची इतनी बडी है, कि इस कारण ‘क्या वास्तव में स्वतंत्रता मिली है ?’, ऐसा प्रश्न उपस्थित हो रहा है । ‘जो जीता वही सिकंदर’, ऐसा सिखाया जाता है; परंतु प्रत्यक्ष में चंद्रगुप्त मौर्य विजयी हुए थे, यह नहीं बताया जाता । इसके लिए हमारी महान भारतीय संस्कृति समझने के लिए हिन्दुओं को प्रतिदिन धर्मशिक्षण लेना आवश्यक है ।’ वे ब्राह्मणपुरी स्थित दत्त मंगल कार्यालय में आयोजित हिन्दू संगठन सम्मेलन में ऐसा बोल रहे थे । इस समय सम्मेलन में १५० से अधिक धर्मप्रेमी उपस्थित थे ।
सद्गुरु डॉ. पिंगळेजी का परिचय श्रीमती मधुरा तोफखानेजी ने, जबकि समिति के कार्य का परिचय कु. प्रतिभा तावरे ने दिया । इस प्रसंग में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के श्री. शरद देशपांडे, श्री शिवप्रतिष्ठान हिन्दुस्थान के श्री. श्रीकृष्ण माळी, श्री. विनायक कुलकर्णी, दत्तभक्त सर्वश्री चंद्रशेखर कोडोलीकर एवं गजानन प्रभुणे, उद्योगपति श्री. विकास कुलकर्णी, श्री. मंदार ताम्हणकर, निर्माणकार्य अभियंता श्री. चेतन चोपडे, उद्योगपति श्री. अरुण सन्मुख, श्री. दिगंबर कोरे, अधिवक्ता सी.जी. कुलकर्णी, अधिवक्ता शिरसाट के साथ ही विविध संगठनों के पदाधिकारी एवं कार्यकर्ता उपस्थित थें ।
सद्गुरु डॉ. चारुदत्त पिंगळेजी ने कहा कि
१. हमारा मन एवं हमारी आत्मा की रक्षा के लिए धर्मशिक्षण तथा उसके अनुसार धर्माचरण अत्यावश्यक है । हिन्दुओं के त्योहार, व्रत, उत्सव एवं १६ संस्कारों का महत्त्व एवं शास्त्र ज्ञात कर उसके अनुसार धर्माचरण आवश्यक है । रक्षाबंधन त्योहार पवित्र है तथा उसका भावार्थ महाभारत के श्रीकृष्ण-द्रौपदी के उदाहरण के अनुसार ‘भाई को बहन की रक्षा करनी चाहिए’, इस आध्यात्मिक परंपरा का धरोहर (विरासत) के रूप में रक्षाबंधन त्योहार मनाना अपेक्षित है; परंतु आज अनेक हिन्दू भाई-बहनें यह जानते नहीं हैं ।
२. लोकतंत्र में बहुसंख्यक हिन्दुओं को श्रीकृष्ण के मथुरा मंदिर में, एवं काशी विश्वेश्वर के महादेव मंदिर में पूजन करने के अधिकार मिलें, इसके लिए अभी तक लडाई लडनी पड रही है, यह दुर्भाग्यपूर्ण है ।