उत्तर प्रदेश एंटी टेररिस्ट स्क्वाड (यूपी एटीएस) को मंगलवार (२० दिसंबर २०२३) को टेरर फंडिंग केस में एक शख्स को धरने में कामयाबी हाथ लगी है। ATS ने इसे नई दिल्ली के निज़ामुद्दीन रेलवे स्टेशन से गिरफ्तार किया। इसकी पहचान ३७ साल के मोहम्मद अब्दुल अव्वल के रूप में हुई है।
अवैध घुसपैठ और मानव तस्करी करने वाले सिंडिकेट का सदस्य अव्वल लखनऊ के नदवतुल उलमा का एक पूर्व छात्र था। हालाँकि मूल रूप से ये असम के गोलपारा के रहने वाला है। साल २०१८ से ये दिल्ली को अपना ठिकाना बनाया हुए था। ATS के मुताबिक, बीते पाँच साल से मोहम्मद अब्दुल दिल्ली में जामिया नगर ओखला, श्रम विहार में रह रहा है।
मदरसे की तालीम से १२ वीं करके अब्दुल किराए की दुकान में गैरकानूनी तरीके से बैंक खाते खोलने और मनी ट्राँसफर का काम कर रहा था। इसके लिए उसने फीनो बैंक की मर्चेंट आईडी ले रखी थी।
यूपी ATS को मिला था टेरर फंडिंग पर इनपुट
यूपी एटीएस के एक अधिकारी के १९ दिसंबर २०२३ को दिए बयान के मुताबिक यूपी एटीएस एनसीआर और दिल्ली में रजिस्टर्ड ५०० से अधिक ‘संदिग्ध’ बैंक खातों की जाँच कर रही है। इन खातों में दिल्ली की एनजीओ का पैसा पहुँचता है। ये एनजीओ समाज की भलाई के कामों के लिए दान के तौर पर विदेशी योगदान विनियमन अधिनियम ( एफसीआरए) के तहत विदेशी फंडिंग पा रहा है।
१० संदिग्ध आतंकियों के खिलाफ FIR है दर्ज
टेरर फंडिंग मामले में यूपी एटीएस ने ११ अक्टूबर २०२३ को १० संदिग्ध आतंकवादियों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की थी। इन आरोपितों पर भारत में मस्जिद बनाने के लिए विदेशों से अवैध रूप से धन माँगने, रोहिंग्या और बांग्लादेशी नागरिकों को भारत में बसाने और राष्ट्र विरोधी गतिविधियों को अंजाम देने के आरोप में केस दर्ज किया गया था।
इसमें आदिल उर रहमान अशरफी, अबू हुरैरा गाजी, शेख नाजीबुल हक, मोहम्मद राशिद, कफिलुद्दीन, अजीम, अबू सालेह, अब्दुल गफ्फार, अब्दुल्ला गाजी और अब- का नाम शामिल हैं। अब्दुल अव्वल को गिरफ्तार करने के बाद ६ आतंकी गिरफ्तार कर लिए गए हैं। इनमें से अधिकतर साजिशकर्ताओं का रिश्ता देवबंद के दारुल उलूम से हैं।
कैसे होती थी टेरर फंडिग
विदेशों से देश के कई अन्य हिस्सों में लाया गया पैसा हवाला के जरिए पश्चिम बंगाल के २४ परगना के रहने वाले नजीबुल शेख तक पहुँचाया जाता था। शेख की सहारनपुर में दारुल उलूम देवबंद के पास टोपी और इत्र की दुकान है।
एटीएस को आरोपित मोहम्मद अब्दुल से पूछताछ के दौरान पता चला कि दिल्ली में उसकी मुलाकात २०२० में कोविड महामारी के दौरान अब्दुल गफ्फार से हुई थी। उस दौरान बैंक खाते खोलने के नियमों में ढील दी गई थी। ये गफ्फार और उसके साथी ही थे जिन्होंने आरोपित को बांग्लादेशी नागरिकों और रोहिंग्याओं के नाम पर एक निजी बैंक फीनो में खाते खोलने के लिए राजी किया।
ATS के मुताबिक मुलाकात के दौरान गफ्फार व उसके साथियों ने मोहम्मद अब्दुल से कहा कि अगर वो ऐसा करता है तो वो अपने NGO ‘सन शाइन हेल्थ एंड सोशल वेलफेयर ट्रस्ट’ के एफसीआरए ( FCRA) के खाते में आने वाले विदेशी धन को इन खातों में ट्रांसफर कर देगा।
उसने आरोपित मोहम्मद अब्दुल को लालच दिया था कि बाद में वो सारा नगदी निकाल कर इसे अपने फायदे के लिए इस्तेमाल करने के साथ ही अवैध घुसपैठियों की मदद के लिए कर सकते हैं।
आरोपित मोहम्मद अब्दुल को लालच आया और उनसे फीनो बैंक में खाते खुलवा डाले। फिर गफ्फार के एनजीओ में यूरोपीय देशों से आई रकम को इन बैंक खातों में जमा किया गया। इसके बाद आरोपित मोहम्मद अब्दुल ने इस सारी रकम को गफ्फार के साथ मिलीभगत कर खाते से वापस निकाल बराबर बाँटा। इस नगद पैसे को सहारनपुर के आरोपित को भी पहुँचाया गया। इस आरोपित की पहले ही गिरफ्तारी हो चुकी है।
आरोपित के मुताबिक, गफ्फार ने अपने नेटवर्क के लोगों के खोले गए कई अन्य बैंक खातों के साथ भी इसी तरह के काम को अंजाम दिया। हालाँकि गफ्फार को अभी गिरफ्तार नहीं किया गया है, उसे पकड़ने की कोशिशें जारी हैं।
एटीएस के एक अधिकारी के मुताबिक, इस तरह से पैसा लाने के तौर-तरीकों से साफ पता चलता है कि एफसीआरए नियमों को तोड़कर साँठगाँठ कर देश में लाए गए इस पैसे का इस्तेमाल राष्ट्र-विरोधी गतिविधियों में किया जा रहा था। एटीएस के अधिकारी इन सभी बैंक खातों के विवरण को सावधानीपूर्वक स्कैन कर रहे हैं और आगे की जाँच चल रही है।
स्त्रोत : आॅप इंडिया