अहिल्यानगर में ‘हिन्दू धर्म, संस्कृति एवं आघात’ विषय पर व्याख्यान !
नेवासा (जिला अहिल्यानगर) – प्राचीन भारत में ऋषि-मुनियों द्वारा लगाया गया शोध, विदेशियों ने अपना नाम का झूठा प्रचार कर कि उन्होंने ही खोज की है, ऐसा असत्य समाज के सामने रखने का भरसक प्रयत्न किया । इस देश में आर्य बाहर से नहीं आए, अपितु अपने यहां श्रेष्ठ व्यक्ति को, चारित्र्यवान व्यक्ति को, धर्मधारण करनेवाला, सर्व समूहों में श्रेष्ठ, इन्हें आर्य कहा जाता था । विदेशी लोगों ने हमारे इतिहास को बहुत विकृत किया । विद्यालयीन पाठ्यपुस्तकों द्वारा भारत का खरा इतिहास सिखाना आवश्यक है, इससे आनेवाली पीढी को महान ऋषि-मुनियों एवं पराक्रमी राजाओं के इतिहास की जानकारी होगी । इसके लिए केंद्र शिक्षा मंत्रालय और राज्य शिक्षा मंत्रालय को आगे आना चाहिए !’, ऐसा प्रतिपादन हिन्दू जनजागृति समिति की कु. पूर्वा वाकचौरे ने किया । वे ह.भ.प. सुनील गिरीजी महाराज के मार्गदर्शन में २३ दिसंबर को श्रीराम साधना आश्रम, मुकिंदपुर में ब्रह्मलीन सद्गुरु स्वामी प्रकाश गिरीजी महाराज के द्वितीय पुण्यस्मरण समारोह के उपलक्ष्य में, साथ ही गीता जयंती के निमित्त ‘हिन्दू धर्म, संस्कृति एवं आघात’ इस विषय पर हुए व्याख्यान में बोल रही थीं ।
इसके साथ ही उन्होंने आर्य द्रविडवाद, भाषावाद, उच्चनीचवाद एवं वर्णव्यवस्था आदि, सूत्रों पर भी जागृति की । इस कार्यक्रम के समय महंत ओंकार गिरीजी महाराज (पंचायती निरंजनी आखाडा हरिद्वार) एवं महंत काशी गिरीजी महाराज (पंचायती निरंजनी आखाडा, वसई) नेवासा के त्रिमूर्ति माध्यमिक एवं उच्च माध्यमिक विद्यालय के अध्यक्ष हरिभाऊ धाडगे आदि मान्यवर उपस्थित थे । समाज के ३७५ से भी अधिक धर्मप्रेमियों ने इस मार्गदर्शन का लाभ लिया ।