सर्वोच्च न्यायालय ने शुक्रवार को उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उत्तर प्रदेश सरकार को मथुरा स्थित शाही ईदगाह मस्जिद को श्रीकृष्ण जन्मभूमि के रूप में मान्यता देने और उसे पूजा के लिए हिंदुओं को सौंपने की मांग की गई थी। शीर्ष अदालत ने याचिका खारिज करते हुए कहा कि उच्च न्यायालय में पहले से श्रीकृष्ण जन्मभूमि-शाही ईदगाह मस्जिद विवाद को लेकर दीवानी वाद लंबित है, ऐसे में अलग से जनहित याचिका पर सुनवाई नहीं की जा सकती है।
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— Legally Speaking (@legallyspking) January 5, 2024
जस्टिस संजीव खन्ना और दीपांकर दत्ता की पीठ ने इसके साथ ही इलाहाबाद उच्च न्यायालय के 11 अक्तूबर, 2023 के फैसले को चुनौदी देने वाली याचिका को खारिज कर दिया। पीठ ने कहा है कि ‘इस विवाद को लेकर पहले से ही एक दीवानी मामला लंबित है, लिहाजा एक से ज्यादा मुकदमा नहीं चलाया जाना चाहिए। इससे पहले, याचिकाकर्ता महक माहेश्वरी की ओर से पेश अधिवक्ता ने पीठ से कहा कि उच्च न्यायालय ने भी मुकदमे लंबित होने के आधार पर जनहित याचिका खारिज कर दी थी। इस पर पीठ ने भी कहा कि याचिकाकर्ता ने जनहित याचिका दाखिल की थी, इसलिए उच्च न्यायालय ने इसे खारिज कर दिया था। पीठ ने कहा कि हम उच्च न्यायालय के निर्णय में हस्तक्षेप करने के पक्ष में नहीं है, इसलिए अपील को खारिज किया जाता है। इसके साथ ही शीर्ष अदालत ने यह सप्ष्ट कर दिया कि ‘मौजूदा याचिका खारिज किया जाना, किसी भी कानून को चुनौती देने के पक्षों के अधिकारों पर टिप्पणी करना नहीं है और न ही किसी भी कानून को चुनौती देने से रोकना है। याचिका में उच्च न्यायालय के फैसले को रद्द करने और ईदगाह मस्जिद परिसर को कृष्ण जन्मस्थान घोषित कर हिंदुओं को सौंपने के लिए राज्य सरकार को आदेश देने की मांग की थी।
याचिकाकर्ता महक माहेश्वरी ने उच्च न्यायालय में दाखिल जनहित याचिका में कहा था कि वह एक समर्पित हिंदू हैं और पूजा करने के उनके मौलिक अधिकार को संरक्षित करने की मांग की थी। उन्होंने जनहित याचिका में कहा था कि श्रीकृष्ण जन्मभूमि जन्मस्थान के वास्तविक स्थान को राज्य सरकार द्वारा अधिग्रहित कर कृष्ण जन्मस्थान में विराजमान भगवान कृष्ण की पूजा करने के लिए हिंदुओं को सौंप दिया जाना चाहिए। कृष्ण जन्मस्थान के वास्तविक स्थान पर फिलहाल शाही ईदगाह मस्जिद है।
स्रोत : एमएसएन