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पर्यटन नहीं, आतंकवादियों के लिए भी ‘जन्नत’ है मालदीव, ISIS में सबसे अधिक भर्ती यहीं से

करीब 1200 द्वीपों में फैले सुन्नी मुस्लिम बहुल देश मालदीव एशियाई महाद्वीप की मुख्य भूमि से लगभग 750 किलोमीटर की दूरी पर श्रीलंका और भारत के दक्षिण-पश्चिम में स्थित है। हालांकि, मालदीव जितना खूबसूरती के लिए विख्यात है, उतना ही आतंकवाद के लिए कुख्यात भी है।

एक तरफ प्रकृति की छँटा को निहारने को उत्सुक सैलानी मलादीव में समुद्र के किनारे सुनहरे रेतों पर चलने के लिए मचलते हैं, तो दूसरी तरफ यह आतंकियों के लिए कुछ समय से जन्नत साबित हो रहा है। मालदीव में दुनिया के सबसे बर्बर इस्लामी आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट या आईएसआईस (ISIS या IS) और अल कायदा (Al Qaeda) अपनी जड़े जमा चुके हैं। शरिया संचालित इस मुल्क में कई आतंकी दुनिया की रडार पर हैं।

मुस्लिम बहुल आबादी होने के साथ ही इस मुल्क में कट्टरपंथी सुन्नी की व्याख्या अपने हिसाब से करने वाले आतंकी संगठन इस्लामिक स्टेट और अल कायदा अपना दबदबा बनाने लगे। मालदीव के बारे में अमेरिका तक कह चुका कि ये हद से ज्यादा चरमपंथी देश है। यहाँ सरकार की नीति भी इस्लामी और शरिया समर्थक है। इस देश में रहने वाली 2 प्रतिशत अन्य धर्मों की आबादी भी अपनी इच्छा के अनुसार जी सकती।

मालदीव में रहने वाले 2 प्रतिशत अन्य धर्म के लोगों को अपने धार्मिक प्रतीकों को मानने या सार्वजनिक तौर पर अपने त्योहार मनाने की छूट नहीं है। अगर किसी को मालदीव की नागरिकता चाहिए तो उसे मुस्लिम, वो भी सुन्नी मुस्लिम होना पड़ता है। मालदीव में धार्मिक मामलों को सरकार की इस्लामी मामलों का मंत्रालय (MIA) नियंत्रित करती है। यही कारण है कि आतंकी संगठनों को यहाँ पनपने का मौका मिला।

मालदीव में ISIS और अल कायदा

इतना ही नहीं, यूएस डिपार्टमेंट ऑफ ट्रेजरी ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि साल 2014 से लेकर 2018 के शुरुआत तक मालदीव के 250 से ज्यादा लोग ISIS में भर्ती के लिए सीरिया चले गए। ये जनसंख्या के अनुपात में दुनिया में सबसे ज्यादा है। इनमें से काफी आतंकी मारे गए, जबकि मालदीव की ज्यादातर महिलाएँ सीरिया के कैंपों में हैं।

इस रिपोर्ट के मुताबिक, मालदीव का अड्डू शहर इस्लामी चरमपंथियों का गढ़ है। ये शहर साल 2018 के बाद एक्टिव हुआ और ISIS की विचारधारा को फैलाते हुए यहाँ पर लोगों की भर्तियाँ कर रहा है। यहाँ के कई स्थानीय गुट ISIS-K के लिए काम करते हैं। इसके लीडर इस्लामिक स्टेट तक IED और लड़ाके पहुँचाने का काम करते हैं। ये युवाओं के दिमाग में जिहाद का जहर भरकर उन्हें ISIS और अल कायदा से जोड़ते हैं।

 

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