बंगाल पुलिस ने नहीं दी थी अनुमति
कलकत्ता उच्च न्यायालय ने ममता बनर्जी सरकार की पुलिस का निर्णय पलट दिया है। उच्च न्यायालय ने २२ जनवरी को दक्षिण कोलकाता में राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा को बड़ी स्क्रीन पर दिखाने और भजन-कीर्तन की अनुमति दे दी है। इससे पहले बंगाल पुलिस ने राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम दिखाने की अनुमति नहीं दी थी। यह आयोजन बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के घर से कुछ ही दूर पर होना था। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने यह निर्णय १७ जनवरी, २०२४ को ‘कालीघाट बहुमुखी सेवा समिति’ की याचिका को सुनते हुए दिया।
कोर्ट ने कहा कि समिति दक्षिण कोलकाता के देशप्राण सशमल पार्क में ब्रॉडकास्ट, भजन-कीर्तन और भोग वितरण सुबह ९ बजे से शाम ६ बजे तक कर सकती है। गौरतलब है कि समिति पहले २२ जनवरी, २०२४ को दक्षिण कोलकाता के नेपाल भट्टाचार्जी पार्क में यह आयोजन करना चाहती थी। इसे लेकर संगठन ने काफी दिन पहले कोलकाता पुलिस से अनुमति माँगी थी। हालाँकि, कोलकाता पुलिस ने इसकी अनुमति उन्हें नहीं दी थी। साथ ही में कोलकाता के नगर निगम ने भी इस पर आपत्ति दर्ज कराई थी।
इसको लेकर ‘कालीघाट बहुमुखी सेवा समिति’ ने कलकत्ता उच्च न्यायालय के सामने याचिका दाखिल की थी। समिति ने कहा था कि पुलिस से काफी पहले अनुमति माँगी गई थी लेकिन फिर भी मना किया जा रहा है। इस मामले पर कलकत्ता उच्च न्यायालय के जस्टिस जय सेनगुप्ता की पीठ ने सुनवाई की। सुनवाई के दौरान उन्होंने इस आयोजन की अनुमति दे दी। हालाँकि, पहले से प्रस्तावित आयोजन स्थल को बदल दिया गया। पहले जहाँ यह नेपाल भट्टाचार्जी पार्क में होना था जबकि अब यह आयोजन देशप्राण सश्मल पार्क में होगा।
कोर्ट के सामने कलकत्ता नगर निगम ने कहा कि जहाँ यह समिति राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा के सम्बन्ध में आयोजन करना चाहती है, वहाँ शाम को बच्चे खेलने आते हैं। ऐसे में उन्हें समस्या होगी। हालाँकि, कोर्ट ने कहा कि समिति पूरे पार्क में नहीं बल्कि उसके आधे हिस्से में अपना आयोजन सुचारु रूप से कर ले।
गौरतलब है कि जहाँ राम मंदिर प्राण प्रतिष्ठा का कार्यक्रम दिखाया जाएगा और भजन-कीर्तन होगा, वह बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के आवास से मात्र १ किलोमीटर दूर है। कोर्ट ने यह भी कहा कि इस आयोजन में ६० से अधिक लोग शामिल ना हों और आयोजन के बाद पार्क को साफ़ कर दिया जाए।
स्त्रोत : ऑप इंडिया