अधिकारी ने ‘राजनैतिक दबाव’ को बताया कार्रवाई न करने की वजह
छत्तीसगढ़ के दुर्ग-भिलाई में सरकारी जमीन पर कब्जा करके उस पर मस्जिद बनाने की बात सामने आई है। ये भी पता चला है कि जमीन सिर्फ मस्जिद के लिए नहीं हडपी गई बल्कि वहां आसपास बनी दुकानें भी कब्जाई गई जमीन पर ही बनी हैं, जिनसे अब किराया वसूला जाता है।
इस पूरे मामले पर हाल में दैनिक भास्कर ने रिपोर्ट प्रकाशित की है। हैरान करने वाली बात तो यह है कि जिस नगर निगम पर सरकारी जमीन को कब्जे से छुड़ाने की जिम्मेदारी है उसके कार्यालय के पास भी कुछ जगह जमीनों पर कब्जा हो चुका है
भास्कर के मुताबिक, पूरा मामला भिलाई के जोन कार्यालय का है। जहां मजार की आड़ में करोड़ों की जमीन पर कब्जा करके मस्जिद बना दी गई। इसके बाद मस्जिद और मजार की आड़ में सड़कों के दोनों तरफ दुकानें बनवा दी गईं। यहां मजहबी कार्यों की आड़ में बड़े पैमाने पर व्यवसाय भी किया जा रहा है।
इन अवैध कब्जों की शिकायत अब बीजेपी नेता एसके मोबिन उर्फ बाबर ने की है। उन्होंने अवैध कब्जे की शिकायत दुर्ग जिले के कलेक्टर, पूर्व विधानसभा अध्यक्ष प्रेम प्रकाश पाण्डेय, वैशाली नगर के विधायक रिकेश सेन से भी की है। बाबर ने अपनी शिकायत में कहा है कि मुस्लिम समाज के लोगों ने सैलैनी बाबा की मजार से लगी सुपेला-भिलाई जीई रोड की बेशकीमती जमीन पर अवैध रूप से कब्जा कर लिया है।
बाबर ने करबला कमेटी भिलाई के अध्यक्ष गुलाम सैलानी पर गंभीर आरोप लगाए और कहा कि उसने दरगाह की आड़ में करोड़ों की जमीन पर कब्जा कर दुकानें बनवा दी हैं और इसका किराया वसूलता है। इससे नगर निगम को भी नुकसान हो रहा है। बाबर ने कहा कि यहां मजार तो बहुत पहले से है, लेकिन बाकी के निर्माण कार्य कब्जा करके किए गए हैं। ऐसे में मजार को छोड़कर बाकी की सरकारी जमीन को कब्जामुक्त कर भूमाफिया पर कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए।
रिपोर्ट के मुताबिक, यहां जोन कार्यालय के दोनों तरफ भी कब्जे कर लिए गए हैं। जोन कार्यालय से सुपेला की तरफ करबला कमेटी से जुड़े लोगों ने जमीन कब्जाई है, तो पावर हाउस की तरफ दूसरे लोगों ने मस्जिद-मजार की आड़ में काफी जमीन कब्जा ली है। इन शिकायतों पर जोन कमिश्नर अमिताभ शर्मा का कहना है कि २ बार समाज के लोगों को नोटिस जारी किया जा चुका है। उन्होंने भवन अनुज्ञा अधिकारी को पत्र भी लिखा है। वहीं, एक अधिकारी ने कहा कि राजनीतिक दबावों के चलते अब तक कोई कार्रवाई नहीं हो पा रही थी।
साल १९५७ से मुस्लिम समाज का कब्जा
इस मामले में करबला कमेटी के अध्यक्ष गुलाम सैलानी का भी बयान आया है। गुलाम सैलानी का दावा है कि उस जमीन पर १९५७ से ही मुस्लिम समाज का कब्जा है। इससे जुड़ा केस भी चला है। यहां ७८ डिसमिल जमीन कागजों पर है। हमने निगम के नोटिस पर उन्हें जवाब दे दिया है।
स्त्रोत : ऑप इंडिया