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ब्रिटिश संसद में उठा कश्मीरी हिन्दू नरसंहार का मुद्दा, न्याय देने के लिए प्रस्ताव हुआ पेश

ब्रिटन जैसा यूरोपीय देश कश्मीरी हिन्दुओं के नरसंहार के प्रति संवेदना प्रकट करता है और न्याय की मांग करता है, भारत में केंद्र सरकार ऐसा कब करेगी ? – सम्पादक, हिन्दुजागृति

ब्रिटेन की संसद में जम्मू-कश्मीर में कश्मीरी हिन्दुओं के नरसंहार की ३४ वीं बरसी मनाने के लिए एक प्रस्ताव पेश किया गया। अर्ली डे मोशन(ईडीएम) में कहा गया कि ‘यह सदन जनवरी १९९० में जम्मू-कश्मीर की निर्दोष आबादी पर सीमा पार इस्लामी आतंकवादियों और उनके समर्थकों द्वारा हमलों की ३४ वीं बरसी को गहरे दुख और निराशा के साथ मनाता है। साथ ही कहा कि हम पीड़ित परिवारों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करते हैं।

ब्रिटेन के तीन सांसद बॉब ब्लैकमैन, जिम शैनन, वीरेंद्र शर्मा ने हाउस ऑफ कॉमन्स में अर्ली डे मोशन(ईडीएम) पेश किया। ईडीएम हाउस ऑफ कॉमन्स में बहस के लिए प्रस्तुत किए गए औपचारिक प्रस्ताव है। गौरतलब है कि यह ब्रिटिश सांसदों के लिए किसी घटना या मुद्दे पर ध्यान आकर्षित करने का एक तरीका हैं।

कश्मीरी हिन्दुओं के नरसंहार की ३४ वीं बरसी पर अर्ली डे मोशन पेश

अर्ली डे मोशन(ईडीएम) के कहा गया कि ‘यह सदन जनवरी १९९० में जम्मू-कश्मीर की निर्दोष हिन्दू जनसंख्या पर सीमा पार इस्लामी आतंकवादियों और उनके समर्थकों द्वारा हमलों की ३४ वीं बरसी को गहरे दुख और निराशा के साथ मनाता है। साथ ही कहा कि, हम पीड़ित परिवारों के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करते हैं। ब्रिटेन की संसद में पेश हुए प्रस्ताव में जम्मू और कश्मीर में मौजूद पवित्र स्थलों के अपमान की निंदा की गई है। प्रस्ताव में कहा गया कि, चिंता है कि हिंसा के कारण भागे कश्मीरियों को अभी तक न्याय नहीं मिला है। यहां तक कि उनके खिलाफ किए गए अत्याचारों की पहचान नहीं हुई है। हम ऐसे सीमा पार आतंकवादी हमलों को प्रायोजित करने वालों की कड़ी निंदा करते हैं। साथ ही प्रस्ताव में जम्मू-कश्मीर में हिंदुओं की लगातार हत्याओं की निंदा करते हैं।

‘कश्मीरी हिन्दुओं को मिलें न्याय’

ब्रिटेन की संसद में पेश प्रस्ताव में कहा गया कि जम्मू-कश्मीर में अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय की संपत्तियों पर कब्जा अभी भी जारी है। भारत सरका से आग्रह है कि वह जम्मू-कश्मीर में हिंदुओं के नरसंहार को पहचानने और स्वीकार कने की अपनी प्रतिबद्धता को पूरा करें। भारतीय संसद में कश्मीर नरसंहार अपराध दंड और अत्याचार निवारण विधेयक पास कर कश्मीरी हिन्दुओं को न्याय दिया जाए। साथ ही प्रस्ताव में ब्रिटेन सरकार से इस नरसंहार के पीड़ितों की रक्षा और न्याय की मांग करने की यूके की प्रतिबद्धता को बढ़ाने का आग्रह किया गया।

स्त्रोत : अमर उजाला

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