जज ने फटकार कर खारिज कर दी याचिका
मुंबई उच्च न्यायालय ने लॉ की पढाई कर रहे 4 छात्रों की याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें महाराष्ट्र सरकार के निर्णय को चुनौती दी गई थी कि सोमवार (22 जनवरी, 2024) को अयोध्या में राम मंदिर के उद्घाटन के दिन राज्य में छुट्टी रहेगी। याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि यह छुट्टी संविधान के अनुच्छेद 14, 15 और 25 का उल्लंघन करती है, जो धर्म की स्वतंत्रता और सभी नागरिकों के लिए समानता की गारंटी देता है। उन्होंने यह भी तर्क दिया कि यह छुट्टी धार्मिक भेदभाव को बढ़ावा देगी।
शिवांगी अग्रवाल और अन्य बनाम भारत संघ और अन्य मामले की सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति जी.एस. कुलकर्णी और न्यायमूर्ति नीला गोखले की पीठ ने याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि छुट्टी एक नीतिगत निर्णय है और इसे चुनौती देने का कोई कानूनी आधार नहीं है। कोर्ट ने यह भी कहा कि याचिकाकर्ताओं ने यह नहीं दिखाया कि छुट्टी से किसी व्यक्ति के अधिकारों का उल्लंघन हुआ है।
‘बार एंड बेंच’ की रिपोर्ट के मुताबिक, उच्च न्यायालय ने कहा कि ये निर्णय कार्यकारी निर्णय है। ये निर्णय धर्मनिरपेक्षता के सिद्धांतों के अनुरूप नहीं है और ये शक्ति के प्रयोग का मनमाना मामला भी नहीं है। उच्च न्यायालय ने याचिकाकर्ताओं की ओर से 2019 में सुप्रीम कोर्ट द्वारा अयोध्या जन्मभूमि निर्णय पर सवाल उठाने पर फटकार भी लगाई। उच्च न्यायालय ने कहा, ‘याचिकाकर्ताओं ने सुप्रीम कोर्ट की बुद्धिमत्ता पर सवाल उठाए हैं, जो कि खास मकसद से किया गया है। ऐसे आरोप कोई भी बुद्धिशील इंसान नहीं लगा सकता।’ उच्च न्यायालय ने कहा कि ऐसा लगता है कि ये याचिका राजनीति से प्रेरित है और इसे प्रचार की चाहत रखने वालों की तरफ से दायर की गई है।
स्रोत: ऑप इंडिया