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हर एक हिंदू अपने घरमें परशु तथा लाठी रखे ! – प.पू. अद्भूतबाबा

ज्येष्ठ कृष्ण १४, कलियुग वर्ष ५११५

हिंदू राष्ट्रकी स्थापना हेतु विश्व हिंदू संत महासभाकी स्थापना !


पुणे : धर्मांधोंके घरमें तलवार तथा अन्य शस्त्रास्त्र रहते हैं; किंतु हिंदुओंके घरमें लाठी तक नहीं होती । दंगे होनेपर शासन  धर्मांधोंकी सहायता करता है, तो हिंदुओंपर लाठी बरसाता है । स्वसुरक्षा हेतु अब हर हिंदू अपने घरमें परशु एवं लाठी रखे, ऐसा मार्गदर्शन राजस्थान स्थित अद्भूत पीठके पीठाधीश्वर प.पू. रत्नदीपक विजयजी महाराज तथा प.पू. अद्भूतबाबाजीने किया ।

प.पू. अद्भूतबाबाजीने कहा – 

१. विश्व हिंदू संत महासभाके माध्यमसे देशके सर्वोच्चपदपर हिंदू व्यक्तिको विराजमान करने हेतु प्रयास किए जाएंगे ।

२. लव जिहादका संकट यदि समाप्त नहीं किया, तो एक दिन हिंदू युवती ही समाप्त हो जाएगी ।
३. राममंदिरका निर्माण करेंगे, ऐसा कहनेवाली भाजपा सत्तामें आते ही दिया हुआ आश्वासन भूल गई ।
४. जिस पक्षका प्रवक्ता ही मुसलमान हो, वह पक्ष हिंदुओंका कैसे हो सकता है ?
५. हिंदुत्व हेतु लडनेवाले उम्मीदवारको सारे साधुसंतोंका समर्थन रहेगा ।
६. विश्व हिंदू संत महासभाके माध्यमसे गोहत्या-जीवहत्या रोकना, पशूवधगृह (कत्तलखाने) बंद करना, हिंदुओंके श्रद्धास्थानोंकी रक्षा करना, समान नागरी अधिनियम कार्यान्वित करना, आदि हेतु प्रयास किए जाएंगे ।
७. हज जानेवाले यात्रियोंका अनुदान बंद कर, वह कैलास मानसरोवर यात्रियोंको दिया जाए ।

वाकड स्थित चंद्रमाऊली मंगल कार्यालयमें १ जूनको साधु-संत एवं हिंदुत्ववादियोंकी उपस्थितिमें विश्व हिंदू संत महासभाकी स्थापना की गई । उस अवसरपर प.पू.  अद्भूतबाबा बोल रहे थे; साथ ही प.पू. शिवानंद स्वामी, प.पू. चरणदासजी महाराज, प.पू. नृसिंह अवधूत महाराज, हिंदू महासभाके अधिवक्ता गोविंद गांधी, श्री. अनूप केणी, प.पू. जोगळेकर महाराज, प.पू. अप्पा महाराज, सर्वश्री अनिल साठे, सीताराम मातोरे, संजय खैरनार, रामलिंग मोहिते, काशीनाथ दहातोंडे, समस्त हिंदू आघाडीके श्री. मिलिंद एकबोटे, हिंदू जनजागृति समितिके श्री. सुनील घनवट, ह.भ.प. जाधव महाराज आदि उपस्थित थे । इस अवसरपर अधिवक्ता गांधीने कहा, आज हिंदूसंगठन तथा हिंदू राष्ट्रकी स्थापना करना, समयकी मांग है । मतों हेतु विवश राजकीय पक्ष केवल अल्पसंख्यकोंकी चापलूसी करते हैं । प.पू. शिवानंद स्वामीने कहा, गोरक्षा हेतु सबको कटिबद्ध होना चाहिए । गोमाताकी रक्षा ही संस्कृति रक्षा है !

स्त्रोत : दैनिक सनातन प्रभात 

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