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गंगा घाट पर स्नान करने वाली छोटी लडकियों और महिलाओं के फोटो खींचने तथा वीडियो बनाने पर प्रतिबंध वाले बोर्ड लगाए गए

Update

गंगा नदी के घाट पर महिलाओं की बिना अनुमति तस्वीरें खींचने का मामला

हिंदू जनजागृति समिति और अधिवक्ता की शिकायत का परिणाम

हरिद्वार (उत्तराखंड) – यहां गंगा नदी के घाट पर धार्मिक विधि करते समय नाबालिग लड़कियों समेत महिलाओं की बिना अनुमति फोटो खींचकर, साथ ही वीडियो बनाकर उन्हें सोशल मीडिया पर प्रसारित किया गया। इस पर संज्ञान लेते हुए हिंदू जनजागृति समिति और अधिवक्ताओं ने राष्ट्रीय महिला आयोग और उत्तराखंड महिला आयोग के समक्ष कई ब्लॉगरों (सोशल मीडिया पर विभिन्न विषयों पर वीडियो प्रसारित करने वालों) के खिलाफ शिकायत दर्ज की। इस संदर्भ में कड़ी कार्रवाई की अपेक्षा की जा रही है, लेकिन फिलहाल इन घाटों पर पुलिस द्वारा इस संदर्भ में बोर्ड लगाए गए हैं। इन पर लिखा है, ‘हर की पौड़ी’ और गंगा घाट पर बिना अनुमति छोटी लड़कियों और महिलाओं की तस्वीरें खींचना, साथ ही वीडियो बनाना अपराध है।’

इस बारे में हिंदू जनजागृति समिति और अधिवक्ताओं ने कहा कि इस प्रकार के बोर्ड लगाना एक सकारात्मक कदम है; लेकिन इसके साथ-साथ सतर्कता बरतना भी आवश्यक है। हम सभी महिलाओं से अपील करते हैं कि वे अपने आसपास के वातावरण के बारे में जागरूक रहें। इस संदर्भ में कोई भी अनुचित घटना घटित हो, तो इसकी जानकारी पुलिस को दी जानी चाहिए।

वीडियो प्रसारित करने वालों पर अब तक कार्रवाई नहीं!

अधिवक्ता अजय कुमार गुलाटी और अधिवक्ता अमिता सचदेव ने उत्तराखंड महिला आयोग और राष्ट्रीय महिला आयोग के समक्ष शिकायत दर्ज कराई थी। साथ ही महिला और बाल कल्याण मंत्रालय की तत्कालीन केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी से भी पत्र व्यवहार किया था। इस विषय पर राष्ट्रीय बाल संरक्षण अधिकार आयोग के समक्ष भी शिकायत दर्ज की गई थी।

अधिवक्ता गुलाटी ने विभागीय पुलिस कार्यालय को पत्र लिखकर यूट्यूब ब्लॉगर्स पर कार्रवाई करने की मांग की थी। दूसरी ओर, अधिवक्ता अमिता सचदेव की शिकायत के संदर्भ में आगे की कार्रवाई रोकने का संदेश मंत्रालय से आया था। ऐसी स्थिति में अब तक बाल संरक्षण अधिकार आयोग और राष्ट्रीय महिला आयोग द्वारा संबंधित वीडियो सोशल मीडिया पर प्रसारित करने वालों पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है।


21 जनवरी

गंगा के पवित्र घाटों पर स्नान करती महिलाओं के वीडियो और छायाचित्र लेने पर प्रतिबंध लगाने की हिंदू जनजागृति समिति की मांग

आपत्तिजनक वीडियो-छायाचित्र लेनेवालों के विरुद्ध कार्रवाई के लिए राष्ट्रीय महिला आयोग और उत्तराखंड राज्य महिला आयोग से शिकायत!

दिल्ली – महिलाओं की गरिमा को ठेस पहुंचाने के लिए सोशल मीडिया पर महिलाओं और नाबालिग लड़कियों के अश्लील और अनधिकृत वीडियो, छायाचित्र प्रसारित किए जा रहे है । इस के लिए दोषी हीरो सिटी व्लॉग, हरिद्वार व्लॉग, गोविंद यूके व्लॉग, अद्भूत व्लॉग, शांति कुंज हरिद्वार व्लॉग और अन्य दोषी के विरुद्ध आईपीसी की धारा 354-सी/509, सूचना प्रौद्योगिकी की धारा 66-ई/67/67-ए और पोक्सो अधिनियम की धारा 14 के अनुसार सख्त कानूनी कार्रवाई की जाय, ऐसी मांग मोगा, पंजाब के अधिवक्ता अजय गुलाटी और हिंदू जनजागृति समिति की दिल्ली की अधिवक्ता अमिता सचदेवा द्वारा राष्ट्रीय महिला आयोग और उत्तराखंड राज्य महिला आयोग से की गयी है ।

अधिवक्ता अमिता सचदेवा

दर्ज शिकायत में आगे कहा गया है कि, डिजिटल और सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर बड़े पैमाने पर हानिकारक और आपत्तिजनक सामग्री समाज के सामने परोसी जा रही हैै। अब इसमें मुख्य रूप से विभिन्न व्लॉगर्स शामिल हैं जो गुप्त रूप से पवित्र नदी गंगा में स्नान कर रही महिलाओं के वीडियो-रील-शॉर्ट्स बनाते हैं, उनके छायाचित्र खींचते हैं और उनकी सहमति के बिना थोडे से धन के लिए उन्हें विभिन्न इंटरनेट मीडिया पर प्रसारित करते हैं। इस कारण से समाज में कई महिलाओं को अपने परिवार, रिश्तेदारों और दोस्तों के सामने अपमानजनक स्थितियों का सामना करना पड़ता है, जिससे उन्हें शर्मिंदगी उठानी पड़ती है। साथ ही उन वीडियो-तस्वीरों के नीचे लिखे गए अश्लील और आपत्तिजनक टिप्पणियों (कमेंट्स) से उनकी प्रतिष्ठा और छवि को नुकसान पहुंच रहा है । कोई भी सभ्य महिला इतने सारे अजनबियों से इस तरह की प्रताड़ना और अपमान बर्दाश्त नहीं कर सकती। ऐसी वीडियो-फोटोग्राफी सभ्य समाज पर काला धब्बा है। इसलिए, सरकार को गंगा नदी के उद्गम स्थल से लेकर गंगासागर तक विभिन्न पवित्र घाटों पर वीडियोग्राफी और फोटोग्राफी पर प्रतिबंध लगाने की तत्काल आवश्यकता है। साथ ही ऐसे कृत्य करने वाले दोषियों के सभी आपत्तिजनक वीडियो, फोटो, रील्स और शॉर्ट्स को यूट्यूब, फेसबुक, इंस्टाग्राम आदि सोशल या अन्य इंटरनेट मीडिया से हटाने के निर्देश सरकार ने तुरंत जारी करने चाहिए।

इंटरनेट और सोशल मीडिया पर महिलाओं या लड़कियों की अपमानजनक वीडियो-छायाचित्र अपलोड करने वालों पर न केवल जुर्माना लगाया जाएगा, बल्कि इस गंभीर अपराध के लिए आईपीसी के तहत अभियोग चलाना चाहिए और उन्हे कड़ी सजा देनी चाहिए, ऐसी मांग भी समिति द्वारा की गयी है ।

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