अमरावती (महाराष्ट्र) : महाराष्ट्र मंदिर महासंघ, श्री देवस्थान सेवा समिति विदर्भ, श्री पिंगळादेवी संस्थान, श्री नागेश्वर महादेव संस्थान, श्री व्यंकटेश बालाजी मंदिर ट्रस्ट एवं हिन्दू जनजागृति समिति के संयुक्त सहयोग से महेशभवन, अमरावती में आयोजित ‘महाराष्ट्र मंदिर-न्यास अधिवेशन’ (अमरावती-विदर्भ प्रांत) ५५० से अधिक मंदिर प्रतिनिधियों की उपस्थिति में उत्साह पूर्वक आरंभ हुआ । श्री महाकाली शक्तिपीठ के पीठाधीश्वर श्री शक्ति महाराज, सनातन संस्था के पू. अशोक पात्रीकर, हिन्दू जनजागृति समिति के महाराष्ट्र एवं गुजरात राज्य समन्वयक, साथ ही मंदिर महासंघ के समन्वयक श्री. सुनील घनवट, रिद्धपुर के यक्ष देव मठ के अध्यक्ष उपाध्याय आम्नाय महंत आचार्य श्री यक्षदेव बाबा शास्त्री, श्री भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग देवस्थान के सचिव अधिवक्ता श्री. सुरेश कौदरे, व्यंकटेश बालाजी ट्रस्ट के सचिव अधिवक्ता आर.बी. अटल के करकमलों से दीपप्रज्वलन कर अधिवेशन का आरंभ हुआ । महाराष्ट्र मंदिर महासंघ का कार्यात्मक विवरण (रिपोर्ट) श्री. सुनील घनवट ने प्रस्तुत किया ।
मंदिरों से मिलनेवाली धर्मशिक्षा बंद होने से हिन्दुओं की स्थिति बिकट ! — सद्गुरु स्वाती खाडये, धर्मप्रचारक, सनातन संस्था
भारत स्वतंत्र होने के उपरांत देश धर्मनिरपेक्ष बन गया। मंदिरों से धर्मशिक्षा देना बंद करने से हिन्दुओं की स्थिति विकट हो गई है । देवालय में जाने पर क्या करना चाहिए ? भगवान से क्या मांगना चाहिए ? दर्शन कैसे करें? भगवान को क्या अर्पण करना चाहिए ? इसका ज्ञान नहीं है । सनातन संस्था के माध्यम से वर्ष २००५ में मंदिरों के संदर्भ में धर्मशिक्षा देना आरंभ किया । समिति के माध्यम से पूरे भारत में ५२७ धर्मशिक्षावर्ग लिए जाते हैं । भक्तों को धर्मशिक्षा प्रदान करने से ही मंदिर पुनः सनातन धर्मप्रसार के केंद्र बनेंगे !