ASI सर्वे रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा – ‘कानून बनाए सरकार, जाएंगे सर्वोच्च न्यायालय’
ज्ञानवापी की ASI रिपोर्ट आने के बाद हिंदू पक्ष के वकील पू. हरि शंकर जैन ने कहा है कि वो लोग अब सर्वोच्च न्यायालय का रुख करेंगे। उनका कहना है कि, रिपोर्ट में स्पष्ट तौर पर लिखा गया है कि उस ढांचे की जगह हिंदू मंदिर था। सरकार को उसे राष्ट्रीय स्मारक घोषित करना चाहिए।
उन्होंने समाचार एजेंसी एएनआई से बात करते हुए कहा, “रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से कहा गया है कि, (ज्ञानवापी मस्जिद) स्थल पर एक मंदिर मौजूद था। भारत सरकार को इस मामले में आगे कदम उठाते हुए इसे राष्ट्रीय स्मारक घोषित करना चाहिए और कानून पारित कर पूरा क्षेत्र हिंदुओं को सौंप देना चाहिए।”
वहीं वकील विष्णु जैन एएसआई की रिपोर्ट की मुख्य लाइनें पढकर पूछते हैं कि, क्या एएसआई ने जो अपनी रिपोर्ट दी है, जिसमें साफ तौर पर लिखा है कि मंदिर तोड़कर उस ढांचे को खड़ा किया गया था और उसी का मलबा उस ढांचे में लगा था, तो क्या कोई इस्लामिक स्कॉलर ये बात कह सकता है कि ये सही हुआ था?
वह कहते हैं कि, मस्जिद तो वक्फ की जमीन पर बनती है और वक्फ की जमीन वो होती है जो मुस्लिमों ने अपने पैसों से खरीदी हो। वहीं हिंदू धर्म के अनुसार ये बात साफ है कि एक बार मंदिर के लिए बनाई जगह हमेशा मंदिर की ही जगह रहेगी और अंत तक सिर्फ ये मंदिर की ही प्रॉपर्टी होगी।
विष्णु जैन इस मामले में हिंदू पक्ष का पाला भारी बताते हुए कहते हैं कि, राम मंदिर के समय तो खुदाई के बाद सबूत मिले कि वो जगह राम जन्मभूमि ही है लेकिन यहां तो ढांचा खुद ही गवाही दे रहा है कि, वो हिंदू मंदिर है। ढांचे की पश्चिमी दीवार पर लगे हिंदू चिह्न भी यही बता रहे हैं कि हिंदू मंदिर की दीवार है किसी उस ढांचे का भाग नहीं। खंभे भी यही कह रहे हैं कि वो हिंदू मंदिर के खंभे हैं।
We will be moving to the Supreme Court, requesting that an ASI survey be carried out in the sealed area also… Several deities were found during the survey: @Vishnu_Jain1 tells @madhavgk pic.twitter.com/6Jv1i3dCrZ
— TIMES NOW (@TimesNow) January 25, 2024
विष्णु जैन कहते हैं, “सारे सबूत हमारे केस को मजबूत बनाते हैं कि हमारे धर्मस्थल पर, हमारे मंदिर पर अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी द्वारा कब्जा किया गया है। हमारे मंदिर को मस्जिद की तरह इस्तेमाल करने की कोशिश हो रही है।”
उन्होंने कहा कि एएसआई का जो सर्वे हुआ है वो वजू खाने को छोड़कर हुआ है। उनकी यह माँग कि वजू खाने का भी एएसआई सर्वे हो, अभी सर्वोच्च न्यायालय में पेंडिंग है। अंजुमन इंतेजामिया ने जाकर कोर्ट में कहा है कि वजू खाने के सर्वे पर रोक लगे। उन्होंने कहा कि इसी सर्वे में ढांचे से बहुत सारे देवी-देवताओं की मूर्तियाँ मिली हैं।
क्या-क्या प्रमाण मिले सर्वे में?
गौरतलब है कि ज्ञानवापी ढांचे पर ASI की ८३९ पेज की रिपोर्ट से साफ हुआ है कि ज्ञानवापी ढांचे की जगह कभी बड़ा हिंदू मंदिर था। इसके प्रमाण वहाँ के खंभों, दीवारों और शिलापट से मिले हैं।
दीवारों पर कन्नड़, तेलुगु, देवनागरी और ग्रंथा भाषाओं में लेखनी मिली है। वहीं भगवान शिव के ३ नाम दीवारों पर लिखे मिले हैं- जनार्दन, रुद्र और ओमेश्वर।ढांचे के सारे खंभे भी गवाही दे रहे हैं कि वह पहले मंदिर का हिस्सा थे उन्हें मॉडिफाई करके वहाँ नए ढांचे में शामिल किया गया। ढांचे की पश्चिमी दीवार से भी पता चलता है कि वो मंदिर की दीवार है। दीवार के नीचे १ हजार साल पुराने अवशेष भी मिले हैं। कुछ खंबों से हिंदू चिह्नों को मिटाने के भी प्रमाण मिले हैं। इसके अलावा हनुमान जी और गणेश जी की खंडित मूर्तियाँ, दीवार पर त्रिशूल की आकृति भी मिली हैं। साथ ही तहखाने में भी हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियाँ मिलीं।
स्त्रोत : ऑप इंडिया