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‘शूद्रों और महिलाओं को पुजारियों ने नहीं लेने दिया वेद का ज्ञान’, ऐसा बतानेवाला पाठ NCERT ने हटाया

भारतीय छात्रों के लिए टेक्स्ट किताब बनाने वाले राष्ट्रीय शैक्षिक अनुसंधान और प्रशिक्षण परिषद (NCERT) ने क्लास छठी में ब्राह्मणों/पुजारियों के लिए पढ़ाए जा रहे भ्रामक दावों को अपनी किताबों से हटा दिया है।

एक साल पहले इस मामले में आरटीआई एक्टिविस्ट विवेक पांडे ने आरटीआई फाइल की थी। उन्होंने लिखित में प्रमाण माँगे थे कि हिंदू पंडितों ने महिला और शूद्रों के साथ भेदभाव किया, इसका सबूत दिया जाए।

NCERT ने इस आरटीआई के जवाब में कहा था कि उनके पास इस दावे के कोई सबूत नहीं हैं कि ब्राह्मणों/पुजारियों ने महिलाओं और शूद्रों को वेद नहीं पढ़े दिया। इसके बाद उन्होंने ये भी सुनिश्चित किया कि वो अपनी किताबों से इस भ्रामक दावे को हटा लेंगे।

अब 2023-24 के संस्करण से ये दावा हटाया जा चुका है।

बता दें कि यह विवादित दावा छठी क्लास की इतिहास की किताब के पाँचवे चैप्टर- ‘राज्य, राजा और प्राचीन गणतंत्र’ (पृष्ठ नंबर-44-45) पर दिखाई देता था। इसमें कहा गया था कि पुजारियों ने वर्णव्यवस्था बनाई और कहा कि ये जन्म से तय होता है।

NCERT किताब में ये भी कहा गया कि महिलाओं को शूद्रों के समूह में रख उन्हें वेद पढ़ने से रोका गया। इतना ही नहीं था ये भी लिखा गया कि पुजारियों ने कुछ लोगों को अछूत घोषित कर दिया था।

NCERT ने भ्रामक दावा हटाया

मालूम हो कि NCERT की किताब में किए गए दावों का कोई आधार नहीं था। विवेक पांडे की आरटीआई के जवाब में लिखा गया था, “चूँकि पांडुलिपि का मूल मसौदा विस्तृत संदर्भ प्रदान नहीं करता है, इसलिए दावों के मूल स्रोत को साझा करना मुश्किल होगा।”

इसके साथ ही यह भी कहा गया था कि अगले सत्र से किताब से भ्रामक दावा हटा लिया जाएगा।

स्रोत : ऑप इंडिया

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