Menu Close

उत्तराखंड सरकार को सौंपा गया समान नागरिक संहिता का प्रारूप, विधानसभा में लाएंगे बिल

४ निकाह पर रोक, १८ साल से कम उम्र की मुस्लिम लड़कियों की भी नहीं होगी शादी

उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता (UCC) लागू करने के लिए सुप्रीम कोर्ट की सेवानिवृत जस्टिस जस्टिस रंजना देसाई की अगुवाई में बनाई गई कमिटी ने ड्राफ्ट मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी को सौंप दिया है। माना जा रहा है कि धामी की सरकार ६ फरवरी २०२४ को समान नागरिक संहिता (UCC) विधेयक विधानसभा में पेश कर सकती है। इसके लिए सरकार ने ५ से ८ फरवरी तक विधानसभा का विशेष सत्र बुलाया है।

इस विधेयक को विधानसभा में पेश करने से पहले शनिवार (३ फरवरी २०२४) को होने वाली पुष्कर सिंह धामी कैबिनेट की बैठक में इसे मंजूरी दी जाएगी। विधानसभा से मंजूरी दिए जाने के बाद इस विधेयक को राज्यपाल के पास भेजा जाएगा। राज्यपाल की मंजूरी के बाद उत्तराखंड समान नागरिक संहिता लागू करने वाला देश का पहला राज्य बन जाएगा।

कमिटी द्वारा ड्राफ्ट सौंपे जाने के बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा, “हम सभी लंबे समय से ड्राफ्ट का इंतजार कर रहे थे। आज हमें ड्राफ्ट मिल गया है। UCC कमिटी ने अपनी रिपोर्ट हमें सौंप दी है। अब हम इस मामले में आगे बढ़ेंगे। मसौदे का परीक्षण करेंगे और सभी औपचारिकताएँ पूरी करने के बाद इसे विधानसभा के दौरान रखेंगे। इस पर आगे चर्चा की जाएगी।”

उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू होने के बाद विभिन्न धर्मों के सिविल कानूनोें में एकरूपता आ जाएगी। महिलाओं, खास करके मुस्लिम समाज की महिलाओं को हिंदू महिलाओं की तरह अधिकार मिल जाएँगे। वहीं, राज्य में बहुविवाह पर रोक लगेगी। महिलाओं को पैतृक संपत्ति में अधिकार मिलेगा एवं बच्चों को गोद लेने का भी अधिकार मिल सकता है। सभी धर्मों में लड़की की शादी की न्यूनतम आयु १८ वर्ष होगी।

वर्तमान में मुस्लिम समाज शरिया पर आधारित पर्सनल लॉ के तहत संचालित होता है। इसमें मुस्लिम पुरुषों को चार विवाह की इजाजत है। समान नागरिक संहिता लागू होने के बाद मुस्लिम लड़कियों को भी लड़कों के बराबर अधिकार दिया जाएगा। इसके अलावा, मुस्लिम समुदाय में इद्दत और हलाला जैसी प्रथा पर प्रतिबंध लग सकता है। तलाक के मामले में शौहर और बीवी को बराबर अधिकार मिलेगा।

मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, समान नागरिक संहिता में सभी धर्म के लोगों को लिव-इन रिलेशनशिप में रहने के लिए पंजीकरण कराना जरूरी किया जाएगा। इसमें महिला और पुरुष की पूरी जानकारी होगी। ऐसे रिश्तों में रहने वाले लोगों को अपने माता-पिता को भी जानकारी देनी होगी। समान नागरिक संहिता लागू होने के बाद विवाह का पंजीकरण कराना भी अनिवार्य किया जा सकता है। बिना रजिस्ट्रेशन विवाह अमान्य माने जाएँगे।

समान नागरिक संहिता में नौकरीपेशा बेटे की मृत्यु की स्थिति में पत्नी को मुआवजा दिया जाएगा। इसके साथ ही बेटे के बुजुर्ग माता-पिता के भरण-पोषण की जिम्मेदारी पत्नी पर होगी। अगर पति की मृत्यु के बाद पत्नी दोबारा शादी करती है तो उसे मिला हुआ मुआवजा माता-पिता को दिया जाएगा। पत्नी की मृत्यु होने की स्थिति में उसके माता-पिता की देखरेख की जिम्मेदारी पति पर होगी।

इसमें अनाथ बच्चों के लिए संरक्षण की प्रक्रिया को भी सरल बनाया जाएगा। पति-पत्नी के बीच विवाद की स्थिति में बच्चों की कस्टडी उसके दादा-दादी को दिए जाने का प्रावधान किया जा सकता है। बच्चों की संख्या निर्धारित करने जैसी व्यवस्था भी UCC में की जा सकती है। समान नागरिक संहिता में इन प्रावधानों से जनजातीय समुदाय के लोगों को छूट मिल सकती है।

बता दें कि विधानसभा चुनाव २०२२ में जीत मिलने के बाद मुख्यमंत्री धामी ने समान नागरिक संहिता लागू करने के लिए जस्टिस रंजना देसाई की अध्यक्षता में एक समिति बनाई थी। इसका ड्राफ्ट बनाने के लिए मुख्यमंत्री ने समिति का कार्यकाल तीन बार बढ़ाया था। इस दौरान समिति ने समान नागरिक संहिता पर लोगों से ऑनलाइन और ऑफलाइन सुझाव भी माँगे थे।

इसके अलावा, कमिटी ने उपसमिति बनाकर हर समाज के विशिष्ट लोगों, समाजसेवियों, धार्मिक नेताओं और जागरूक नागरिकों के साथ चर्चा की और सुझाव लिए। कमिटी ने राज्य के विभिन्न क्षेत्रों का भी दौरान किया था। UCC पर कमिटी को ढाई लाख से अधिक सुझाव मिले थे। इसके बाद समिति ने केंद्रीय विधि आयोग के साथ भी समान नागरिक संहिता को लेकर चर्चा की थी।

स्त्रोत : ऑप इंडिया

Related News

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *