‘ये राम और कृष्ण में भेद करता है, विदेशी आक्रांताओं के जबरन कब्जे को ठहराता है जायज’: – भाजपा सांसद हरनाथ सिंह यादव
भाजपा सांसद हरनाथ यादव ने राज्यसभा में ‘Places Of worship Act’ को खत्म करने की माँग की है। ये कानून 1991 में बनाया गया था। अयोध्या में राम जन्मभूमि मामले को इससे अलग रखा गया था, देश के बाकी सभी धार्मिक स्थलों के स्वरूप में भारत की स्वतंत्रता वाले दिन की यथास्थिति बनाए रखने की बात कही गई थी। उन्होंने कहा कि ये कानून भगवान राम और कृष्ण के बीच भेद पैदा करता है, जबकि दोनों ही विष्णु के ही अवतार हैं। उन्होंने कहा कि ये कानून न सिर्फ हिन्दू, बल्कि सिख, जैन और बौद्धों के धार्मिक अधिकारों का भी उल्लंघन करता है।
हरनाथ सिंह यादव ने कहा कि ये कानून संविधान का उल्लंघन करता है। उन्होंने याद दिलाया कि इसके उल्लंघन में 1 से 3 साल तक की सज़ा का प्रावधान है। उन्होंने कहा कि ये कानून न्यायिक समीक्षा पर रोक लगाता है, जो नागरिकों के अधिकारों को कम करता है। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता के बाद लंबे समय तक जो लोग सरकार में रहे वो हमारी धार्मिक स्थलों की मान्यताओं को नहीं समझ सके, राजनीतिक फायदे के लिए अपनी ही संस्कृति पर शर्मिंदगी की प्रवृत्ति स्थापित कर दी।
उन्होंने कहा, “इस कानून का सीधा अर्थ है कि विदेशी आक्रांताओं द्वारा तलवार की नोक पर मथुरा और ज्ञानवापी समेत अन्य मंदिरों पर जो कब्ज़ा किया, उसे सरकारों द्वारा जायज ठहरा दिया गया। समाज के लिए 2 तरह के कानून नहीं हो सकते हैं। ये न सिर्फ असंवैधानिक, बल्कि अतार्किक भी है। मैं प्रार्थना करता हूँ कि देशहित में इस कानून को समाप्त किया जाए।” बता दें कि हिन्दू समाज लंबे समय से इस कानून को खत्म करने की माँग करता रहा है।
आज राज्य सभा में शून्यकाल में मेरे द्वारा #पूजा_स्थल_कानून_1991 निरस्त करने का मुद्दा उठाया गया।
“यह कानून भगवान राम और भगवान श्रीकृष्ण के बीच भेद करता है जबकि दोनों भगवान विष्णु के अवतार हैं।”
“यह कानून हिंदू, जैन, सिक्ख, बौद्धों के धार्मिक अधिकारों का हनन करता है।”— सुने… pic.twitter.com/dEKwrdYMu4
— हरनाथ सिंह यादव (Harnath Singh Yadav) (@harnathsinghmp) February 5, 2024
बता दें कि ‘Places Of worship Act’ के तहत भारत के हिन्दुओं को अपने मंदिरों की पूर्व की स्थिति बहाल करने के लिए न्यायालय का रुख करने से रोक दिया गया। इसके तहत किसी भी धार्मिक स्थल के स्वरूप को परिवर्तित नहीं किया जा सकता। इससे ज्ञानवापी और श्रीकृष्ण जन्मभूमि की लड़ाई को धक्का लगा। माना जाता है कि भारत में 30,000 मंदिरों को इस्लामी आक्रांताओं ने अपने सैकड़ों वर्षों के शासनकाल में ध्वस्त किया और उन पर मस्जिद बना दिए।
स्रोत: ऑप इंडिया